नई टिहरी: टिहरी बांध की झील का जलस्तर इन दिनों कम होने से पुराने टिहरी नगर की इमारतें दिखाई देने लगी है। कभी टिहरी रियासत का राज महल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।
वरिष्ठ पत्रकार शीश पाल गुंसाईं के अनुसार, टिहरी रियासत का कौशल दरबार, इस पहाड़ी नगर के सबसे ऊँचे हिस्से में स्थित एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता था। जो राजा कीर्ति शाह द्वारा निर्मित भव्य महल के रूप में आज भी अपनी गौरवमयी स्मृतियाँ समेटे हुए है।
वे बताते हैं कि राजा कीर्ति शाह, जिनका मात्र 40-42 वर्ष की अल्पायु में देहांत हो गया था, ने अपने संक्षिप्त शासनकाल में क्रांतिकारी कार्यों से टिहरी की जनता के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। उनके द्वारा बनवाया गया राज महल न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना था, बल्कि टिहरी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी माना जाता था। श्री गुंसाईं बताते हैं कि जब राजशाही का युग समाप्त हुआ और आजाद भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) में नए दौर की शुरुआत हुई, तब इस महल में सरकारी कार्यालयों का संचालन होने लगा।
समय के साथ टिहरी झील के निर्माण ने इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना को बदल दिया। यह राज महल, जो कभी टिहरी के कन्वेंट स्कूल के ऊपरी हिस्से में शान से खड़ा था, अब झील के जलस्तर के उतार-चढ़ाव के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। सर्दियों में जब जलस्तर बढ़ता है, यह महल झील के गर्भ में समा जाता है, और गर्मियों के तीन-चार महीनों में, जब पानी घटता है, यह पुनः दृश्यमान होकर टिहरी की प्राचीन स्मृतियों को जीवंत कर देता है।
कौशल दरबार की यह मार्मिक कथा टिहरी की ऐतिहासिक और भावनात्मक धरोहर को उजागर करती है। यह महल न केवल पत्थरों और स्थापत्य का संगम है, बल्कि एक ऐसी गाथा है जो टिहरी के गौरवशाली अतीत, राजा कीर्ति शाह के योगदान और प्रकृति के बदलते रंगों को एक साथ जोड़ती है। यह स्थान हर उस व्यक्ति के लिए एक तीर्थ है, जो इतिहास, संस्कृति और प्रकृति के संगम को महसूस करना चाहता है।
वे बताते है कि इस बार जब झील का जल स्तर नीचे आया तो इस राजमहल को पहले की अपेक्षा ज्यादा खंडहर में देखा गया है। यानि समय के साथ साथ इसका अस्तित्व भी समाप्त हो रहा है।
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