‘आपकी कालजयी रचना संसार और वैश्विक साहित्य जगत के लिए अमूल्य धरोहर है।’ ये शब्द हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के। उन्होंने ये बात तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित किए जाने पर कही है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आपका सम्मान, संत परंपरा, भारत की साहित्यिक विरासत और राष्ट्र का सम्मान है।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि जगद्गुरु राम भद्राचार्य जी को दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित किया। इस मौके पर समाज और साहित्य में स्वामी रामभद्राचार्य के योगदान की राष्ट्रपति ने सराहना की। उन्होंने ये भी कहा कि शरीर की अपनी सीमाओं से परे समाज के लिए आपका योगदान अतुलनीय है। आने वाली पीढ़ियां आपके जीवन से प्रेरित होंगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में ही रामभद्राचार्य महाराज को पद्म विभूषण से विभूषित किया गया था।
क्या बोले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी रामभद्राचार्य को सम्मानित किए जाने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने एक्स पोस्ट के जरिए कहा कि आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा पूज्य संत, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023’ से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई! आपका कालजयी रचना संसार वैश्विक साहित्य जगत के लिए अमूल्य धरोहर है।
आज माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित 'ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023' से सम्मानित होने पर… pic.twitter.com/bVlmjOBedH
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 16, 2025
22 भाषाओं के ज्ञाता हैं स्वामी रामभद्राचार्य
स्वामी रामभद्राचार्य के बारे में जानने की कोशिश करें तो पता चलता है कि उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान है। वहीं उनकी रचनाओं पर नजर डालें तो उन्होंने 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों को लिखा है। इसमें चार महाकाव्य भी शामिल हैं।
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