सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं, भारत को चाहिए क्षेत्रीय संतुलन पर आधारित स्पष्ट रणनीति : डॉ. नसीम बलोच
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सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं, भारत को चाहिए क्षेत्रीय संतुलन पर आधारित स्पष्ट रणनीति : डॉ. नसीम बलोच

बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के अध्यक्ष डॉ. नसीम बलोच ने कहा कि भारत-पाक तनाव केवल दो देशों की लड़ाई नहीं, बल्कि विभाजन की ऐतिहासिक त्रासदी का परिणाम है। पढ़िए पूरा विश्लेषण...

by WEB DESK
May 17, 2025, 07:30 am IST
in विश्व
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बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के अध्यक्ष डॉ. नसीम बलोच ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह विवाद केवल दो राष्ट्रों के बीच का पारस्परिक संघर्ष नहीं है, बल्कि यह बंटवारे की उस ऐतिहासिक त्रासदी की निरंतरता है, जिसका खामियाज़ा आज भी बलूचिस्तान सहित पूरा क्षेत्र भुगत रहा है।

इस बँटवारे ने क्षेत्र की प्राचीन रियासतों, समुदायों तथा दीर्घकालिक शांति और स्थिरता की संभावनाओं को गहराई से तहस-नहस कर दिया। परिणामस्वरूप, इस भूभाग पर कभी गर्म तो कभी शीत युद्ध जैसे हालात लगातार मंडराते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पर भारत द्वारा की गई सीमित और अस्पष्ट सैन्य कार्रवाइयों, युद्धविराम की घोषणाओं और विजय-पराजय के नारों के बीच सबसे महत्वपूर्ण पहलू जिसकी उपेक्षा हो रही है, वह यह है कि बलूच, पश्तून, सिंधी और कश्मीरी समुदायों ने इस युद्ध को लेकर स्पष्ट रुख अपनाया है — कि यह संघर्ष पाकिस्तानी पंजाबी सत्ता प्रतिष्ठान और भारतीय राज्य के बीच है, और ये कब्ज़ाधीन क़ौमें इस टकराव से असंबद्ध और अछूती हैं।

डॉ. नसीम बलोच ने कहा कि यदि भारत वास्तव में क्षेत्र में स्थायी शांति, सतत विकास और पाकिस्तानी प्रायोजित आतंकवाद के स्थायी समाधान का इच्छुक है, तो उसे केवल सीमित सैन्य कार्रवाइयों पर निर्भर रहने के बजाय क्षेत्र की बुनियादी राजनीतिक गतिशीलता, कब्ज़ाधीन समुदायों की स्थिति और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए एक ठोस और स्पष्ट रोडमैप तैयार करना होगा।

बिना ठोस और व्यापक राजनीतिक-सैन्य विश्लेषण के, एक परमाणु-संपन्न और वैचारिक रूप से चरमपंथी राज्य जैसे पाकिस्तान को केवल सीमित हमलों से कमजोर नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि लॉर्ड माउंटबेटन की योजना आज भी उपमहाद्वीप के सीने में धंसे उस खंजर की तरह है जिससे निरंतर रक्तस्राव हो रहा है। जब तक इस ऐतिहासिक अन्याय और भूल को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक वर्तमान हालात का सटीक विश्लेषण और समाधान संभव नहीं।

पाकिस्तान एक अप्राकृतिक राष्ट्र है, जो प्राचीन क़ौमों की भूमि पर नफरत से भरे वैचारिक एजेंडे और साम्राज्यवादी योजनाओं के तहत अस्तित्व में आया। यह एक ऐसा राज्य है, जिसके सभी संसाधन और परमाणु शस्त्र एक कट्टरपंथी सैन्य प्रतिष्ठान के नियंत्रण में हैं — जो न केवल भारत बल्कि समूचे क्षेत्र और वैश्विक शांति के लिए निरंतर खतरा बना हुआ है।

उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम में पाकिस्तानी राज्य के समर्थन से हुआ आतंकवादी हमला — जिसमें निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या हुई — उस नीति की निरंतरता है जिसमें आतंकवाद पाकिस्तान की आंतरिक और बाह्य रणनीति का केंद्रीय आधार बना हुआ है।

यह राज्य आतंकवाद की एक संगठित नर्सरी है, जिसे वैचारिक, वित्तीय और सैन्य रूप से संस्थागत समर्थन प्राप्त है। यहां तक कि जब वैश्विक आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर के करीबी सहयोगियों के मारे जाने जैसी घटनाएं सामने आती हैं, तब भी पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व दिनदहाड़े उनके जनाज़ों में शामिल होकर खुलेआम यह संदेश देता है कि राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का यह सिलसिला थमने वाला नहीं है।

बीएनएम अध्यक्ष ने कहा कि जब तक 14 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक राजनीतिक भूलों को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता, और इस अप्राकृतिक राष्ट्र की संरचनात्मक विसंगतियों का गंभीर विश्लेषण कर क्षेत्र की कब्जाधीन क़ौमों — विशेष रूप से बलूचिस्तान की ऐतिहासिक स्थिति, राष्ट्रीय पहचान और स्वतंत्रता की मुहिम — को सार्वजनिक रूप से मान्यता नहीं दी जाती, तब तक आतंकवाद के उन्मूलन, शांति, स्थिरता और टिकाऊ विकास की कोई भी राह व्यावहारिक नहीं हो सकती।

यही एकमात्र मार्ग है, जो इस क्षेत्र को निरंतर युद्ध, आतंकवाद और अस्थिरता से निकालकर एक शांतिपूर्ण, संतुलित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जा सकता है।

Topics: नसीम बलोच बयानबलूचिस्तान भारत नीतिBalochistan freedom movementLord Mountbatten partitionPakistani military extremismregional peace roadmapIndia strategic policyBNM president remarksपाकिस्तान आतंकवादIndia Pakistan Conflict 2025
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