भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह
May 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

नृसिंह प्राकट्योत्सव और भगवान शिव के शरभपुरीय अवतार की अद्भुत कथा। जानें कैसे भगवान विष्णु और शिव की लीला ने अहंकार और क्रोध पर विजय पाई, और सुर-असुर के बीच भेदभाव के मिथक को तोड़ा।

by डॉ. आनंद सिंह राणा
May 11, 2025, 01:19 pm IST
in संस्कृति
Bhagwan Narsingh Jayanti

प्रतीकात्मक तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

ऐतिहासिक और पौराणिक साक्ष्यों के आलोक में संपूर्ण विश्व में भारत एकमात्र ऐंसा देश है जहां भगवान ने कभी सुर – असुर, ऋषि – मुनियों, दैत्य – राक्षसों और स्त्री-पुरुष को वरदान और आशीर्वाद देने में कभी भेद नहीं किया। जिसने जैसी तपस्या की उसे वैसा ही वरदान मिला। भगवान से प्राप्त वरदान और आशीर्वाद का जब तक सदुपयोग हुआ तब तक कुशल क्षेम रहा परंतु जब दुरुपयोग हुआ तब भी भगवान ने वरदान को यथा स्थिति में रखते हुए ऐसी लीला रचते थे कि वरदान पर आंच भी न आए और आसुरी प्रवृत्ति का भी अंत हो जाए।

यह बात वामपंथी, ईसाई, मुस्लिम और तथाकथित सेक्युलर विद्वानों की समझ से परे है। इसलिए इन तथाकथित विद्वानों ने हिंदुत्व क्षत विक्षत करने के लिए भारतीयों को छलपूर्वक भड़का कर धर्म, वर्ण, और जाति का भेद उपजाकर संघर्ष को पैदा किया। यहाँ सुर-असुर को लेकर विमर्श करना इसलिए समीचीन है, क्योंकि विषय भगवान नृसिंह प्राकट्योत्सव दिवस है।

अब देखिए न वामियों, ईसाई, मुस्लिम और तथाकथित सेक्यूलरों विद्वानों ने सुर-असुर की अवधारणा को समझे बिना उसकी व्याख्या कर देश को दो भागों में विभाजित करने का कुत्सित प्रयास किया है तथा यह दिखाया है कि भारत देश में हमेशा असुरों के साथ अन्याय किया गया, उन्हें छल पूर्वक मारा गया और दलितों, दमितों के साथ जातिगत परिभाषित किया है, परंतु यह कभी स्पष्ट करने की कोशिश नहीं की गई कि भगवान ने असुरों को भी आशीर्वाद दिया और उन्हें वरदान भी प्रदान किए। असुर राज बलि को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त था परंतु वामन अवतार लेकर भगवान विष्णु ने उनका समूल विनाश नहीं किया वरन पाताल लोक सौंपा और माँ लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बनाया। उद्भट विद्वान रावण भी महादेव और ब्रम्हा के आशीर्वाद से ही महाबली बना था। रावण ने शिव तांडव स्रोत लिखा था जो हिन्दुओं का कंठहार है।

ऐसे सैकड़ों उदाहरण दिए जा सकते हैं। भारत में सुर और असुर का विभाजन प्रवृत्तियों के आधार पर हुआ है परंतु भेदभाव नहीं। कभी – कभी ऐंसे अवसर भी सामने आए जब ईश्वर विभिन्न स्वरूपों में सुर और असुरों को बचाने के लिए आमने-सामने आए हैं। बाणासुर के प्रकरण में महादेव स्वयं श्रीकृष्ण के विरुद्ध बाणासुर की रक्षा के लिए सामने आ गए थे और युद्ध भी हुआ परंतु अंत में सब कुशल मंगल हुआ।

अब महर्षि कश्यप के पुत्र प्रवृत्ति के अनुसार हिरण्यकश्यप असुर रुप में परिभाषित किए गए, उन्हें ब्रह्मा का अनूठा वरदान प्राप्त हुआ था परंतु जब वे वरदान का दुरुपयोग करने लगे तब उनके पुत्र भक्त प्रह्लाद के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह का अवतार लिया। वहीं भगवान् नृसिंह को मूल रुप में लाने के लिए भगवान शिव ने शरभपुरीय अवतार लिया। भगवान नरसिंह (नृसिंह) प्रगटोत्सव एवं भगवान शिव का शरभपुरीय अवतार, एक अनूठा उपाख्यान है।

प्रस्तुत अद्भुत वृतांत का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं है, वरन् अहम की मनोवृत्ति को साझा करना है कि अहम ही,वहम है, अहम ही सर्वनाश है। किस प्रकार से महादेव ने, भगवान विष्णु को ये समझाया! परंतु वास्तव में ये दोनों महाशक्तियों की लीला थी।

भगवान विष्णु का “नरसिंह” स्वरुप में अवतरण वैशाख माह की शुक्ल चतुर्दशी को हुआ था। अब वृतांत विस्तार से इस प्रकार है कि श्री विष्णु ने नरसिंह अवतार तो ले लिया परंतु हिरण्यकशिपु (हिरण्यकश्यप) के वध के उपरांत क्रोधाग्नि और भड़क गयी।

भक्त प्रह्लाद ने मनाने की बहुत कोशिश की पर नरसिंह शांत नहीं हुए, फलस्वरूप ब्रह्मांड की उष्मा बढ़ने लगी और भयावह वातावरण बनने लगा था और भस्म हो जाने की आशंका होने लगी। तब ऐसी विषम परिस्थिति में सभी देवी-देवताओं ने ब्रम्हा से याचना की, तदुपरांत सभी महादेव के पास पहुंचे। सारा वृत्तांत महादेव को सुनाया। महादेव ने भगवान नरसिंह को समझाने के लिए वीरभद्र को भेजा पर बात नहीं बनी वरन भगवान नरसिंह और उग्र हो गये।

भगवान नरसिंह ने वीरभद्र पर आक्रमण कर दिया परिणामस्वरूप भयंकर युद्ध आरंभ हो गया परंतु कोई अनिष्ट हो इसके पूर्व ही वीरभद्र ने इस अनिर्णायक युद्ध की सूचना महादेव तक पहुंचाई। अब महोदव स्वयं उपस्थित हुए, यह देखकर भगवान नरसिंह और भड़क गये और उन्होंने महादेव पर आक्रमण कर दिया। फिर क्या था? महादेव को भी क्रोध आ गया और उन्होंने एक अति भयंकर स्वरूप ले लिया जिसे “शरभपुरीय”अर्थात् सिंह, पक्षी, गज का मिश्रित आठ हाथों वाला स्वरूप का अवतार कहते हैं।

18 दिनों के महाविनाशकारी युद्ध के उपरांत भगवान नरसिंह क्रोध की चरम सीमा पार कर गये और चेतना समाप्त हो गयी परंतु महादेव पूरी चेतना में थे और उन्हें लगा कि यदि युद्ध और चला तो कहीं उनकी चेतना भी समाप्त न हो जाए और यदि ऐसा हुआ तो महाप्रलय आ जायेगा और सृष्टि ही समाप्त हो जाएगी।

इसलिए शरभ (महादेव) ने भगवान नरसिंह को अपनी पूंछ में लपेट लिया और पाताल में प्रवेश कर लिया। एक लंबे अंतराल तक नरसिंह ने संघर्ष किया पर शरभ की पूंछ से न छूट सके। शनैः शनैः भगवान नरसिंह का क्रोध शांत हुआ और वो महाकाल को पहचान गये तथा क्षमा याचना की। नारायण और ब्रह्मा ने भी मनाया तब शरभ (भगवान शिव) ने भगवान नरसिंह को छोड़ा।

भगवान नरसिंह ने अपने अवसान के पूर्व भगवान शिव से प्रार्थना की, कि उनके इस स्वरूप को त्यागने पर शिव उनके चर्म (चमड़े) पर आसन ग्रहण करेंगे। महादेव ने भाव विभोर होकर स्वीकार किया और तबसे महादेव उसी आसन पर विराजमान होते हैं।

शिवमहापुराण, शतरुद्र संहिता में यह घटना बहुत रोचक ढंग से वर्णित है l नरसिंह बोले —
यदा यदा ममाज्ञेयं मति: स्याद् गर्वदूषिता l
तदा तदा अपनेतव्या त्वयैव परमेश्वर ll

अर्थात् , हे परमेश्वर! जब जब भी मेरी बुद्धि अहंकार दोष से दूषित हो जाय तब आप मेरी इस दुर्बुद्धि को दूर करें l वस्तुत: ये युद्ध एक लीला थी, जो अहंकार और क्रोध की मनोवृत्ति के विकार पर प्रकाश डालती है, अतः भगवान नरसिंह के मान-मर्दन का कोई प्रश्न ही नहीं है। इस प्रकार भक्त प्रह्लाद के कारण दो महान अवतारों के दर्शन प्राप्त हुए।

Topics: Lord VishnuEgoहिरण्यकश्यपHiranyakashyapभगवान विष्णुनृसिंह प्राकट्योत्सवशरभपुरीय अवतारभक्त प्रह्लादअहंकारNarasimha Prakatyotsavभगवान शिवSharabpuriya AvatarLord ShivaDevotee Prahlad
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सौ साल बाद सोमनाथ शिवलिंग के अवशेष सामने आए, महमूद गजनवी ने किया था तोड़ने का प्रयास

कल्पवास – कठिन कामना, अनूठी साधना

माघी पूर्णिमा : गंगाजल में वास करते हैं जगतपालक श्री हरि विष्णु

बैद्यनाथ धाम पहुंचीं अभिनेत्री सारा अली खान

सारा अली खान पहुंचीं बैद्यनाथ धाम, शिव भक्ति में लीन, कट्टरपंथी बोले- मुस्लिम कहलाने लायक नहीं, अल्लाह माफ नहीं करेगा

संभल में 46 साल बाद खुला मंदिर का ताला : खुदाई के दौरान मिला शिवलिंग और प्राचीन कुआं, पुलिस ने साफ-सफाई कर कराया उद्धार

भगवान गणेश प्रथम पूजनीय क्यों?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तानी Air Force की कमांडो, लश्कर की आतंकी : NIA ने किया PAK ARMY और आतंकी गठजोड़ का खुलासा

Neeraj Chopra Olympics

कपिल देव और धोनी के बाद नीरज को मिली सेना में बड़ी उपलब्धि, भाले के साथ संभालेंगे बड़ी जिम्मेदारी

टुकड़ों में पति की हत्या : सिर नदी में, धड़ कुएं में, पैर 38KM दूर… 19 साल छोटे प्रेमी संग पत्नी ने रची खौफनाक साजिश

लखनऊ : सपा विधायक सहित चार को 3 महीने की जेल, 1300 का जुर्माना भी लगा

बूंद-बूंद को मोहताज पाकिस्तान गिड़गिड़ाया, कहा- सिंधु जल संधि पर विचार करे भारत, हमारी फसलें हो रहीं बर्बाद

भारत के स्वदेशी हथियार

ऑपरेशन सिंदूर में गरजा स्वदेशी पराक्रम, दुनिया ने देखा आत्मनिर्भर भारत का दम!

दिल्ली आबकारी घोटाला : AAP नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह कोर्ट में पेश हुए

तुर्किये को एक और झटका : JNU ने तुर्की यूनिवर्सिटी के साथ MOU किया निलंबित

मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेते जस्टिस बीआर गवई

देश के 52वें चीफ जस्टिस बने भूषण रामकृष्ण गवई, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

‘जहां कभी था लाल आतंक, वहां लहरा रहा तिरंगा’ : 21 दिनों में 31 कुख्यात नक्सली ढेर, अमित शाह ने दी जवानों को बधाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies