संस्कृत भारती ने संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए 23 अप्रैल से 3 मई तक दिल्ली के 1008 स्थानों पर संस्कृत सम्भाषण शिविर आयोजित किए। पूरी तरह नि:शुल्क इन शिविरों में लगभग 15,000 लोगों ने भाग लिया। इन्हें प्रतिदिन दो घंटे तक संस्कृत बोलने और समझने का अभ्यास कराया गया। इन शिविरों का समापन 3 मई को हुआ। इसके मुख्य अतिथि थे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती ने 1008 संस्कृत सम्भाषण शिविरों के आयोजन का एक बहुत साहसिक काम किया है। संस्कृत का ह्रास गुलामी के कालखंड से पहले ही होने लगा था। इसलिए इसके उत्थान में समय लगेगा। आज देश में संस्कृत के उत्थान के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती 1981 से संस्कृत में उपलब्ध ज्ञान भंडार को विश्व के सामने रखने, लाखों लोगों को संस्कृत बोलने और संस्कृत में प्रशिक्षित करने का काम कर रही है। विश्व के कई महान विचारकों ने संस्कृत को सबसे वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्वीकार किया है। हमें संस्कृत के ह्रास के इतिहास को स्मरण करने की जगह संस्कृत के उत्थान के लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की आस्था, परंपरा, सत्य, नित्य और सनातन है। ज्ञान और ज्ञान की ज्योति संस्कृत में ही समाहित है। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अनेक विशिष्ट जन उपस्थित थे।
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