बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार वैसे तो मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे अपने आप ही समर्पित दिखाई दे रही है और वह वही काम कर रही है, जो इस्लामिक कट्टरपंथी उससे करवाना चाहते हैं। हिंदुओं के साथ व्यवहार हो या फिर महिलाओं के साथ व्यवहार, वह कट्टरपंथी मुस्लिमों के इशारों पर ही लगभग काम कर रही है। यहाँ तक कि शेख मुजीबुर्रहमान की पूरी-की पूरी विरासत भी नष्ट कर दी, फिर भी मोहम्मद यूनुस ने कुछ नहीं कहा।
बल्कि मोहम्मद यूनुस ने तो कट्टरपंथियों के इशारों पर चलते हुए पाठ्यक्रम आदि में भी परिवर्तन करके बांग्लादेश की बांग्ला पहचान के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया है, मगर फिर भी मोहम्मद यूनुस यह भूल गए कि कट्टरपंथ एक अंधा कुआं है। इसमें आगे जाकर ऐसा मोड है, जिसमें अंधेरा ही अंधेरा है और जिस कट्टरपंथ को वे शेख हसीना के खिलाफ हथियार बना रहे हैं, जिस कट्टरपंथ के चलते बांग्लादेश की बांग्ला पहचान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, वही कट्टरपंथ उनके लिए तो कहीं खतरा नहीं बन जाएगा?
अब बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टियों ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को धमकी और चेतावनी देते हुए कहा है कि आपको तो भागने के लिए 5 मिनट भी नहीं दिए जाएंगे।
दरअसल बांग्लादेश में महिला आयोग को लेकर इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टी मोहम्मद यूनुस सरकार से नाराज हैं।
prothomalo के अनुसार हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश के केन्द्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ढाका महानगर अध्यक्ष मौलाना जुनैद अल हबीब ने चेतावनी दी है कि अगर महिला मामले सुधार आयोग को समाप्त नहीं किया गया और हिफाजत के नेताओं के खिलाफ़ सभी मामले वापस नहीं लिए गए और साथ ही अवामी लीग पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो ढाका सहित पूरे देश में जीवन अस्तव्यस्त हो जाएगा।
डेली स्टार के अनुसार जातीय ओलमा माषयेख एम्मा परिषद के बैनर के अंतर्गत इस्लामिक पार्टियों ने मोहम्मद यूनुस सरकार से मांग की कि महिला मामले के सुधार आयोग को तत्काल रद्द किया जाए।
उन्होनें आयोग की अनुशंसाओं को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया और उन्होनें कहा कि एक ऐसे आयोग का गठन किया जाए जिसमें पाक, तालीम पाई गई और ऐसी सामाजिक चेतना वाली महिलाएं शामिल हों जो देश की महिला आबादी का नेतृत्व करती हों।
इस्लामिक पार्टियों ने कहा कि वे महिला आयोग के पश्चिमी विचारों को पूरी तरह से नकारती हैं। उन्होनें चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने वैसे तो अभी तक सही कदम उठाए हैं जैसे कि संविधान सुधार आयोग आदि, मगर फिर भी महिला आयोग में जो सुधार की अनुशंसएं हैं, वे कहीं से भी मुल्क के यकीन, मूल्यों और रिवाजों के अनुसार नहीं हैं और सीधे ही मजहबी यकीनों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
डिप्लोमा इंजीनियर्स इंस्टीट्यूशन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर रहमान ने कहा कि पूरे आयोग और उसकी सिफारिशों को खारिज किया जाना चाहिए।
महिला कोटा को लेकर है नाराजगी
विरोध कर रही इस्लामिक पार्टियों का कहना है कि एक तरफ तो आयोग बराबरी की बातें करता है और दूसरी तरह महिलाओं के कोटा की भी हर जगह बात करती हैं। आयोग की अनुशंसाओं की आलोचना करते हुए अमीर शफीकुर रहमान ने कहा “”एक तरफ वे समान अधिकारों की बात करते हैं और दूसरी तरफ वे हर जगह महिलाओं के लिए कोटा लागू करने की बात करते हैं। अगर अधिकार समान हैं, तो कोटा की क्या ज़रूरत है? महिलाओं को आरक्षण के बजाय योग्यता के आधार पर पद मिलना चाहिए।”
इन कट्टरपंथी दलों ने मोहम्मद यूनुस को चेतावनी दी कि वे पश्चिम द्वारा थोपे जा रहे एजेंडे पर आगे न बढ़ें।
सरकार को सिफारिशों पर आगे न बढ़ने की धमकी देते हुए बांग्लादेश खिलाफत मजलिस के अमीर मामुनुल हक ने कहा, “यदि सरकार आयोग की सिफारिशों के एक भी हिस्से को लागू करने की कोशिश करती है, तो उसे हमारी लाशों पर ऐसा करना पड़ेगा।”
महिला आयोग की कुछ अनुशंसाओं को लेकर लोगों में काफी नाराजगी है और protham alo के अनुसार परिषद के नेताओं ने यह धमकी दी है कि यदि मोहम्मद यूनुस की सरकार इन अनुशंसाओं पर आगे बढ़ती है तो भागने के लिए पाँच मिनट भी नहीं मिलेंगे।
तस्लीमा नसरीन ने की नोबल कमिटी से मोहम्मद यूनुस से नोबल वापस लेने की मांग
बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर यह मांग की कि मोहम्मद यूनुस का नोबल शांति पुरस्कार वापस लिया जाए।
The Norwegian Nobel Committee,
I know that once a Nobel Peace Prize has been awarded, it cannot be taken back. But please consider whether it is possible in exceptional circumstances.
You awarded the Nobel Peace Prize to Muhammad Yunus of Bangladesh. But he has not done a single…— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 1, 2025
उन्होनें लिखा कि समिति ने मोहम्मद यूनुस को शांति के लिए नोबल पुरस्कार दिया था, जबकि मोहम्मद यूनुस ने एक भी काम शांति के लिए नहीं किया है। उन्होनें लिखा कि पिछले नौ महीनों में, उनके आदेश के तहत, विपक्षी सदस्यों और अल्पसंख्यक हिंदुओं को मार दिया गया है, उनके घरों को जला दिया गया है और नष्ट कर दिया गया है, और कई लोगों को गलत तरीके से कैद किया गया है। उन्होंने देश के इतिहास संग्रहालय को ध्वस्त कर दिया है और बंगाली नायकों की मूर्तियों को नष्ट कर दिया है। पाकिस्तान के एक एजेंट के रूप में वह अब पड़ोसी भारत के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है।
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