पेशवा बाजीराव बल्लाळ की पुण्यतिथि पर रावेरखेड़ी में भव्य आयोजन, शौर्य और समर्पण की अनकही गाथा
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

पेशवा बाजीराव बल्लाळ की पुण्यतिथि पर रावेरखेड़ी में भव्य आयोजन, शौर्य और समर्पण की अनकही गाथा

हिंदवी साम्राज्य के स्वप्न को साकार करने वाले अपराजेय योद्धा श्रीमंत बाजीराव बल्लाळ भट्ट की पुण्यतिथि पर विगत 28 अप्रैल को रावेरखेड़ी में भव्य आयोजन हुआ

by डॉ. राहुल मिश्र
May 2, 2025, 02:23 pm IST
in भारत
पेशवा बाजीराव बल्लाळ

पेशवा बाजीराव बल्लाळ

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हिंदवी साम्राज्य के स्वप्न को साकार करने वाले अपराजेय योद्धा श्रीमंत बाजीराव बल्लाळ भट्ट की पुण्यतिथि पर विगत 28 अप्रैल को रावेरखेड़ी में भव्य आयोजन हुआ। मध्यप्रदेश के खारगौन जनपद में रावेरखेड़ी नर्मदा के तट पर स्थित एक अनजाना-सा गाँव है, लेकिन हिंदवी साम्राज्य के अपराजेय योद्धा की समाधि ने इस गाँव को न केवल वैश्विक मानचित्र पर उकेरा है, वरन् भारतीय शौर्य और सनातन आस्था के समर्पित जनों के लिए तीर्थ की भाँति पूज्यनीय बनाया है।

दिल्ली से विजय-पताका फहराते हुए लौट रहे पेशवा बाजीराव का पड़ाव रावेरखेड़ी में पड़ा था। यहीं उनका स्वास्थ खराब हुआ और 28 अप्रैल, 1740 को उन्होंने देवलोकगमन किया। श्रीमंत के स्वामिभक्त ग्वालियर के सिंधिया राजे ने उनकी समाधि बनवाई। समाधि-स्थल भव्य किले के रूप में है, लेकिन यह स्थान और साथ ही रावेरखेड़ी इतिहास के पन्नों में अनजाना-सा रहा है। सच्चाई तो यह है, कि बाजीराव पेशवा को भी कम लोग ही जानते होंगे। वर्ष 2015 में एक फिल्म आई थी- बाजीराव मस्तानी। यह फिल्म नागनाथ इनामदार के मराठी उपन्यास राऊ पर केंद्रित थी। इस फिल्म ने बाजीराव पेशवा का जैसा परिचय समाज को देने का प्रयास किया, वह भारत के गौरवपूर्ण अतीत का अनुशीलन और समाज का सच से निदर्शन नहीं करा सका है। पेशवा बाजीराव की अद्भुत युद्धकला, उनका संगठन-कौशल, उनका शौर्य और पराक्रम, उनकी वीरता के अनेक गौरवपूर्ण अध्यायों पर एक मनगढंत प्रेमकथा का आवरण डाला गया है। मस्तानी बुंदेल-केसरी वीर छत्रसाल की धर्म-पुत्री थी, और पराक्रम में भी किसी से कम नहीं थी। महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव पेशवा को अपना पुत्र मानते हुए बुंदेलखंड के राज्य का एक तिहाई भाग बाजीराव पेशवा को दिया था। कुँवरि मस्तानी ने महाराजा छत्रसाल के गुरु महामति प्राणनाथ द्वारा प्रवर्तित प्रणामी संप्रदाय की विधिवत् दीक्षा ली थी। बाजीराव पेशवा और मस्तानी कुँवरि के संबंध अतीत की सच्चाई हैं, लेकिन इनका केवल कल्पनाजन्य विस्तार ही कथा-उपन्यासों और फिल्मों तक आता है।

खेदजनक तो यह है, कि बाजीराव-मस्तानी के संबंधों का सम्यक मूल्यांकन और ऐतिहासिक शोधपरक अध्ययन इतिहासकारों के अध्ययन-क्षेत्र में नहीं आ सका। फलतः सही व सर्वाङ्गपूर्ण जानकारी का अभाव हमारे चरितनायक को, भारतीय शौर्य की गौरवशाली परंपरा के प्रमुख मानबिंदु को, बाजीराव बल्लाळ भट्ट को अपेक्षित मान नहीं दिला सका।

सैन्य-अध्ययन में बहुत प्रचलित युद्ध-तकनीक है- ब्लिट्जक्रेग। हिंदी में इसे विद्युतगति युद्ध कह सकते हैं। इस युद्ध पद्धति के जनक पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट थे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने गुरिल्ला युद्ध पद्धति के द्वारा मुगलों को अनेक युद्धों में परास्त किया था। उनकी इस युद्ध-पद्धति को सामयिक आवश्यकता और अनिवार्यता के अनुरूप विस्तारित करते हुए श्रीमंत बाजीराव ने बिजली की गति से शत्रु पर टूट पड़ने की युद्ध पद्धति को अपनाया। शत्रु जब तक युद्ध के हालात को समझ पाए, तब तक शत्रु पर चारों ओर से एकसाथ आक्रमण कर देना। उनकी इसी युद्ध पद्धति के कारण उन्हें हर युद्ध में विजयश्री मिली। ब्रिटिश सेना के फील्ड मार्शल बर्नार्ड लॉ मांटगोमरी द्वितीय विश्वयुद्ध के सबसे सफल और प्रमुख कमांडर थे। जनरल मांटगोमरी की प्रसिद्ध पुस्तक है- हिस्ट्री आफ वारफेयर। इस पुस्तक में उन्होंने बाजीराव पेशवा की अश्वसेना सहित उनकी बिजली-युद्ध पद्धति की बहुत प्रशंसा की है। वे लिखते हैं, कि- “पेशवा बाजीराव प्रथम एक भी युद्ध नहीं हारे। वे सदैव संख्याबल में कम, किंतु कुशल घुड़सवार सैनिकों के साथ बिजली की गति से आक्रमण कर दुश्मन की लाखों की सेना को परास्त कर देते थे।“

28 फरवरी, 1728 को संभाजीनगर (पूर्ववर्ती औरंगाबाद) के निकट पालखेड़ गाँव के समीप हुए पालखेड़ का युद्ध उनके इस रणकौशल का उत्कृष्टतम उदाहरण है। पालखेड़ के युद्ध में उनकी नवोन्मेषी युद्धनीति, रणनीति और राजनीतिक कुशलता का अद्भुत साम्य देखने को मिलता है। इसी कारण पालखेड़ का युद्ध विश्व के चर्चित और प्रसिद्ध युद्धों में अपना स्थान भी रखता है और आज भी ‘केस-स्टडी’ के रूप में पढ़ा-पढ़ाया जाता है। ब्रिटेन और अमरीका में आज भी सैन्य-अध्ययन के अंतर्गत पालखेड़ का युद्ध ‘केस-स्टडी’ के रूप में पढ़ाया जाता है।

पिता बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के उपरांत छत्रपति शाहूजी महाराज के समक्ष पेशवा के पद को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया था। उस समय बाजीराव की आयु 19 वर्ष के आसपास थी। अल्पवय के बाजीराव की वीरता और कर्मठता ने शाहूजी महाराज को बहुत प्रभावित किया, और उन्होंने बाजीराव को पेशवा नियुक्त किया। इसके उपरांत बीस वर्षों तक बाजीराव पेशवा ने कभी अपनी कमर की तलवार नहीं खोली, कभी अश्व की सवारी नहीं छोड़ी और अटक से कटक तक भगवा ध्वज फहराकर शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज के स्वप्न को साकार किया। विश्व का इतिहास साक्षी है, कि शक्तिशाली सेनापति हो या सामान्य-सा सैनिक, या फिर परिवार का ही व्यक्ति… अवसर पाते ही सत्ता हथियाने के प्रयास प्रारंभ कर देता है। भारत का मध्यकाल तो ऐसे विश्वासघातों से भरा पड़ा है, जहाँ सत्ता पाने के लिए भाई अपने भाइयों को मार डालता है, पिता को बंदी बना लेता है… भतीजा अपने चाचा की धोखे से हत्या कर देता है, आदि…आदि।

इसी मध्यकाल में अप्रतिम योद्धा बाजीराव बल्लाळ भट्ट की स्वामिभक्ति, उनका त्याग और समर्पण, आदर्श और नैतिकता की अक्षय कीर्ति सनातन भारतीय परंपरा के, उदात्त भारतीय जीवन-पद्धति और जीवन दर्शन के जीवंत-जागृत साक्ष्य के रूप में हमारे समक्ष है। पेशवा बाजीराव की प्रधान मुद्रा में अंकित एक-एक शब्द उनके विराट व्यक्तित्व को उद्घोषित करता है। उनकी मुद्रा में अंकित है-

“श्रीराजा शाहूजी नरपती हर्षनिधान-बाजीराव बल्लाळ पंतप्रधान”

पंतप्रधान बाजीराव बल्लाळ छत्रपति शाहूजी महाराज की ओर से मुद्रा अंकित करते हैं। दक्षिण से उत्तर तक अपने अश्वों की पदचाप से विधर्मी आक्रांताओं द्वारा पददलित भारतभूमि को स्वातंत्र्य का अमृतपान कराने वाले इस अपराजेय योद्धा ने कभी भी राज्यलिप्सा नहीं पाली, कभी भी यश की लालसा नहीं पाली…। अखंड भारत के लिए, हिंदवी स्वराज के लिए अपने तन-मन को गलाया, समर्पित किया। बाजीराव पेशवा को ‘राऊ’ कहकर पुकारा जाता था। ‘राऊ’ अर्थात् सरदारों में सर्वश्रेष्ठ…। यह उपाधि उन पर खरी बैठती थी। मराठा साम्राज्य का विस्तार और म्लेच्छ आक्रांताओं की कुत्सित चालों व नीतियों का दमन करते हुए दिल्ली तक अपनी कीर्ति-पताका फहराने वाले बाजीराव पेशवा को ‘महाराष्ट्र केसरी’, ‘हिंद केसरी’ के रूप में हम जानते हैं। ‘हर-हर महादेव’ का उद्घोष करते हुए सिंह की भाँति विधर्मियों पर टूट पड़ने वाले श्रीमंत बाजीराव ने मुगलों को दिल्ली के आसपास तक सीमित कर दिया था। इतना ही नहीं, पेशवा बाजीराव के भय से मुगल शासकों को दिल्ली भी हाथ से जाती दिख रही थी।

पेशवा बाजीराव ने ही समूचे भारतदेश की अखंडता और हिंदू राजसत्ता पर आधृत हिंदू पदपादशाही का सिद्धांत दिया था, जिसका विस्तार के साथ उल्लेख स्वातंत्र्यवीर सावरकर की इसी नाम से रचित पुस्तक में मिलता है। पेशवा बाजीराव का ही पराक्रम था, कि उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में शक्तिकेंद्र स्थापित किए। होलकर, पवार, सिंधिया, गायकवाड़, शिंदे आदि वीर राजे-रजवाड़े पेशवा बाजीराव के प्रयासों से ही सशक्त और समर्थ होकर सक्रिय हुए।

अप्रतिम योद्धा, माँ भारती के अमर सपूत, भारतीय शौर्य परंपरा के संवाहक, शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज को साकार करने वाले पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट को हमारी नई पीढ़ी कितना जानती है? यह प्रश्न हमारे सामने है। निःसंदेह ‘फिल्मी नैरेटिव’ ने बहुत गलत संदेश दिया है, जिसका सुधार करना हमारा दायित्य है। हमारा इतिहास केवल पराजय का इतिहास नहीं है, जैसा कि बताया जाता है, पढ़ाया जाता है। हमारा इतिहास पेशवा बाजीराव जैसे महान योद्धाओं की अपरिमित शौर्यगाथाओं से भरा हुआ है। पेशवा बाजीराव ने अपने लगभग चालीस वर्ष के छोटे-से जीवन में, बीस वर्ष के अंतराल में चालीस लड़ाइयाँ लड़ीं, और सभी में विजय प्राप्त की। विश्व इतिहास में सिकंदर को महान बताया जाता है, अपराजेय बताया जाता है। लेकिन वह भी परास्त हुआ था, भारत को जीतने का उसका सपना कभी सच नहीं हो सका था। यहाँ से उसे वापस लौटकर जाना पड़ा था। ऐसे में जो जीता, वो सिकंदर कैसे हुआ? पेशवा बाजीराव ने शत प्रतिशत युद्ध जीते। इसलिए जो जीता, वह बाजीराव कहा जाना चाहिए।

‘जो जीता, वो बाजीराव’ का उद्घोष करते हुए पेशवा बाजीराव के प्रति आस्थावान देशभक्तों का एकत्रीकरण रावेरखेड़ी में हुआ। सनातन भारतीय परंपरा के रक्षक, रण-धुरंधर, पराक्रमी, अद्वितीय योद्धा, हिंद केसरी, प्रबल प्रतापी पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट का समाधि-स्थल उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के कारण 28 अप्रैल को चर्चा में आया, यहाँ चहल-पहल हुई लेकिन शेष समय में यह पवित्र स्थल उपेक्षित ही रहता है। ज्ञात हुआ है, कि कुछ समय पूर्व कुछ जागरूक लोगों के प्रयासों से आवागमन के साधन सुलभ हुए हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। विशेष रूप से अपनी आने वाली पीढ़ी को ऐसे अद्वितीय नायक, अपराजेय योद्धा के बारे में बताया जाना…..।

Topics: शिवाजी महाराजभारतीय इतिहासमराठा साम्राज्यBajirao Peshwaपेशवा बाजीराव बल्लाळहिंदवी साम्राज्यभारतीय शौर्य परंपरापेशवा बाजीरावश्रीमंत बाजीराव पेशवा पुण्यतिथि
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

वामपंथी झूठ की उघड़ती परतें

शिवाजी के दरबार में वरिष्ठ श्रीमंत, सलाहकार थे

हिन्दू साम्राज्य दिवस : हिंदवी स्वराज्य के स्वप्नदर्शी छत्रपति

छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज: आधुनिक भारत के सच्चे निर्माता

छत्रपति शिवाजी महाराज

धर्म, स्वराज्य और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रतीक: शिवाजी महाराज

पेशवा बाजीराव

अपराजेय योद्धा

‘अकबर महान पढ़ाया, लेकिन छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता क्यों छुपाई.?’ : क्रिकेटर ने एक्स पर पूछा बड़ा सवाल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies