पहलगाम में जिहादी हमले से उपजे हालात में रूस ने भारत के पक्ष में खड़े होने का फैसला क्या सुनाया, जिन्ना के देश के पसीने छूटने लगे हैं। हमले के बाद रूस और भारत के बीच बातचीत हुई है। रूस के उप विदेश मंत्री ने मास्को में भारत के राजदूत से बात की। इस बातचीत के बाद, रूस ने सार्वजनिक रूप से भारत का पक्ष लिया है। हमले के फौरन बाद राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने संवेदनाएं व्यक्त करते हुए भारत को समर्थन देने की बात की थी। उस वक्त जिन्ना के देश को लगा था कि शायद रूस अपना रुख बदल लेगा, लेकिन अब यह तय है कि मास्को अपने मित्र से अलग नहीं होगा।
इसमें संदेह नहीं है कि पहलगाम आतंकी हमले में 26 हिन्दुओं की हत्या हुई थी। उस नरसंहार के बाद दुनियाभर के देशों ने भारत को समर्थन देने की बात कही है। लेकिन पाकिस्तान को विशेष रूप से रूस की उक्त घोषणा से कंपकंपी जैसी छूट गई है। कारण यह है कि हमले के बाद चौथे दिन पाकिस्तान ने खुद को बेदाग दिखाने की गरज से रूस और चीन की अगुआई में एक अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की थी। उसे लग रहा था कि चीन तो उसका आका है ही, वह उसका पक्ष लेगा, लेकिन चीन क्योंकि यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस के साथ खड़ा रहा है इसलिए रूस भी चीन के कहने पर पाकिस्तान की हां में हां मिला देगा। लेकिन यह गणित औंधे मुंह जा गिरा जब चीन ने किसी प्रकार के समर्थन की बजाय टका सा जवाब दे दिया कि संयम बरतो।
रूस भी अब घोषणा कर चुका है कि वह भारत के पाले में है और भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में उठाए जाने वाले हर कदम के साथ खड़ा है। यही वह बात है जो पाकिस्तान के पेट में मरोड़ें उठाए हुए है। रूस के उप विदेश मंत्री एंद्रे रुदेंको का भारतीय राजदूत विनय कुमार के साथ चर्चा के बाद यूं खुलकर भारत का समर्थन करना बेशक पुतिन के अनुमोदन और मंशा को ही झलकाता है।
इस्लामी खलीफा बनने के सपने पाले बैठा तुर्किए ही है जिसने कश्मीर पर पाकिस्तान के इस षड्यंत्र और उसके नतीजे को लेकर उसका पक्ष लिया है। अन्यथा दुनिया के लगभग सभी सभ्य देश भारत के पाले में हैं। रूस के उप विदेश मंत्री का बयान है कि रूस वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध भारत के साथ मिलकर करारा जवाब देने को हर तरह से तैयार है। मास्को में भारत के राजदूत विनय कुमार द्वारा रूस को पहलगाम हमले की विस्तृत जानकारी दी गई थी। इसके बाद रूस के रुख को देखकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आनन—फानन में अपना एक दूत मास्को भेजा जिसने रूस के उप विदेश मंत्री से भेंट की।
इस बारे में रूस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली की अनुनय के बाद रूस के उप विदेश मंत्री ने उनसे भेंट की। इस चर्चा में रूस और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों के अलावा भारत—पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव को दूर करने को लेकर भी बात हुई।
रूस का एक ओर आधिकारिक रूप से यह कहना रहा है कि भारत और पाकिस्तान से बाचतीत करके आपस का विवाद शांतिपूर्ण तरीके से दूर करें। इससे पूर्व रूस के उप विदेश मंत्री भारतीय राजदूत के साथ अपनी भेंट के बाद कह चुके थे कि दक्षिण एशिया की ताजा परिस्थितियों पर विस्तार से बात हुई है। भारत ने भी इस बात की तस्दीक की है कि रूस साझा रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिए तैयार है।
पाकिस्तानी के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ यह मांग उठा चुके हैं कि रूस, चीन अथवा पश्चिम के देश पहलगाम नरसंहार की जांच में सम्मिलित हों जो बताए कि ‘भारत के आरोप सच है कि नहीं।’ प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी मांग कर चुके हैं कि पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच होनी चाहिए। इस बीच रूस और चीन के वरिष्ठ राजनयिकों ने ‘आतंकवाद से निपटने पर चर्चा’ की थी। रूस के विदेश मंत्रालय द्वारा बयान में पहलगाम नरसंहार का सीधे सीधे जिक्र न करके यह कहा गया कि बैठक में दक्षिण एशिया के हालात पर विस्तार से बात हुई।
बैठक के बाद जारी बयान में ‘‘नियमित सलाह मशविरा’’ न लिखकर ‘‘बैठक’’ शब्द लिखना भी एक खास संकेत देता है। खासतौर पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा ‘आरआईए नोवोस्ती’ (रूसी समाचार एजेंसी) को जो इंटरव्यू दिया गया था उसके आलोक में। ख्वाजा ने कहा था कि मॉस्को तथा बीजिंग ‘निष्पक्ष’ जांच में शामिल हों।
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