पहलगाम की घटना के बाद सबसे पहला सवाल उठ रहा है कि क्या पुलिस प्रशासन से सुरक्षा में चूक हुई है, जिससे इतनी बड़ी घटना घट गई? तो मैं मानता हूं कि निश्चित रूप से यह सुरक्षा चूक है। जिस क्षेत्र में यह घटना घटी, वहां बड़ी संख्या में पर्यटकों की आवाजाही लगी हुई है।

पूर्व डीजीपी, जम्मू-कश्मीर
मुझे सूचना मिली है कि वहां सेना का एक कैंप और सीआरपीएफ की गश्त होती थी। वहां पर स्थानीय पुलिस के उपर सुरक्षा नहीं छोड़ी जाती। ऐसे में क्या सब बंदोबस्त किए जा रहे थे? निश्चित रूप से ये सारे जांच के विषय हैं, जो छानबीन होने पर खुलकर सामने आएंगे।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कुछ दिन पहले भारत के खिलाफ जो जहर उगला था, जिहादी हमला परिणाम ही यह है। पाकिस्तान की भारत को लेकर बिल्कुल स्पष्ट मंशा है। उसने भारत के खिलाफ जिहाद की जंग छेड़ी हुई है। इसलिए इस हमले बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। इसलिए हमारी जो जवाबी कार्रवाई हो, वह इतनी प्रभावी हो कि इनकी कमर तोड़ दे।
टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। सब उसी के आतंकी हैं। इसमें 90 फीसदी पाकिस्तानी हैं। टीआरएफ नाम से तो लोगों को गुमराह किया जाता है। ताकि दुनिया ये समझे कि यह स्थानीय आतंकी संगठन है और इसके पीछे छिपा लश्कर ए तैयबा बच जाए।
यह सब कुछ पाकिस्तान करवा रहा है। और दूसरी बात ऐसे हमलों में स्थानीय मदद भी होती है। बिना स्थानीय मदद के कभी हमला नहीं हो सकता। क्योंकि यह एक पूरी कड़ी होती है जो खाने-पीने से लेकर आने-जाने और उनके रहने से लेकर रास्ता बताने और यह भी बताने कि यहां पुलिस या जवान नहीं रहते सो आसानी के साथ टारगेट किया जा सकता है। हकीकत में ऐसी सभी घटनाओं में पाकिस्तान का ही हाथ होता है।
पहलगाम में जो हुआ और पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने जो कहा, उसका एक संबंध है। यह कोई आतंकवादी हमला नहीं है बल्कि पाकिस्तानी फौज का हमला है। कुछ समय पहले ऐसी खबरें आई थीं कि पाकिस्तानी आर्मी हमास के आतंकियों को पीओजेके में लश्कर और जैश के कैंप में ले गए। गत् 7 अक्तूबर को हमास द्वारा इस्राएल पर हमला हुआ था। उसी तर्ज पर पहलगाम में हमला किया गया।
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अगर ऐसा नहीं भी है तो भी उसका ही फुटप्रिंट लगता है। जहां तक मेरा मानना है तो वह यह है कि पाकिस्तान इस नरसंहार की तैयारी काफी समय से कर रहा था। इसलिए अब हमें इस घटना का जवाब इस्राएल जैसा ही देना चाहिए ताकि पाकिस्तानी सेना की कमर टूट जाए और उसके टुकड़े-टुकड़े हो सकें। क्योंकि इस वक्त पाकिस्तान की हालात बहुत खराब है। बलूचिस्तान, सिंध, पीओजेके की हालत जग जाहिर है। इसलिए घर के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान इस तरह की घटना को अंजाम देकर कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाना चाहता है।
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