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नाइजीरिया में इस्लामिक आतंकियों ने 62,000 ईसाइयों का किया नरसंहार

नाइजीरिया में मुस्लिम फुलानी समूह द्वारा ईसाइयों के खिलाफ जारी नरसंहार की अनदेखी। मार्च-अप्रैल 2025 में 126 से अधिक हत्याएं, बलात्कार और विस्थापन के बावजूद मुख्यधारा मीडिया और यूएन की चुप्पी।

by सोनाली मिश्रा
Apr 25, 2025, 09:52 am IST
in विश्व
Nigeria Fulani Muslim terrorist killed more than 62000 christian

नाइजीरिया में ईसाइयों की हत्या (फोटो साभार: जीनोसाइड वॉच)

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जहाँ एक ओर भारत में जिहादी आतंकियों के हाथों भारतीयों के मारे जाने पर पूरे विश्व में चर्चा हो रही है और सोशल मीडिया के साथ ही मीडिया में भी लोग इसकी भर्त्सना और निंदा लगातार कर रहे हैं, तो वहीं अफ्रीकी देश नाइजीरिया में ईसाइयों का कत्लेआम लगातार मुस्लिम फुलानी समूह द्वारा किया जा रहा है और मार्च से लेकर अभी तक सैकड़ों हत्याओं के बाद भी यह समाचार सोशल मीडिया ही नहीं, बल्कि मीडिया से भी गायब है।

जीनोसाइड वाच पोर्टल के अनुसार 27 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक कुल 126 ईसाइयों की हत्या हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इस वेबसाइट के अनुसार, इन हत्याओं में 27 मार्च को रुवि गाँव में एक अंतिम यात्रा में 12 शोकाकुलों की हत्याएं, एक 19 वर्षीय महिला का सामूहिक बलात्कार भी शामिल है।

नाइजीरिया में Plateau State में नाइजीरिया सेना की शांति सेना होने के बावजूद इन ईसाई समुदायों के साथ हो रहे अत्याचार बंद नहीं हो रहे हैं। जीनोसाइड वाच के अनुसार क्रिश्चियन सालिडैरीटी इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. जॉन ऐबनेर ने बताया, “नाइजीरिया के व्यापक और अच्छी तरह से वित्त पोषित सुरक्षा तंत्र की ओर से कोई प्रभावी हस्तक्षेप नहीं हुआ है और अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।”

ये और भी डराने वाले तथ्य है कि लगभग सभी हत्याएं कुल्हाड़ी से सिर काटकर की गई हैं। एक सात वर्षीय बच्चे नेनचे स्टीवेन को भी कुल्हाड़ी से गला काटकर मारने का प्रयास किया गया था। स्टीवन्स के पिता की हत्या 13 अप्रैल को कर दी गई थी और फिर कुल्हाड़ी से उसकी माँ के हाथ काट दिए गए और उसके दो भाई बहनों को भी मार दिया गया। उसके गले पर भी कुल्हाड़ी चलाकर छोड़ दिया गया था। मगर वह किसी प्रकार बच गया और रह-रह कर दर्द से चीखता है।

नाइजीरिया के उर्वरक मध्य प्रांत में मुस्लिम फुलानी समूह वर्ष 2018 से ही हमला करता आ रहा है। वह उनकी भूमियों पर कब्जा कर रहा है और लोगों को वहाँ से भयभीत करके भगा रहा है। फ्रांस 24 पोर्टल के अनुसार भी नाइजीरिया के बेनुए राज्य में बीते सप्ताह कम से कम 56 लोगों की हत्याएं बंदूकधारियों ने कर दी है। सेंट्रल नाइजीरिया में चरवाहों और किसानों के बीच भूमि के प्रयोग को लेकर झड़पें आम बात हैं। मगर चूंकि चरवाही अधिकतर मुस्लिम फुलानी समूह से हैं और किसान ईसाई समुदाय से तो यह संघर्ष मजहबी संघर्ष या कत्लेआम में बदल जाता है। इस महीने ही 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

जीनोसाइड वाच ने 24 मार्च से 13 अप्रेल तक में जो कत्लेआम हुए हैं, उनकी सूची दी है-

24 मार्च 2025 को फुलानी चरमपंथियों ने 19 वर्षीय महिला का अपहरण किया और फिर उसके साथ चार दिनों तक तहोस में सामूहिक बलात्कार किया।

2 अप्रैल: बोक्कोस एलजीए के हुरती समुदाय के 15 गांवों पर संदिग्ध फुलानी चरमपंथियों द्वारा एक साथ हमला किया गया, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित 56 लोगों की मौत हो गई। 28 घायल हो गए और 5,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़कर दूसरे इलाकों में चले गए।

6 अप्रैल: रियोम एलजीए के डबवाम के इमैनुएल दाऊ फुलानी चरमपंथियों के हमले में घायल हुए। उसी दिन, जोस साउथ एलजीए के व्वांग जिले के फविल समुदाय के श्री बिट्रस ग्यांग म्वांजा ​​पर फुलानी चरमपंथियों द्वारा हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।

10 अप्रैल: रियोम एलजीए के तंजोल के ग्यांग डैनबवारंग और जोशुआ म्वागवोंग फुलानी चरमपंथियों द्वारा किए गए हमले में घायल हो गए।

12 अप्रैल: रियोम एलजीए के वेरेंग समुदाय के डैनियल म्वांटी पर फुलानी चरमपंथियों द्वारा हमला किया गया और उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। फुलानी चरमपंथियों के लोगों ने इशाया दानबवारंग की कृषि भूमि पर लगी फसलों को भी नष्ट कर दिया। 13 अप्रैल को बायेई के लिलिया ग्यांग की फसलों को फुलानी चरमपंथियों के लोगों ने नष्ट कर दिया। 13 अप्रैल को हथियारबंद फुलानी उग्रवादियों ने बासा एलजीए के क्वाल जिले के किमाकपा समुदाय के ज़िके गांव पर हमला किया, जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से 15 बच्चे थे। 9 लोग घायल हो गए और 2,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए। 103 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए।

जीनोसाइड वाच की ही एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 से लगभग 62,000 नाइजीरियन ईसाइयों की हत्या की जा चुकी है।

इन हत्याकांडों पर कुछ एक्टिविस्ट मुख्यधारा मीडिया की चुप्पी पर प्रश्न करते हैं। लोग प्रश्न करते हैं कि आखिर यूएन में भी इन मारे गए लोगों के प्रति कोई संवेदना क्यों नहीं व्यक्त की जाती है और न ही इन हत्याओं के प्रति निंदा प्रस्ताव भी पारित होता है।

Topics: nigeriaनाइजीरियाChristiansgenocideनरसंहारइस्लामिक आतंकीफुलानी मुस्लिमहत्याFulani MuslimsmurderईसाईIslamic terrorists
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