ब्रिटेन में जेल में बढ़ रहा कैदियों में इस्लामिस्ट कट्टरपंथियों का दबदबा
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ब्रिटेन की जेल में बढ़ रहा इस्लामी कट्टरपंथी कैदियों का दबदबा: अधिकारी हुए बेबस

ब्रिटेन की जेलों में इस्लामिस्ट गिरोहों का बढ़ता वर्चस्व और हिंसा की खबरें उजागर हो रही हैं। क्या यह औपनिवेशिक काल में भारत की जेलों में हुए अत्याचारों का प्रतिबिंब है?

by सोनाली मिश्रा
Apr 17, 2025, 11:40 am IST
in विश्व, विश्लेषण
Britain Jail filled with Islamist

प्रतीकात्मक तस्वीर

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ब्रिटेन में जहाँ एक तरफ ग्रूमिंग गैंग्स के दोषियों को नहीं पकड़ा जा रहा है और लोगों की शिकायतें हैं कि अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा रहा है, तो वहीं यह प्रश्न भी उठता है कि क्या जेल जाना ही समस्याओं का हल है? क्या जेल में जाकर उन्हें दंड मिलेगा या फिर अपराधों की एक नई शृंखला आरंभ हो जाएगी? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि जो हाल ही में रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार इस्लामिस्ट गिरोहों ने ब्रिटेन की जेलों में भी अपना कब्जा कर लिया है।

हालांकि, जेल में इस्लामिस्ट गिरोहों का कब्जा कोई नई बात नहीं है। ऐसा अक्सर होता आया ही है। सावरकर ने भी यह बताया है कि कालापानी की सजा के दौरान किस प्रकार मुस्लिम वार्डन्स द्वारा हिन्दू कैदियों को प्रताड़ित किया जाता था और उन्हें इस्लाम में लाने के लिए प्रलोभित भी किया जाता था। उन्होंने अपनी पुस्तक में माई ट्रैन्स्पर्टैशन फॉर लाइफ में लिखा भी था कि कैसे मुस्लिम कैदी और मुस्लिम वार्डन हिन्दू कैदियों को प्रताड़ित करते थे। और उनका पूरा का पूरा गिरोह जेल में भी मतांतरण का काम निर्बाध करते थे।

यह अंग्रेजों की नीति थी कि मुस्लिम वार्डन रखे जाएं। उन्होंने भारत में किसी न किसी कुटिल नीति के कारण ही यह किया होगा। यह हो भी सकता है कि उन्हें यह सब पता हो या फिर न पता हो, या उस समय उनके लिए हिंदुओं को प्रताड़ित करना और मनोबल तोड़ना आवश्यक लगा हो।

क्या ब्रिटेन के पुराने पाप ही अब उसके पास लौट कर आ रहे हैं और अब उसकी जेलों में भी वही सब हो रहा है, जो भारत में जब मुस्लिम वार्डन्स के माध्यम से औपनिवेशिक शासन के दौरान हो रहे थे? जीबी न्यूज़ के अनुसार, ब्रिटेन के शैडो जस्टिस सेक्रेटरी रॉबर्ट जेनरिक ने कहा कि इस्लामिस्ट गैंग्स ब्रिटेन की जेलों में शासन चला रहे हैं और शरिया अदालतें चला रहे हैं।

जीबी न्यूज़ से बात करते हुए जेनरिक ने इस प्रवृत्ति की चेतावनी देते हुए कहा कि इसके पीछे हाशिम अबेदी का हाथ हो सकता है, जो मेनचेस्टर अरेना बम विस्फोट के दोषियों में से एक है। हाशिम ने उच्च स्तरीय सुरक्षा वाली एचएमपी फ्रैंकलैंड में जेल के तीन अधिकारियों पर हमला किया। टेलीग्राफ के अनुसार, फ्रैंकलैंड में अबेदी 22 हत्याओं के लिए सजा काट रहा है और उसे इस्लामिस्ट गिरोहों द्वारा चलाया जा रहा है, जो दूसरे कैदियों को मारने या हमला करने की धमकी देते हैं, अगर वे उनके साथ नहीं जुड़ते हैं तो। और वह यह भी लिखता है कि एचएमपी फ्रैंकलैंड अकेली जेल नहीं है, जहाँ पर ऐसे काम किये जा रहे हैं।

कई पूर्व कैदी यह बताते हैं कि कैसे इस्लामिस्ट गिरोहों और उसके विरोधी समूहों के बीच लगातार हिंसा चलती रहती है। कई कैदियों का यह कहना है कि हालांकि, अब ये झड़पें कम हो गई हैं। परंतु इसका कारण यह नहीं है कि अधिकारियों ने नियंत्रण वापस ले लिया है, बल्कि इसका कारण यह है कि अब सत्ता का निर्धारण हो चुका है कि जेल के भीतर इस्लामिस्ट गिरोहों की ही सत्ता चलेगी और कई साथी उनके पक्ष में चले गए हैं और जिन्होंने ऐसा नहीं किया है, वे लगातार अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित होते रहते हैं।

प्रिज़न ऑफिसर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी स्टीव गिलन का यह कहना है कि कुछ कैदी गिरोह के साथ जुड़ना ही चाहते हैं, तो कुछ रक्षा के लिए करते हैं, क्योंकि वे संख्या में अधिक है या फिर उन्हें लगता है कि मुस्लिम गिरोह में होना एक स्टेटस है। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा। शुक्रवार को नमाज के बहाने इकट्ठा होंगे और रमजान की शाम को बेहतर भोजन मिलेगा।

11 सितंबर वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमले के बाद और उसके बाद यूके में हुए कुछ आतंकी हमलों के बाद कट्टरपंथी मुस्लिमों के कैदी होने में काफी वृद्धि हुई है। सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग जेल में हैं जो स्वभाव से हिंसा से भरे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि पहली बार ही ऐसी रिपोर्ट आई है या पहली बार ऐसी चिंता व्यक्त की गई है। टेलीग्राफ में लिखा है कि पूर्व जेल गवर्नर इयान एचसन ने इस्लामिस्ट आतंकवादी अपराधियों के इकट्ठा होंने को लेकर खतरा पहचान लिया था। उन्होंने जो रिपोर्ट पहले बनाई थी, उसमें यह स्पष्ट लिखा था कि तीनों जेलों में ऐसे कैदियों के लिए अलग सेंटर बनाने चाहिए।

उन्होंने लगभग एक दशक पहले ही हौआस ऑफ कॉमन्ज़ जस्टिस कमिटी को बताया था कि जो भी माहौल अभी दिख रहा है वह कट्टरपंथियों के लिए उपजाऊ जमीन है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि जेल में बंद कई हाई-प्रोफाइल इस्लामी चरमपंथी और आतंकवादी सक्रिय रूप से इस्लामी विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं और अन्य कैदियों के आसपास ऐसा करने की क्षमता रखते हैं, जो उस विचारधारा का शिकार बहुत आसानी से बन जाएंगे।

मगर यह खतरा ब्रिटेन में एक दशक पहले ही आया हो ऐसा नहीं लगता या फिर यह कहा जाए कि उन्हें इस खतरे का आभास था ही, उन्हें इसकी भयावहता भी पता ही होगी, क्योंकि भारत में ऐसा वह देख चुके थे। जो कुछ भी सावरकर ने अपनी पुस्तक में लिखा था और जिससे प्रेरित होकर एक फिल्म भी भारत में बनी थी, जिसमें जेलों में किस प्रकार से मुस्लिम कैदी और अधिकारी किस प्रकार हिंदुओं का मतांतरण कराते हैं, और तरह-तरह के अत्याचार करते हैं, कैसे मानसिक उत्पीड़न किया जाता है।

ब्रिटेन में एक पूर्व कैदी रयान बताया कि जब वह बेलमार्श जेल में था, तो वहाँ के आंतकी कैदी ऐसे थे, जिनके नजदीक होना लोग अपनी खुशकिस्मती मानते थे। उसने टेलीग्राफ को बताया था कि एक नया कैदी आता है और छ महीने या एक साल के भीतर वे उसके दोस्त बन जाते हैं और ये लोग एक अपराधी को चरमपंथी में बदल देते हैं।

Topics: मैनचेस्टर बम विस्फोटBritish prisonsIslamist gangscolonial atrocitiesSavarkar Kalapaniब्रिटेन की जेलेंradicalisation in prisonइस्लामिस्ट गिरोहSharia courtsऔपनिवेशिक अत्याचारManchester bombingsसावरकर कालापानीजेल में कट्टरपंथशरिया अदालतें
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