देहरादून: उत्तराखंड में सौर ऊर्जा के लिए आने वाला निवेशक परेशान है, कारण ऊर्जा विभाग उन्हें भूमि उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। जहां भूमि है वहां अवैध कब्जे हैं, ऊर्जा विभाग उन्हें हटवा नहीं पा रहा है और इसके पीछे वजह है भू माफिया तंत्र की जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
करीब डेढ़ साल पहले उत्तराखंड में निवेश के लिए इन्वेस्टर समिट में सबसे ज्यादा एमओयू (एक लाख करोड़) से अधिक ऊर्जा सेक्टर में हुए और सबसे कम करीब चार हजार करोड़ की ग्राउंडिंग ही ऊर्जा सैक्टर की ही बताई जा रही है और इसके पीछे बड़ी वजह ऊर्जा सेक्टर में निवेशक यहां सोलर प्लांट्स लगाने आ रहे हैं, किंतु विभाग उन्हें भूमि उपलब्ध करवा नहीं पा रहा है। जिन्हें जो भूमि दी गई है उनमें अवैध रूप से लोग बसे हुए हैं, जिन्हें हटाने के लिए की जा रही कागजी कार्रवाई भी फाइलों में धूल खा रही है।
जानकारी के मुताबिक पछुवा दून में विकास नगर यूजेवीएनएल कॉलोनियों के खंडर हो चुके मकानों, नहर किनारे भूमि को अतिक्रमण मुक्त करा के यहां निवेशकों को सोलर प्लांट्स के लिए दी जानी है। ऐसी जानकारी मिली है कि यूजेवीएनएल के कुछ अधिकारी जल विद्युत परियोजनाओं के ठेकदारों से मिली भगत कर उनके श्रमिकों को यहां टिकाए हुए हैं। बहुत से फल रेड़ी डंपर चालक और अन्य बाहरी लोग यहां सरकारी इमारतों में अवैध रूप से कब्जे कर के बैठे हुए हैं।
डाक पत्थर, लखवाड़ और अन्य कॉलोनियों को सैकड़ों हैक्टेयर सरकारी भूमि अवैध कब्जेदारी में है। यूजेवीएनएल के अधिकारियों द्वारा भूमि से अवैध कब्जे हटाने के लिए नोटिस प्रक्रिया आरंभ की है, डी और सी टाइप कॉलोनियों में मुनादी भी कराई है कि अवैध कब्जेदार स्वयं यहां से चले जाएं अन्यथा प्रशासन अपनी कार्रवाई करेगा। इस मुनादी के बाद यहां अवैध रूप से बसे बाहरी लोगों के ठेकेदार राजनीतिक संरक्षण के लिए स्थानीय नेताओं की शरण में पहुंच गए, जिसके बाद से सरकार पर दबाव आना शुरू हो गया कि कैसे भी हो कुछ समय के लिए ये कार्रवाई रोक दी जाए?
इसी क्षेत्र में पिछले साल शक्ति नहर आसन नदी किनारे से भी अतिक्रमण हटाया गया था। वहां से जो अतिक्रमण कारी हटाए गए वो झुंड के रूप में ही यूजेवीएनएल कॉलोनियों में घुस कर अवैध कब्जे कर बैठ गए हैं। उधर शासन प्रशासन पर निवेशकों का भारी दबाव है। निवेशकों के द्वारा लगातार ये कहा जा रहा है कि उन्हें यदि आबंटित भूमि पर प्रोजेक्ट लगाने को कब्जा नहीं मिला तो वे दूसरे राज्य में चले जायेंगे। एक निवेशक की भूमि पर पहले ऊर्जा विभाग ने अड़चन लगाई उसके बाद वन विभाग ने बर्ड रिजर्व की अपनी भूमि बता दिया।
एक अन्य निवेशक को जर्जर सिंचाई गोदाम दिया गया अब उसे गिरवाने के लिए वो दफ्तरों में धक्के खा रहा है। बताया जाता है कि सिंचाई विभाग ने ऊर्जा विभाग की भूमि सैनिक कल्याण विभाग को दी हुई है जो कि गैर कानूनी है। इस बारे में शासन ने जिला अधिकारी देहरादून को भी निर्देशित किया है कि वो अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के लिए तैयारी करें।
उधर सीएम पुष्कर सिंह धामी बार बार ये दोहराते रहे हैं कि सरकारी भूमि से हर हाल में अतिक्रमण हटाया जाएगा। श्री धामी कहते हैं कि निवेशकों के लिए जो लैंड बैंक हमने बनाया हुआ है वहां पर ही निवेशक अपने प्रोजेक्ट लगाएंगे।
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