जनजातियों की संस्कृति को बचाने की है जरूरत : दत्तात्रेय होसबाले
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जनजातियों की संस्कृति को बचाने की है जरूरत : दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि देश के विकास में परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन जरूरी है।

by WEB DESK
Apr 12, 2025, 04:28 pm IST
in झारखण्‍ड
पुस्तक का लोकार्पण करते श्री दत्तात्रेय होसबाले। साथ में हैं पुस्तक के लेखक श्री अशोक भगत और अन्य अतिथि

पुस्तक का लोकार्पण करते श्री दत्तात्रेय होसबाले। साथ में हैं पुस्तक के लेखक श्री अशोक भगत और अन्य अतिथि

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि देश के विकास में परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन जरूरी है। विकास की बात जब हम करते हैं तो विनाश की बात भी आती है, परंतु इसमें संतुलन कैसे बना रहे, इसके लिए समाज के चिंतनशील, विज्ञानी और पर्यावरणविद जैसे लोगों को सोचना होगा। हमें प्रकृति के पूरक रहते हुए विकास की आधुनिक धारा को लेकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि जनजातियों की संस्कृति को बचाने की जरूरत है। समाज विकास करे, आगे बढ़े, लेकिन वह अपनी परंपरागत संस्कृति को भी बचाए।

वे 11 अप्रैल को रांची के आरोग्य भवन परिसर में विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत की पुस्तक ‘परंपरा और प्रयोग’ के विमोचन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में जल-जंगल और जमीन भी बचे और उपभोग वाद की संस्कृति में भी न फंसे, यह ध्यान रखना है। उन्होंने महात्मा गांधी की विचारधारा में राम राज्य की चर्चा करते हुए वामपंथी विचारधारा पर प्रहार करते हुए कहा कि पुराने समय में समाज में शोषण तो हुआ, परंतु विद्रोह से समाज में बदलाव नहीं लाया जा सकता है, जो नक्सलवाद से जुड़े लोग कर रहे हैं। समाज में स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोग भी काम कर रहे हैं। समाज परिवर्तन के लिए नानाजी देशमुख और  पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी जैसे कई लोगों ने काम किया। आज अशोक भगत जी जैसे संघ के सैकड़ों कार्यकर्ता अलग-अलग क्षेत्रों में प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर काम कर रहे हैं।

श्री होसबाले ने कहा कि विकास भारती की यात्रा से जनजातियों के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है। उनमें विश्वास जगा है। यह विश्वास उनके जैसे जीवन जीने से जगा है। भगत जी ने अपना शहर छोड़ने के साथ ही नाम भी बदल लिया और वेशभूषा भी बदल ली। उत्तर प्रदेश के होने के बाद भी राजनीति के क्षेत्र में नहीं जाकर समाज सेवा को अपना कर्मक्षेत्र बनाया। वैसे राजनीति में भी आज अच्छे काम हो रहे हैं। उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए समाज जीवन में हमें काम करना है। अपने संशोधन में पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि उस समय अशोक जी के तेवर दिखते थे। मैं अभाविप की बैठकों में दक्षिण से आता था।

इस मौके पर ईएनटी के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप जोशी ने पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि आज भी पुस्तक का कोई विकल्प नहीं है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य आशा लकड़ा ने अशोक भगत के कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मंच संचालन डा. रंजना चौधरी ने की। वहीं मंच पर क्षेत्र संघचालक श्री देवव्रत पाहन व डॉ. अजय सिंह भी थे। पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है।
कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, क्षेत्र प्रचारक रामनवमी प्रसाद, संगठन मंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी, कर्मवीर सिंह, प्रांत प्रचारक गोपाल शर्मा, एकल अभियान के ललन शर्मा, मयंक रंजन सहित शहर से सैकड़ों गणमान्य लोग, संघ के पदाधिकारी, सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों के कई कुलपति आदि मौजूद थे।

Topics: JharkhandranchiDattatreya Hosabaleashok bhagat
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