गत 29 मार्च को लखनऊ में भारतीय नव वर्ष की पूर्व संध्या के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसका आयोजन ‘नव वर्ष चेतना समिति’ एवं ‘भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय’ ने किया। इसके मुख्य अतिथि थे अयोध्या-स्थित सिद्धपीठ श्रीहनुमन्निवास के पीठाधीश्वर स्वामी मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज।
उन्होंने कहा कि भारतीय नववर्ष के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी पर प्रकाशित ‘नव चैतन्य’ के विशेषांक ‘शतायु संघ’ का लोकार्पण भी हुआ।
समारोह के मुख्य वक्ता और ‘प्रज्ञा-प्रवाह’ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री रामाशीष सिंह ने कहा कि संघ के शताब्दी-वर्ष के उपलक्ष्य में प्रकाशित यह विशेषांक संघ के 100 वर्ष की गौरवमयी यात्रा का प्रामाणिक दस्तावेज है।
यह विशेषांक संघ के विचारात्मक और ऐतिहासिक पक्षों को संजोने का प्रयास है। इसमें ऐतिहासिक संदर्भ, दुर्लभ चित्र, प्रेरक प्रसंग एवं महत्त्वपूर्ण दस्तावेज संकलित किए गए हैं, जो शोधार्थियों, विचारकों एवं उन पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे, जो संघ की विचारधारा और उसके सामाजिक-सांस्कृतिक योगदान को गहराई से समझना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री हृदयनारायण दीक्षित ने अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रीय विचारधारा को सुदृढ़ करने में ऐसे प्रकाशनों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
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