सच 123 का
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सच 123 का

कांग्रेसी सरकारों ने विरोध के बाद भी दिल्ली की 123 संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को दे दिया था। इस कारण वक्फ बोर्ड से जुड़े कुछ लोग संसद भवन की जमीन पर भी दावा जताते हैं। वक्फ संशोधन विधेयक में कांग्रेस के इस पाप को सदैव के लिए दफनाने की व्यवस्था की गई है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Apr 8, 2025, 12:20 pm IST
in भारत, विश्लेषण
5 मार्च, 2014 को सोनिया-मनमोहन सरकार द्वारा जारी राजपत्र, जिसके आधार पर वक्फ बोर्ड को 123 संपत्तियां दी गईं

5 मार्च, 2014 को सोनिया-मनमोहन सरकार द्वारा जारी राजपत्र, जिसके आधार पर वक्फ बोर्ड को 123 संपत्तियां दी गईं

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गत 2 अप्रैल के दिन को भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों मेंं लिखा जाएगा। इस दिन लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजीजू ने वक्फ संशोधन विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा, “यदि यह विधेयक नहीं लाया जाता तो वक्फ बोर्ड संसद भवन को भी अपनी संपत्ति बताकर उस पर दावा जताने लगता।” यह कोई साधारण बयान नहीं था। केंद्र सरकार लंबे समय से अनुभव कर रही थी कि वक्फ बोर्ड बदमाशी कर रहा है। बता दें कि वक्फ बोर्ड से जुड़े कुछ लोग बराबर कहते रहे हैं, “जिस जमीन पर भारत की संसद बनी है, वह वक्फ की है।”

5 मार्च, 2014 को सोनिया-मनमोहन सरकार द्वारा जारी राजपत्र, जिसके आधार पर वक्फ बोर्ड को 123 संपत्तियां दी गईं

इनकी यह हरकत छोटी नहीं है। प्रश्न यह है कि इन लोगों के पास यह कहने का दुस्साहस कहां से आया! इसका उत्तर लोकसभा में बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किरण रिजीजू द्वारा दिए गए बयानों में ही मिलता है। दोनों ने अपने भाषण में दिल्ली की उन 123 वक्फ संपत्तियों की बार-बार चर्चा की, जिन्हें सोनिया-मनमोहन सरकार ने 5 मार्च, 2014 को लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद एक राजपत्र जारी कर वक्फ बोर्ड को देने का निर्णय लिया था। हालांकि उस समय विश्व हिंदू परिषद के विरोध के बाद चुनाव आयोग ने उस निर्णय को निरस्त कर दिया था।

बता दें कि इन 123 संपत्तियों में कुछ सपत्ति तो अति संवेदनशील स्थानों पर है, तो कुछ संपत्ति खंडहर में बदल गई है, लेकिन अधिकांश संपत्ति पर व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं। एक तरह से इस संपत्ति पर कुछ प्रभावशाली लोगों का कब्जा है। यानी वक्फ की संपत्ति का कुछ लोग अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

यही कारण है कि 2023 में केंद्र सरकार ने इन संपत्तियों को अपने पास रखने का निर्णय लिया। इसके बाद केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय से जुड़े उप भूमि और विकास अधिकारी (डी.एल.डी.ओ.) ने 8 फरवरी,2023 को दिल्ली वक्फ बोर्ड को एक पत्र लिखकर बताया, “123 संपत्तियां केंद्र सरकार की हैं और सरकार ने इन्हें कब्जे में लेने का निर्णय लिया है।” डी.एल.डी.ओ. ने उस पत्र में कहा था, “सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस.पी. गर्ग की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय समिति ने अपनी रपट में लिखा है कि उसे गैर-अधिसूचित वक्फ संपत्तियों को लेकर दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से कोई आपत्ति नहीं मिली है। इस समिति में पूर्व एस.डी.एम. राधा चरण भी शामिल थे। फरवरी, 2022 में इस समिति का गठन हुआ था। इस समिति ने इस संपत्ति पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के दावे की जांच की। समिति ने वक्फ बोर्ड को कई बार बुलाया और अपना पक्ष रखने को कहा, लेकिन वक्फ बोर्ड ने न तो कोई जवाब दिया और न ही उसका कोई प्रतिनिधि समिति के सामने हाजिर हुआ।” इसके बाद समिति ने अपनी रपट सरकार को सौंप दी। उसी रपट के आधार पर सरकार ने उपरोक्त निर्णय लिया था।

वास्तव में इन 123 संपत्तियों का विवाद बहुत पुराना है। एक जानकारी के अनुसार इस सारी संपत्ति को 1911-15 के बीच तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने अपने अधीन ले लिया था। इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाई गई थी और उनका मुआवजा भी दिया गया था। इसके बावजूद बाद में इन संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने दावा जता दिया।

यही नहीं, 1970 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इस संपत्ति को एकतरफा वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। दिल्ली वक्फ बोर्ड की इस हरकत का तत्कालीन भारत सरकार ने विरोध किया। सरकार ने इन सभी संपत्तियों के लिए अलग-अलग नोटिस जारी किया। इसके साथ ही सरकार ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी.डी.ए.) से कहा कि वह इन संपत्तियों का सर्वेक्षण करे। इसके बाद डी.डी.ए. के अधिकारियों ने जगह-जगह जाकर इनका सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस संपत्ति को न तो ‘वक्फ’ किया गया था और न ही उसके लिए कोई ‘वाकिफ’ निुयक्त किया गया था। डी.डी.ए. ने अपनी रपट में लिखा था, “इन संपत्तियों पर तथाकथित वक्फ या वाकिफ का वास्तविक कब्जा नहीं था।” यह भी लिखा है, “इनमें से किसी भी संपत्ति में कोई मस्जिद, मकबरा या कब्रिस्तान था ही नहीं।”

यही नहीं, वक्फ बोर्ड के दावे के विरुद्ध तत्कालीन केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 123 अलग—अलग मुकदमे भी दायर किए। सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि ये संपत्तियां उसके द्वारा 1911-15 में अधिग्रहित की गई थीं। बाद में कुछ संपत्तियों को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को हस्तांतरित कर दिया गया था, लेकिन वे कभी भी दिल्ली वक्फ बोर्ड से संबंधित नहीं रही हैं।

वर्तमान में इन 123 संपत्तियों में से 61 का स्वामित्व शहरी विकास मंत्रालय के तहत भूमि और विकास कार्यालय के पास है, जबकि शेष दिल्ली विकास प्राधिकरण के पास। इनमें से अधिकतर संपत्ति कनॉट प्लेस, मथुरा रोड, लोधी रोड, मान सिंह रोड, पंडारा रोड, अशोका रोड, जनपथ, संसद भवन, करोल बाग, सदर बाजार, दरियागंज और जंगपुरा के आसपास हैं। इनका क्षेत्रफल लगभग 1,360 एकड़ है और इनकी कीमत 30 हजार करोड़ रु से अधिक है।

अभी न्यायालय में मुकदमा चल ही रहा था कि मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए 1974 में भारत सरकार ने इन संपत्तियों पर एक उच्चाधिकार समिति बना दी। इस समिति का अध्यक्ष दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एस.एम.एच. बर्नी को बनाया गया। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं, “जो दिल्ली वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों को पर दावा करता था, उसके अध्यक्ष को ही यह तय करने का अधिकार दिया गया कि ये संपत्तियां किसकी हैं। इस कारण वही हुआ, जो वक्फ बोर्ड चाहता था।” बर्नी समिति ने अपनी रपट में लिखा, “ये संपत्तियां वक्फ संपत्ति के रूप में कार्य कर रही हैं।” इसके साथ ही बर्नी समिति ने इस संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने की सिफारिश की। इस संपत्ति में एक उपराष्ट्रपति आवास के परिसर में है और दूसरी वायरलेस स्टेशन के अंदर। बर्नी समिति ने इन दोनों के लिए अपनी रपट में लिखा कि इन दोनों स्थानों पर समिति के सदस्यों को जाने की अनुमति नहीं मिली।

भारत सरकार ने बर्नी समिति की सिफारिश को फाैरन मान लिया और यह सारी संपत्ति दिल्ली वक्फ बोर्ड को पट्टे पर दे दी। 27 मार्च, 1984 को भारत सरकार ने एक आदेश जे 20011/4/74.1-2 जारी किया। उसमें कहा गया कि यह सारी संपत्ति सालाना एक रुपए प्रति एकड़ की दर से वक्फ बोर्ड को पट्टे पर दी जाती हैं। इंद्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद ने भारत सरकार के इस निर्णय का जबर्दस्त विरोध किया। उसी वर्ष विश्व हिंदू परिषद ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर (1512) कर कहा कि भारत सरकार ने गलत ढंग से अरबों की संपत्ति दिल्ली वक्फ बोर्ड को दी है। याचिका की पहली सुनवाई में ही उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी। केंद्र सरकार ने उस याचिका के विरोध में न्यायालय में जो दलील दी, वह चकित कर देने वाली है। सरकार ने कहा, “ये सभी संपत्तियां भारत सरकार की हैं। इन संपत्ति को किसी अन्य विभाग या संगठन को दिए जाने के बारे में कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है।…”

दिल्ली वक्फ बोर्ड का कार्यालय

यह मामला कई वर्ष तक उच्च न्यायालय में चला। न्यायालय ने सरकार से बार-बार पूछा कि उसने किस आधार पर ये संपत्तियां वक्फ बोर्ड को दी हैं? क्या इस पर कोई नीति बनाई गई है? इस पर 29 अगस्त, 2005 को महाधिवक्ता ने न्यायालय से नीति बनाने के लिए छह महीने का समय मांगा। न्यायालय ने छह महीने का समय दे दिया, लेकिन सरकार छह साल तक सोती रही। बाद में विहिप ने फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 12 फरवरी, 2011 को उच्च न्यायालय ने इस मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया, “सरकार इस मामले को नए तरीके से देखकर नीति बनाए और छह महीने में इस काम को पूरा करे।” लेकिन तय छह महीने में सरकार कोई नीति नहीं ला पाई। इसके बाद अदालत ने 5 सितंबर, 2011 तक की तारीख देेते हुए निर्देश दिया, “सरकार इस आदेश का पालन करतेे हुए नीति तय करे और उसकी एक प्रति याचिकाकर्ता के वकील को भी दे।” लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र सरकार ने कोई नीति नहीं बनाई। उलटे भारत सरकार ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित 2013 के एक कानून की धारा 93 (1) का हवाला देते हुए इन संपत्ति से अपना कब्जा वापस ले लिया। यह धारा कहती है, “संबंधित सरकार को ऐसे किसी भी भूखंड के अधिग्रहण को वापस लेने का अधिकार है, जिसका कब्जा अभी तक नहीं लिया गया हो।”

इसके बाद 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनाव की घोषणा होने के बाद सोनिया-मनमोहन सरकार ने 5 मार्च, 2014 (बुधवार) को एक राजपत्र (566) जारी कर 123 संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को दे दिया।

विश्व हिंदू परिषद ने एक बार फिर सरकार के इस निर्णय का विरोध किया। विहिप के तत्कालीन महामंत्री चंपत राय के नेतृत्व मेें एक प्रतिनिधिमंडल 18 मार्च, 2014 को मुख्य चुनाव आयुक्त से मिला और उन्हें एक पत्र सौंपा। उस पत्र के पैरा 11 में लिखा गया है, “यह बड़ा आश्चर्यजनक है कि लगभग एक शताब्दी पूर्व अधिग्रहित की गई संपत्तियों का कब्जा लेने में सरकार विफल रही। और उसने एक ही झटके में माननीय न्यायालय में दाखिल अपने वक्तव्य या कानूनी कार्रवाइयों और शपथपत्रों को नकार दिया।” विहिप ने चुनाव आयोग से यह भी कहा, “सरकार ने अल्पसंख्यक के नाम पर अरबों की संपत्ति थाली में परोस कर दे दी।” इसके बाद चुनाव आयोग ने सरकार के आदेश को खारिज कर दिया।

इस तरह यह मामला उस समय रुक गया। बाद में मई, 2014 में सरकार बदल गई। नरेंद्र मादी प्रधानमंत्री बने। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने एक बार फिर से इस मामले को सरकार के समक्ष उठाया। वहीं, कुछ अन्य संगठन भी इस संपत्ति पर ‘सरकार कब्जा करे’ की मांग को लेकर न्यायालय पहुंचे। इसी बीच केंद्र सरकार ने गर्ग समिति की रपट के आधार पर इन संपत्ति को अपने पास ही रखने का निर्णय ले लिया था। अब वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद इस संपत्ति का भी विवाद समाप्त हो जाएगा और उम्मीद है कि इसका देशहित में उपयोग होगा।

ताजमहल और लालकिला को वक्फ घोषित कर दें!

अगस्त, 2024 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी.एस. अहलूवालिया ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पूछा था कि क्या ताजमहल और लालकिला जैसी ऐतिहासिक इमारतों को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया जाना चाहिए? इसके साथ ही उन्होंने बुरहानपुर स्थित मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बीबी साहिब और नादिरशाह के मकबरे को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कहा कि अगर कोई इमारत प्राचीन स्मारक घोषित है तो उसे वक्फ की संपत्ति बताना गलत है। मामला वक्फ की तीन संपत्तियों पर अतिक्रमण के आरोप से जुड़ा था। वक्फ बोर्ड ने मांग की थी कि इन संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया जाए। इस पर न्यायालय ने वक्फ बोर्ड से इन संपत्तियों के दस्तावेज मांगे, लेकिन वह कोई दस्तावेज नहीं दे पाया था।

वनवासी समाज की जीत

वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने पर वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि जनजातियों की भूमि को सुरक्षित रखने के लिए भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का बहुत-बहुत आभार और अभिनंदन! उन्होंने यह भी कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम ने कुछ समय पूर्व देशभर के विभिन्न स्थानों पर अपना पक्ष रखते हुए जे.पी.सी. को ज्ञापन दिए थे। उसी के कारण जे.पी.सी. ने अपनी रपट में सरकार से यह सिफारिश की कि वक्फ संशोधन विधेयक में जनजातियों की जमीन की सुरक्षा के प्रावधान करें। वनवासी कल्याण आश्रम के सतत प्रयासों का यह परिणाम है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में यह घोषणा की कि जनजातियों की जमीन, संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची की जनजाति भूमि के दायरे से बाहर रहेगी।

123 संपत्तियां, जो वक्फ बोर्ड को दी गई थीं

क्र. सं.  संपत्ति
1. 1/1, अब्दुल नबी मस्जिद, मथुरा रोड
2. 2/1, बाबर शाह मस्जिद और तिकया, निकट तिलक पुल
3. 6/1, बाबर रोड मस्जिद रेलवे लाइन और विद्यालय के निकट
4. 47/1, निजाम गली हाउस मस्जिद, निजाम पैलेस के भीतर
5. 61/1, अब्दुल हक मस्जिद, विद्या भवन के सामने, कर्जन रोड
6. 64/1, कब्रिस्तान, इंडियन एक्सप्रेस के पीछे, मथुरा रोड
7. 57/1, मस्जिद और दरगाह सैयद, फिरोजशाह कोटला के पीछे
8. 68/1, कब्रिस्तान कादीन, दक्षिण इंद्रप्रस्थ, मथुरा रोड
9. 72/1, दरगाह हजरत कुतब हादेव शेख मोहम्मद निकट विकास मीनार
10. 31/1, मिन्टो पुल मस्जिद के और एल ब्लॉक के बीच कनाट प्लेस
11. 9/1, मस्जिद इर्विन अस्पताल कम्पाउन्ड के पीछे (भीतर)
12. 29/1, पक्का मजार मस्जिद के निकट जे. पी. अस्पताल के भीतर
13. 11/1, घोसियां मस्जिद उर्फ झील की प्याऊ, लिंक हाउस के सामने, मथुरा रोड
14. 20/1, शाह सरदुल्ला गुलशन का मकबरा, प्लाजा सिनेमा के निकट, ‘एच’ ब्लॉक, कनाॅट प्लेस
15. 27/1, मीरदर्द रोड मस्जिद और शाह वलीविया मोहम्मद का मजार, इरविन अस्पताल के पीछे
16. 39/1, दरगाह शेख कलीमुल्लाह साहिब जहाना बाड़ी दिल्ली परेड ग्राउंड, निकट लाल किला
17. 40/1, दरगाह सदाउद्दीन इबास और शाहसाहिब, दिल्ली परेड ग्राउण्ड निकट लाल किला
18. 46/1 मस्जिद मौलाना आजाद मेडिकल कालेज कम्पाउण्ड के भीतर, मथुरा रोड
19. 49/1, मस्जिद और कब्रिस्तान फजल मोहम्मद रामलीला मैदान, तुर्कमान गेट
20. 58/1, मीरदर्द मस्जिद दरगाह और मस्जिद ख्वाजा, बैरन रोड
21. 67/1, दरगाह पोर भारे साहिब, ‘ए’ वार्ड-2, जामा मस्जिद के सामने
22. 66 /1, कब्रिस्तान, लुडलो कैसल, दिल्ली
23. 69/1, रसालेवाली मस्जिद, सिविल लाइन क्षेत्र, तिमारपुर
24. 50/1, मस्जिद कसाल रोड, निकट गुरुद्वारा
25. 55/1, दरगाह शाह बाड़े, सिविल लाइन जोन, बेला रोड
26. 42 / 1, पहाड़ी वाली मस्जिद, खैबर पास के निकट सिविल लेन, माल रोड
27. 34 / 1, मस्जिद तिब्बिया कॉलेज, अजमल खान रोड, करोलबाग
28. 24 / 2, मस्जिद और मजार चौंसठ खंभा
29. 18 / 2, मुस्लिम कब्रिस्तान जिसमें मजार सैयद लाला उददीन है, कोठी सं. 4 के पीछे, कर्जन रोड
30. 7/1, जाप्ता गंज मस्जिद, इंडिया गेट के निकट, मान सिंह रोड
31. 23/1, वेलिजली रोड मस्जिद, काका नगर के भीतर
32. 33/1, मस्जिद मोतीलाल नेहरू मार्ग नई दिल्ली कोठी सं. 13 और 15 ( बुजिया और मस्जिद ) के बीच
33. 43/1, काका नगर, वेलिजली रोड, नई दिल्ली (मस्जिद और मजार बीबी फातिमा), नई दिल्ली
34. 44/1, काका नगर वेलिजली रोड, नई दिल्ली (मस्जिद और मजार बीबी फातिमा)
35. 62/1, बाबरी मस्जिद, पंडारा रोड, नई दिल्ली
36. 3 / 2 मस्जिद, लाजपत नगर, फ्रैंक एंथनी प्राइमरी स्कूल के सामने, नई दिल्ली
37. 4 / 2 मस्जिद मकबरे बस्ती बस्ती सेवा नगर-8 अलीगंज, नई दिल्ली
38. 5/2 मस्जिद और दरगाह फतेहशाह अब्दुल कादिर बस्ती निजामुद्दीन, नई दिल्ली से हुमायूं मकबरा का पश्चिम, नई दिल्ली – 39
39. मुस्लिम कब्रिस्तान ग्राम अलीगंज कालान मस्जिद की बगल में
40. फिरोजशाह दक्षिण कब्रिस्तान क्षेत्र की ओर
41. 19 / 2, मुस्लिम कब्रिस्तान, अलीगंज लिंक रोड के साथ
42. 20 / 2 मस्जिद चक्कर वाली, बस्ती निजामुद्दीन
43. 21/2 मुस्लिम कब्रिस्तान जंगपुरा
44. 1/3 मुस्लिम कब्रिस्तान, ग्राम अलीगंज, खसरा सं. 529
45. 4/1 मस्जिद निकट हनुमान मंदिर, इर्विन रोड
46. 5/1, वैस्टर्न कोर्ड मस्जिद, जनपथ
47. 12/1, धोबियां मस्जिद निकट लिंक रोड
48. 13/1 मजार खुदानुमा, पहाड़ी पर न्यू लिंक रोड
49. 14 / 1, मस्जिद मुनिरका गांव, मार्किट वी, आर. के. पुरम
50. 21/1, अशोक रोड मस्जिद
51. 32 / 1, मस्जिद चित्र गुप्त रोड
52. 45/1, सुनहरी बाग मार्ग, निकट उद्योग भवन मस्जिद
53. 59/1, कलाली बाग मस्जिद, आर. के. मार्ग के निकट
54. 60/1, जामा मस्जिद, रेड क्रास रोड, संसद् भवन के निकट
55. 73/1, दरगाह और मस्जिद, अब्दुल सलीम, नारायणा होटल, लेडी हार्डिंग अस्पताल के निकट
56. 52/2, इमामिया हाल, पंचकुइयां रोड
57. 35 / 1, मस्जिद शांति निवास, कनाट प्लेस
58. ‘एच’ 10, टोडर मल लेन, बंगाली मार्किट के निकट कब्र
59. 48 / 1, मोहला कब्रिस्तान, तुर्कमान गेट
60. 47 / 1, मस्जिद हाजी इस्माइल जापान वाला
61. 51/1, वजीराबाद पुल के निकट मस्जिद कब्रिस्तान
दिल्ली विकास प्राधिकरण की संपत्तियां
क्रम सं. संपत्ति
1. दरगाह हरे-भरे खसरा सं. 152, जामा मस्जिद के सामने
2. मस्जिद बोरीवली खसरा सं. 45, मकान सं. 5052, वार्ड 2, दरियागंज उत्तर
3. इस्लामिल खसरा सं. 199, 408 / 199 मकान सं. 552 से 557, वार्ड सं. 13, सदर बाजार उत्तर
4. मस्जिद तकियावाली खसरा सं. 334, मकान सं. 6435, सदर बाजार दक्षिण
5. मस्जिद कप्तानवाली खसरा सं. 611/514, मकान सं. 90, 118 से 120 वार्ड सं. 16, करोल बाग, फैज रोड
6. मस्जिद आमवाली खसरा सं. 109, मकान सं. 1617 से 1619, 1699 से 1703, वार्ड सं. 3 बी. बी. रोड
7. बाड़ा हिन्दू राव खसरा सं. 12 मकान सं. 7831, वार्ड सं. 14 शीदीपुरा
8. दरगाह मामू भांजा खात सं. 16 वार्ड सं. 15, झंडेवालान
9. मजार भोलू शाह, खसरा सं. 168, वार्ड सं. 3, मकान सं. 4297 / 2, सदर बाजार उत्तर
10. मस्जिद बेलनवाली खसरा सं. 28, वार्ड सं. 11, मकान सं. 5033 से 5034, दरियागंज
11. कदम शरीफ बगीची अलाउद्दीन, खसरा सं. 31, मकान सं. 10394 से 10398, वार्ड सं. 15
12. लाल मस्जिद, खसरा सं. 1, संपत्ति सं. 5161 से 5163 और 5170, वार्ड सं. 7, जीबी रोड, लाहौरी गेट
13. दहगाह कब्रिस्तान, खसरा सं. 1819, वार्ड सं. 11, दरियागंज दक्षिण
14. मकबरा और कब्र, खसरा सं. 139, नगर चारदीवारी के भीतर, मकान सं. 2116, वार्ड सं. 10, पुलिस चौकी के निकट तुर्कमान गेट
15. मस्जिद खजूर वाली, खजूर रोड़, खसरा सं. 559 / 256 257, मकान सं. 456 से 459, 472 से 475, वार्ड सं. XVI, करोल बाग, खजूर रोड़
16. छुजा मेम मकान सं0 6686 में खसरा सं0 223, वार्ड सं. XIII, सदर बाजार, उत्तरी मोहल्ला
17. नाईवाला एस्टेट, खसरा सं. 934, मकान सं. 1608 और 1609, वार्ड सं. XVI, करोल बाग
18. कदम शरीफ, खसरा सं. 94, मकान सं. 3666, वार्ड सं. XIV,
19. नाईवाला एस्टेट, खसरा सं. 1319 / 298 / 1 और 299 मकान सं. 2522, करोल बाग
20. नाइवाला एस्टेट, खसरा सं. 277 278 279 मकान सं. 2551-57 वार्ड सं. xvi, करोल बाग
21. कुतुब रोड, मकान सं. 3507 और 3531 से 3534, वार्ड सं. XVI, खसरा सं. 28, 1/1, सदर बाजार, दक्षिण
22. दरगाह हजरत ख्वाजा बाकीवाला, खसरा सं. 119 कदम शरीफ, मकान सं. 5659 और 5712 वार्ड सं. XV, कुतुब रोड
23. मस्जिद और कब्रिस्तान, खसरा सं. 201 / 169 / 36 मकान सं. 8694 से 8695 और 8827 वार्ड सं. XVI, शाही शीदीपुरा
24. खसरा सं. 442/372 मकान सं. 6052 से 6053 वार्ड सं. XIII, गली मटके वाली, सदर बाजार उत्तर
25. बच्चों का घर, खसरा सं. 89/48 49 50 मकान सं. 5028 और 5029, वार्ड सं. XI, दरिया गंज, उत्तर
26. हरी मस्जिद, खसरा सं. 215 मकान सं. 2185, वार्ड सं. XV, पहाड़ गंज
27. ख्वाजा खुमारी मस्जिद, खसरा सं. 764/ 218 / 1 मकान सं. 2039 2039-ए, 2041 2041ए, 2042, 2044/2, 2044 2047 और 2038 2042ए, 2043 2043ए, पहाड़गंज
28. शीदीपुरा, खसरा सं. 114 /34, 115 / 34, 116 / 34, 1177 34-35, मकान सं. 8798/6, 8799, 1003, 1304, वार्ड सं. XIV, शीदीपुरा
29. मस्जिद दरजिया, मकान सं. 7884 से 7884सी, 4, घर, बाड़ा हिन्दू राव, शीदीपुरा
30. घटा मस्जिद, खसरा सं. 72, मकान सं. 4414, 4414अ, 4417, और 4418, वार्ड XI, दरियागंज उत्तर
31. इमामबाड़ा, खसरा सं. 40, संपत्ति सं. 5051-3659, 3696, 3702, वार्ड XI, दरियागंज उत्तर
32. मस्जिद शेरखान खसरा सं. 184/ 48, मकान सं. 7975, 7992 से 8013, 8023 8024 और 8066 से 8070, वार्ड सं. XIV, बाड़ा हिन्दू राव, शीदीपुरा
33. मस्जिद इमलीवाली, खसरा सं. 280, मकान सं. 656 से 653 और 661 वार्ड सं. XIII चौक तेलीवाड़ा, सदर बाजार उत्तर
34. बड़ी माकर में, खसरा सं. 452/374 और 45/374, मकान सं. 6103, वार्ड सं. XVI, सदर बाजार उत्तर
35. कदम शरीफ, खसरा सं. 81, मिन मकान सं. 6695, वार्ड सं. XV कदम शरीफ
36. खसरा सं. 153/56, वार्ड सं. XV दरियागंज उत्तर
37. संगताराशन मस्जिद, खसरा सं. 98 मकान सं. 3180, मकान सं. 3180, वार्ड सं.XV, पहाड़गंज
38. मस्जिद और दरगाह सं. 876/526-527, मकान सं. 2500-2501, वार्ड सं. XV, पहाड़गंज
39. कदम शरीफ, खसरा सं. 156 / 1, मकान सं. 7228-30 वार्ड सं. XV ( मस्जिद चूनावाली)
40. चमेलिया कब्रिस्तान, खसरा सं. 201 / 163 / 36, वार्ड सं. XIV, शीदीपुरा।
41. मस्जिद बंदिरावाली, खसरा सं. 165, मकान सं. 11386, वार्ड सं. XV, कदम शरीफ
42. शनिली मस्जिद, तरकीयान ग्रेवयार्ड, खसरा सं. 203, मकान सं. 1953 से 1954, वार्ड सं. XIII, सदर बाजार उत्तर
43. जीर्ण शीर्ण मस्जिद सिकन्दारिया मस्जिद खसरा सं. 221/ 2-3-5 से 7 (मिन) एम पी एल. सं. 6515, वार्ड XIV, झण्डेवालान
44. खसरा सं. 140, मकान सं. 3450, जंगपुरा
45. निजामुद्दीन बस्ती गंदे नाले के पास, खसरा सं. 607, जंगपुरा
46. भीम कुराना मस्जिद, खसरा सं. 126/22, 127/22, चिराग उत्तर, झील कुरंजा, शाहदरा
47. नाईवाला खसरा सं. 1203/1140, नाईवाला
48. महल मस्जिद, चिमनी मिल वार्ड सं. XIV एम पी एल सं. 8212 से 8218, खसरा सं. 13 मिन, बाड़ा हिन्दू राव
49. दरगाह शाह अब्दुल हुसैन खसरा सं. 8265, मकान सं. 4875-B, वार्ड सं. XI, दरियागंज, दक्षिण
50. दरगाह अब्दुल खादूस खसरा सं. 21/ 2-3-5 से 7 (मिन) एम पी एल. सं. 6552-A, वार्ड सं. XIV, ईदगाह झण्डेवालान के पास
51. करबला, अलीगंज, खसरा सं. 28, अलीगंज
52. मस्जिद लेन, खंसरा सं. 187, जंगपुरा
53. चौकीदारवाली, खसरा सं. 185, 187, सदर बाजार दक्षिण
54. जुंगलीवाली मस्जिद, बाड़ा हिन्दूराव, खसरा सं. 214, सदर बाजार दक्षिण
55. क्यू शरीफ, किले का दक्षिण, खसरा सं. 20, किले का दक्षिण
56. क्यू शरीफ, खसरा सं. 73 (मिन), मकान सं. 389 A, क्यू शरीफ
57. क्यू शरीफ तीन बुर्ज, खसरा सं. 73 (मिन) एम पी एल सं. A-389/वार्ड सं. XV, क्यू शरीफ
58. क्यू शरीफ मस्जिद बाबर खसरा सं. 146 / 2, मकान सं. B-311 और 312 क्यू शरीफ
59. खसरा सं. 91 पान मंडी, सदर बाजार दक्षिण
60. खसरा सं. 295/80-81 और 296/82-83, जीबी रोड
61. नाईवाला खसरा सं. 1026, नाईवाला
62. क्यू शरीफ, खसरा सं. 154, क्यू शरीफ

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