प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की श्रीलंका यात्रा ने भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने इस यात्रा को दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण बताया। इस यात्रा के दौरान मोदी को श्रीलंका के सर्वोच्च सम्मान ‘मित्र विभूषण’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल भारत-श्रीलंका संबंधों की गहराई को दर्शाता है, बल्कि चीन को एक स्पष्ट संदेश भी देता है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और श्रीलंका भारत की इन भावनाओं का सम्मान करता है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मोदी की यह यात्रा “सदियों पुरानी मित्रता और समृद्ध भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता” की थीम पर आधारित थी। बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ने भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति में श्रीलंका की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इस यात्रा के दौरान रक्षा, ऊर्जा और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करेंगे।
इसके अलावा, राष्ट्रपति दिसानायके ने इस यात्रा को क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा पारस्परिक प्रगति और विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगी। यहां उल्लेखनीय है कि भारत अपनी ‘पड़ोसी पहले’ की नीति के तहत पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को प्राथमिकता देता है।

श्रीलंका पर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए विशेषज्ञ मोदी की यात्रा को एक रणनीतिक कदम मान रहे हैं। श्रीलंका में चीन की बढ़ती मौजूदगी, जैसे हम्बनटोटा बंदरगाह और कोलंबो पोर्ट सिटी में निवेश, भारत के लिए चिंता का विषय रहे हैं। मोदी की यात्रा के दौरान त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब बनाने के लिए भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ। यह समझौता न केवल श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि चीन के प्रभाव को भी कम करेगा।
वैसे भी पड़ोसी और जरूरतमंद देश श्रीलंका की चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत ने अन्य कई अहम कदम भी उठाए हैं। भारत ने श्रीलंका को वित्तीय सहायता प्रदान की है और उसकी ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश किया है। इसके अलावा, भारत ने श्रीलंका के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए समझौते किए हैं। अर्थ विशेषज्ञ मानते हैं कि इन कदमों से श्रीलंका को चीन के कर्ज जाल से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।
कूटनीति के जानकारों के अनुसार, मोदी की यात्रा ने भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को नई दिशा दी है। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी रही है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुई। श्रीलंका में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति ने इस यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान वहां के महान क्रिकेटर सनत जयसूर्या के खास अनुरोध पर उनसे भेंट भी की। सनत ने मोदी से जाफना में एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान बनाने में भारत की ओर से मदद की गुहार की। इस पर मोदी ने सकारात्मक उत्तर देते हुए सभी संभावनाओं को टटोलने का आश्वासन दिया।
श्रीलंका की 1996 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य जयसूर्या ने इस मौके पर मोदी को धन्यवाद दिया कि भारत ने संकटकाल में श्रीलंका की मदद की। जयसूर्या श्रीलंका के कुछ अन्य क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ मोदी से भेंट करने गए थे।
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