देवभूमि उत्तराखंड में भी वक्फ बोर्ड में दर्ज बहुत सी जमीनें क्या सरकारी संपत्ति नहीं हैं? इस पर एक और साजिश सामने आई है, पता चला है कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे और धार्मिक स्थलों के निर्माण और फिर उन्हें वक्फ बोर्ड में दर्ज करने के मामले धामी सरकार के सामने आए हैं। उन पर प्रशासनिक जांच चल रही है। उधर, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित मुस्लिम वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का समर्थन किया है।
देवभूमि धामी सरकार द्वारा लैंड
जिहाद, मजार, अवैध मदरसे और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर धार्मिक स्थल बनाने के खिलाफ अभियान चलाने का उद्देश्य सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराना और उन्हें वक्फ बोर्ड में दर्ज होने से बचाना था। यूपी से अलग होकर जब उत्तराखंड राज्य जब बना तब उसके पास 2003-2078 वक्फ बोर्ड संपत्तियां यहां दर्ज हुई लेकिन आज इनकी संख्या 5183 कैसे हो गई? बड़ा सवाल यह है कि क्या संख्या में यह वृद्धि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के दान के कारण हुई है या इसके पीछे कोई और कारण है? एक रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या में वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं, जिन्हें बाद में वक्फ बोर्ड में दर्ज कर लिया गया।
देहरादून जिले में सहसपुर में नदी श्रेणी की भूमि पर कब्जा कर मदरसे का विस्तार हुआ। हिमाचल बॉर्डर पर कालसी वन प्रभाग की भूमि में एक अवैध मजार बनाई फिर उसे वक्फ बोर्ड में दर्ज करवा दिया गया। दून हॉस्पिटल में बनी मजार भी ऐसा ही उदाहरण है। हल्द्वानी उधम सिंह नगर हरिद्वार जिले में कई अवैध मजारे ऐसी हैं जोकि सरकारी भूमि पर बनी हुई है और अब उन्हें वक्फ बोर्ड में दर्ज देखा जाता है। रेलवे भूमि, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण और नगरीय विकास क्षेत्र में कई ऐसी मुस्लिम धार्मिक संपत्तियां हैं, जो सरकारी भूमि पर कब्जा करके बनाई गई और अब वे वक्फ बोर्ड में दर्ज बताई जा रही हैं।
सीमांत नगर धारचूला जहां कुछ साल पहले तक इनर लाइन को वजह से बाहरी लोगों को परमिट लेकर जाना होता था वहां ईदगाह कैसे बन गई ? यहां विशाल मस्जिद कैसे खड़ी हो गई? इस भूमि को लेकर विवाद भी बताया गया है देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में कई ऐसे बड़े मदरसे है जिन्होंने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे कर अपना संपत्तियों का विस्तार किया है।
पुष्कर सिंह धामी सरकार ने 560 से अधिक अवैध मजारों को ध्वस्त किया और पांच हजार एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया। बताया जाता है कि इसके पीछे सरकार के पास ऐसा इनपुट था कि ये अवैध मजारे एक दिन वक्फ बोर्ड में दर्ज हो जाएंगी।
इसके अलावा ऋषिकेश और हरिद्वार में ये योजनाबद्ध तरीके से हिंदू घरों में या आसपास जो अवैध मजारे बनाई गई उसके पीछे भी साजिश थी कि इन सनातन तीर्थ नगरों में बरसो से मुस्लिम लोगों के संपत्ति खरीदने या रहने पर पाबंदी है ऐसे में इनकी यहां एक योजनाबद्ध तरीके से घुसपैठ हो रही थी और ये अवैध मजारे कल वक्फ बोर्ड का हिस्सा बन जानी थी।
उत्तराखंड में अभी भी करीब पांच सौ अधिक अवैध मजार बताई जाती है जिन पर धामी सरकार की कारवाई लंबित चल रही है, ये मजारे अर्बन एरिया में है, जैसे देहरादून शहर में ही अभी भी 60 से अधिक अवैध मजारे है, उदाहरणार्थ एमडीडीए की कांप्लेक्स में भी अवैध मजार है। बरहाल उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां को लेकर एक विशेष एस आई टी गठन किए जाने की जरूरत है जोकि ये देखे कि कब-कब इस देवभूमि में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां में कैसे-कैसे और कहां कहां वृद्धि हुई ?
वक्फ बोर्ड ने किया मोदी सरकार का समर्थन
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाकर गरीब मुस्लिमों में एक उम्मीद जगाई है कि उन्हें भी बराबरी का हक मिलेगा अभी तक भू-माफिया या असरदार लोग वक्फ संपत्तियां पर सालों से कब्जा कर गरीबों का हक मार रहे थे।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना शमून कासमी ने भी मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया है।मौलाना कासमी ने कहा है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन समय की और गरीबों की जरूरत है। मुस्लिम समाज को इससे बड़ी राहत मिलने वाली है।
बीते दिन हरिद्वार जिले में मोदी सरकार के संशोधन बिल समर्थन का समर्थन करने पर कुछ मुस्लिमों ने उक्त दोनों नेताओं के पुतले जलाने का प्रयास किया, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया।
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