राधा कभी सिलाई मशीन से डरती थीं। मशीन चलाते समय उसकी उंगलियाँ काँप जाती थीं — जैसे जीवन की अनिश्चितताओं से हर रोज़ काँपती रही थीं। लेकिन आज, उसी राधा ने मंच पर खड़े होकर पूरे आत्मविश्वास से कहा, “अब मैं महीने में पाँच हज़ार कमाती हूँ… और ये हाथ काँपते नहीं, कमाई करते हैं।”
यह दृश्य था सेवाभारती दक्षिण तमिलनाडु द्वारा आयोजित “महिला शक्ति का अद्वितीय संगम” का — एक ऐसा सम्मेलन जो केवल कार्यक्रम नहीं था, बल्कि उन सैकड़ों-हज़ारों महिलाओं की भावनाओं, आत्मबल और संघर्षों का उत्सव था, जो वर्षों से चुपचाप समाज को नया आकार दे रही हैं।
जब महिलाएँ खुद की कहानी बनती हैं
इस संगम में आई हर महिला अपने साथ एक कहानी लेकर आई थी — कभी आँसुओं में डूबी, कभी संघर्षों से सनी, पर अब उम्मीदों से भरी हुई। कोई विधवा थी, जिसने दो बच्चों को सिलाई सीखाकर पालना शुरू किया। कोई घरेलू हिंसा की शिकार रही, जो अब दूसरी महिलाओं के लिए परामर्शदाता बन चुकी है। कोई गांव की एकांत दुनिया से बाहर निकली, और अब खुद का छोटा व्यवसाय चला रही है। इन सबको जोड़ता था सेवाभारती का साथ, जिसने न केवल प्रशिक्षण दिया, बल्कि भरोसा भी दिलाया — कि ‘तुम कर सकती हो।’
कार्यक्रम की आत्मा
हज़ारों महिलाओं से गूँजता हुआ पंडाल, लोकनृत्यों की थाप, आत्मनिर्भरता की कहानियाँ, और आंखों में चमक — यह केवल आयोजन नहीं, एक सामाजिक जागरण था। हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी में उन हाथों की कला दिखी जो पहले केवल खाना पकाने और परोसने तक सीमित थीं। सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ उस साहस की प्रतीक बन गईं, जिसे आज ये महिलाएँ जी रही हैं। सम्मान समारोह में जब महिलाओं को मंच पर बुलाया गया, तो सिर्फ सम्मान नहीं मिला — पहचान मिली।
सेवाभारती की भूमिका : सेवा से शक्ति की ओर
सेवाभारती दक्षिण तमिलनाडु का कार्य सिर्फ प्रशिक्षण देना नहीं है — यह महिलाओं को अपने भीतर की शक्ति से परिचित कराना है। संगठन का यह विश्वास रहा है कि अगर एक महिला सशक्त होती है, तो वह पूरे समाज को सशक्त कर सकती है।
संगठन ने दक्षिण तमिलनाडु के विभिन्न गाँवों और शहरी झुग्गियों में सिलाई केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण, हस्तकला प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के माध्यम से यह कार्य किया है।
रिश्तों से बने समाज
इस संगम की सबसे सुंदर बात यह थी कि यहाँ कोई ‘प्रशिक्षक’ या ‘प्रशिक्षार्थी’ नहीं था — सब एक-दूसरे के साथी, बहन, और प्रेरणा बनकर खड़े थे। एक महिला ने कहा, “मैं तो सिर्फ कढ़ाई सीखने आई थी, पर यहाँ बोलना, मुस्कुराना और सपने देखना भी सीख लिया।”
चुनौतियाँ और उम्मीदें
इन महिलाओं के लिए जीवन कभी आसान नहीं रहा — आर्थिक तंगी, सामाजिक बंधन, पारिवारिक दबाव — सब कुछ था। पर इस संगम में जो भाव था, वह था कि “हम अब पीछे नहीं जाएँगे।”
सेवाभारती के कार्यकर्ता, जो स्वयं गाँवों से आते हैं, हर एक महिला को हाथ पकड़कर आगे ले जाते हैं। न कोई उपदेश, न प्रचार — बस साथ चलने का वादा।
जहाँ बदलाव की आहट होती है
“महिला शक्ति का अद्वितीय संगम” इस बात का प्रतीक है कि परिवर्तन किसी बड़े आंदोलन से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे आत्मविश्वास से भरे कदमों से आता है।
इस संगम में महिलाओं ने केवल मंच नहीं साझा किया — उन्होंने स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता और सामाजिक उत्तरदायित्व साझा किया।
सेवाभारती दक्षिण तमिलनाडु ने यह साबित किया कि सेवा जब संवेदना से जुड़ती है, तब वह केवल मदद नहीं देती — जीवन की दिशा बदल देती है।
टिप्पणियाँ