राजस्थान में किसान सम्मान निधि में घोटाला किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। जहां पाली जिले के हिन्दू गांवों में फर्जी मुस्लिम किसानों के नाम से सैकड़ों की संख्या में फर्जी रिजस्ट्रेशन किए गए और 7 करोड़ रुपए लूट लिए गए। वहीं अधिकारियों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की।
कब का है मामला
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, ये घटना 5 साल पुरानी वर्ष 2020 की है। इस लूट को अंजाम देने वाले बिहार और झारखंड के साइबर ठग थे, जो कि सरकारी दफ्तरों के ऑफिस टाइम के खत्म होने के बाद अपने फर्जी रिजस्ट्रेशन के गोरखधंधे को संचालित कर रहे थे।
कैसे होती थी ठगी
वर्ष 2019 से अगस्त 2020 तक केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना किसान सम्मान निधि के लिए एसएसओ आईडी से सीएससी या ईमित्र से आवेदन होता था। इसके बाद ये आवेदन पटवारी के पास जाता था और फिर वहां से सत्यापन के बाद तहसीलदार के पास और फिर वहां से कलेक्टर। इसके बाद वहां से ये लिस्ट केंद्र सरकार को भेजी जाती थी। लेकिन, 2020 में वेरिफिकेशन का स्टेप ही नहीं हुआ। आशंका इस बात की है कि साइबर अपराधियों ने आईडी को हैक करके फर्जी नामों आवेदन किए।
कैसे हुआ खुलासा
पाली जिले के किसान सम्मान निधि अकाउंट में देसूरी, रानी और मारवाड़ जंक्शन में अचानक पेंडेंसी की संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद अधिकारियों को लगा कि उन्होंने तो पेंडिंग कामों को नवंबर में ही समाप्त कर लिया था। फिर ये कैसी पेंडेंसी। जब इसकी जांच की तो मामला समझ आय़ा। इसके बाद जिला प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी। जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक फर्जी खाते 20,000 देसूरी में, रानी में 9004 और मारवाड़ जंक्शन में 62 फर्जी अकाउंट मिले। खास बात ये है कि इन गावों में एक भी मुसलमान नहीं है।
अधिकारियों ने दबाया मामला
वहीं इस मामले के सामने आने के बाद भी अधिकारियों ने किरकिरी से बचने के लिए इस मामले को दबा दिया। इस मामले में कोई केस भी दर्ज नहीं किया गया।
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