ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके और अमेरिका के बीच हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। अमेरिका ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए लगातार प्रतिबंध और धमकियां दे रहा है। इसके जबाव में ईरान बार-बार अपनी फौजी और मिसाइल ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है। इस बीच अब अमेरिका को लगने लगा है कि ईरान बातों से तो नहीं मानने वाला। ऐसे में इस खतरे से निपटने के लिए ट्रंप प्रशासन ने अपने सबसे खतरनाक B-2 स्पिरिट बम वर्षक को हिंद महासागर के बेस पर तैनात कर दिया है।
ईरान इंटरनेशनल से बात करते हुए अमेरिकी सामरिक कमांड के प्रवक्ता ने इस बात का खुलासा किया कि लंबी दूरी के इन बम वर्षकों को हिंद महासागर में नौसेना की हेल्पिंग साइट डिएगो गार्शिया में तैनात कर दिया गया है। इसके साथ ही ये भी खुलासा किया कि डिएगो गार्शिया नियमित तौर पर विश्व भर में अभियान चलाती रहती है, ताकि अमेरिका और सहयोगी देशों के खिलाफ होने वाले हमलों को रोका जा सके।
पांच B-2 बमवर्षकों की तैनाती हुई
रिपोर्ट के अनुसार, हालात को देखते हुए अमेरिका ने देश से एक दो नहीं पूरे 5 B-2 बमवर्षकों को हिंद महासागर में डिप्लॉय किया है। इन बम वर्षकों की खास बात ये है कि ये अपने साथ मैसिव ऑर्डिनेंस पेनिट्रेटर 30,000 पाउंड का बंकर बस्टर बम और 20,000 पाउंड का मैसिव ऑर्डिनेंस एयरब्लास्ट ले जाने में सक्षम है।
इसके अलावा रक्षा उद्योग के आउटलेट द वॉर जोन ने सेटेलाइट इमेज के हवाले से भी दावा किया है कि बीते 2 दिन के भीतर B-2 स्टील्थ बमवर्षकों के साथ ही सी-17 कार्गो विमान और 10 एयर रिफ्यूलिंग टैंकरों की भी तैनाती की गई है। खास बात ये है कि इससे पहले ईरान, अफगानिस्तान और यमन में अमेरिका अपने इस विध्वंसक बमवर्षक का इस्तेमाल कर चुका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को एक माह का समय परमाणु व्यवस्था पर सहमत होने के लिए दिया है। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि अगर इन एक माह में ईरान इस पर सहमत नहीं होता है तो सैन्य कार्रवाई झेलने के लिए तैयार रहे।
परमाणु बम बनाने के बेहद करीब ईरान
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का दावा है कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब है। उसने इसके लिए आवश्यक यूरेनियम को 87 फीसदी तक एनरिच कर लिया है। उल्लेखनीय है कि परमाणु बम बनाने के लिए 90 फीसदी एनरिच यूरेनियम की आवश्यकता होती है।
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