अमेरिका की खुफिया प्रमुख की डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (DNI) तुुलसी गबार्ड इस वक्त भारत में हैं। रायसीना डायलॉग में अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए उसे आतंकवाद फैलाने का दोषी ठहराया। तुलसी ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित इस्लामी आतंकवाद पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह इस्लामी आतंकवाद न केवल भारत के लिए खतरा है बल्कि अमेरिका, बांग्लादेश और मध्य पूर्व के कई देशों के लिए भी एक गंभीर चुनौती पेश करता है।
नई दिल्ली में 17 से 19 मार्च तक चलने वाले इस रायसीना डायलॉग में करीब 120 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। विदेश मंत्रालय के सहयोग से आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा हर साल आयोजित होने वाला रायसीना डायलॉग भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का एक प्रमुख सम्मेलन बन गया है। यह वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस आयोजन के माध्यम से राजनीति, व्यवसाय, मीडिया और नागरिक समाज के नेता दुनिया की स्थिति पर चर्चा करने और समकालीन मामलों की एक विस्तृत श्रृंखला पर सहयोग के अवसरों की खोज करते हैं।

इसके पहले दिन अपने भाषण में गबार्ड ने आगे कहा कि इस्लामी आतंकवाद कोई क्षेत्रीय चुनौती नहीं है, यह एक वैश्विक समस्या है, जो पाकिस्तान की सीमाओं से परे जाकर कई देशों को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों को कट्टरपंथियों का आतंकवाद करार दिया और इसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इससे एक दिन पूर्व अपने पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने पहले भी कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद को “एक्सपोर्ट” कर रहा है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है।
इसी विषय पर एक प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी की बात का अनुमोदन करते हुए तुलसी गबार्ड ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी इस खतरे को समाप्त करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए रणनीतियां बनाई जा रही हैं, ताकि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ी जा सके। भारत और अमेरिका जैसे देश इस समस्या की जड़ को पहचानते हैं और दोनों को मिलकर इस खतरे का सामना करना होगा।

इसमें संदेह नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का अपना ही महत्व होता है। ट्रंप, तुलसी गबार्ड और मोदी के विचार इस दिशा में बेशक, एक मजबूत संदेश देते हैं कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए सभ्य जगत को एकजुट होना ही होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उसी पॉडकास्ट में साफ बताया था कि भारत चाहता है, विशेषकर उनकी वर्तमान केन्द्र सरकार भी चाहती है और प्रसाय करती रही है कि पाकिस्तान के साथ संबंध सुधरें। इसके लिए वे स्वयं लाहौर गए थे। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री को विशेष आमंत्रण दिया और वे आए भी थे। लेकिन मोदी ने कहा कि हमारे ऐसे सभी प्रयासों के उत्तर में धोखा ही मिलता रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपनी “स्टेट पॉलिसी” के रूप में अपनाया हुआ है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में आतंकवाद के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
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