राजस्थान में एक चर्च को हिन्दू मंदिर में बदला गया है और इस गांव के लगभग सभी कन्वर्टेड लोगों ने सनातन धर्म में घर वापसी की है। यह बदलाव 30 साल पहले ईसाई बने 30 परिवारों के हिंदू धर्म में वापस करने के बाद किया गया है। रविवार को इस चर्च को मंदिर में बदला गया और वहां एक भैरू बाबा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गई।
इसके साथ ही सालों पहले ईसाई मत को अपनाने वाले गांव के लोग भी हिंदू धर्म में वापस आ गए। जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित गांव के निवासी गौतम गरासिया अब मंदिर के पुजारी होंगे, वे पहले इसी चर्च के पादरी थे। उन्होंने बताया कि उसने सालों पहले ईसाई धर्म अपना लिया था और गांगड़तलाई क्षेत्र के सोडला दूदा गांव में चर्च का निर्माण कराया था। लेकिन अब वह सनातन धर्म अपना चुके हैं। गांव के अधिकतर लोगों ने भी ईसाई मत अपना लिया था, जो अपनी इच्छानुसार हिंदू धर्म में लौट आए हैं।
बांसवाड़ा के पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन के अनुसार, चर्च के पादरी गौतम गरासिया अब मंदिर के पुजारी होंगे। करीब डेढ़ साल पहले उसने अपनी निजी जमीन पर चर्च बनवाया था। हिंदू धर्म में लौटने के बाद उसकी निजी जमीन पर निर्मित ढांचा भी अब मंदिर बन गया है। गरासिया ने बताया कि मंदिर में भगवान भैरव की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व जय श्रीराम के नारों के साथ मूर्ति को सिर पर रखकर एक शोभायात्रा भी निकाली गई।
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गांव वालों के हिंदू धर्म में लौटने के बाद उन्होंने सर्वसम्मति से चर्च को भैरव मंदिर में तब्दील करने का फैसला किया। उसके बाद ढांचे को भगवा रंग में रंग दिया गया। साथ ही उसके ऊपर लगा क्रॉस भी हटा दिया गया जहां अब ओम की पताका फहरा रही है।
रविवार की प्रार्थना की बजाय सुबह-शाम होगी भैरव पूजा
इस दौरान मंदिर के भीतर दीवारों पर हिंदू धार्मिक प्रतीक भी चित्रित किए गए हैं। हालांकि, इस पूरे मौके प्रशासन भी मुस्तैद रहा। इलाके में पुलिस बल को भी तैनात किया गया था। अब से रविवार की प्रार्थना के बजाय मंदिर में हर सुबह और शाम भगवान भैरव की पूजा होगी।
मुझे लालच दिया था
गौतम भाई, चर्च के पूर्व पादरी ने बताया कि मैं पहले हिंदू था, लेकिन पादरियों ने मुझे पैसों और दवाइयों का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया। हालांकि, इससे मुझे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। अब मैं पुन: हिंदू धर्म में लौटा हूं। तो मुझे मानसिक-आध्यात्मिक शांति मिल रही है।
घर वापसी करने वाले लोगों ने मीडिया को अलग-अलग कहानियां बताईं परन्तु सबका सार एक ही था कि कन्वर्टेड लोग पहले किसी न किसी तरह की समस्या से पीड़ित थे। गांव में आने वाले पादरी ने उनकी इस स्थिति का लाभ उठाया और तरह-तरह के प्रलोभन दे और सच्चे-झूठे वायदे कर पहले उन्हें प्रार्थना के लिए बुलाना शुरु किया और बाद में यहां चर्च स्थापित कर उनका कन्वर्जन कर दिया। इन कन्वर्टेड लोगों ने पाया कि मतांतरण करने के बाद भी उनके हालात बदले नहीं, बल्कि उन्हें अपने ही समाज, रिश्तेदारों से तिरस्कार जरूर झेलने पड़े। बहुत से रिश्तेदारों ने तो रोटी-बेटी तक का नाता तोड़ लिया। इन लोगों की परेशानियां कम होने की बजाय बढ़ने लगी और चर्च का कोई दावा वफा नहीं हो पाया। लोग इससे परेशान रहने लगे और अंत में उन्होंने अपने कुलदेवता व स्थान देवता भैरू बाबा से माफी मांग कर अपने घर में वापसी की।
राजस्थान में बन रहा कानून, 10 साल सजा
राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधायक 2025 गत 3 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जा चुका है। इसके कानूनी रूप लेने पर लव जिहाद या प्रलोभन देकर आदिवासी इलाकों में धर्मपरिवर्तन कराने के मामले में सख्ती होगी। विधेयक में 1 से 10 साल तक जेल और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान की व्यवस्था होनी बताई जा रही है।
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