‘जस करनी, तस भरनी’, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने ट्रंप की बात न मानकर उनसे बहस की। अब उसका असर ये हुआ है कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को दी जा रही सभी सहायता को रोक दिया है। अब सवाल ये खड़ा हो गया है कि जिस रूस के खिलाफ युद्ध में अब तक यूक्रेन अमेरिकी हथियारों के दम पर टिका था, अब सैन्य सहायता बंद होने के बाद क्या करेगा? क्या अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए जेलेंस्की सरेंडर करेंगे?
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने सैन्य सहायता रोके जाने को लेकर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप किसी भी तरह से इस युद्ध को रोकना चाहते हैं। पांच वर्ष पहले जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे तो उन्होंने कांग्रेस के द्वारा मंजूर किए गए यूक्रेन की सैन्य सहायता को रोक दिया था और राष्ट्रपति उम्मीदवार रहे जो बाइडेन के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। इसके बाद ट्रंप के खिलाफ भी महा अभियोग प्रस्ताव भी लाया गया था। पिछले साल भी ट्रंप ने कहा था कि वो रूस-यूक्रेन के बीच के युद्ध को रोकेंगे।
ट्रंप का मानना है कि रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन शांति के पक्षधर हैं और वो यूक्रेन के साथ युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं। मिनरल डील के लिए अमेरिकी अधिकारी यूक्रेन पर दबाव बना रहे हैं। रूस के खिलाफ सैन्य सहायता के बदले अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन उसके साथ मिनरल्स की डील साइन करे। वहीं जेलेंस्की का कहना है कि वो इसके बदले सुरक्षा गारंटी चाहते हैं। यही वो वजह थी, जिसको लेकर हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच बहस हो गई थी।
इसके बाद ट्रंप ने जेलेंस्की को ‘मूर्ख राष्ट्रपति’ कह दिया था। उन्होंने जेलेंस्की को ओवल हाउस से निकाल दिया था। डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि यूक्रेन बिना किसी शर्त के मिनरल डील पर साइन करे, लेकिन यूक्रेन नहीं माना। तो उन्होंने यूक्रेन को उस पर किए अहसानों को याद दिलाया। हालांकि, यूरोप के कई देशों ने यूकेन का समर्थन किया है। ब्रिटेन में उनका दमदार स्वागत किया। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ब्रिटेन यूक्रेन का स्वागत करके उन्हें चिढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
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