महाशिवरात्रि: भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप और दिव्यता का महापर्व
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

महाशिवरात्रि: भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप और दिव्यता का महापर्व

देवों के देव महादेव की सर्वोपरि विशिष्टता यह है कि वे जितने साधारण हैं उतने ही विलक्षण-असाधारण भी। राजाधिराज यानी समाज के विशिष्टम व्याक्ति से लेकर निम्नतम कोटि के चांडाल तक, सभी को उनकी पूजा आराधना का समान अधिकार है।

by पूनम नेगी
Feb 26, 2025, 10:12 am IST
in संस्कृति
MahaShiratri Special

प्रतीकात्मक तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

देवाधिदेव शिव की महिमा अनंत है। वे महाकाल हैं। सृष्टि प्रक्रिया का आदिस्रोत हैं। शास्त्रीय कथानक है कि ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, परंतु जब सृष्टि का विस्तार संभव न हुआ तब उन्होंने विष्णु जी के कहने पर शिव का ध्यान किया। तब शिव अर्द्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए और अपने शरीर के आधे भाग से एक स्त्री शक्ति को प्रकट किया। इसे मूल प्रकृति कहा गया और इसी के सहयोग से ब्रह्मा ने सृष्टि का विस्तार किया। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का महापर्व भगवान शिव की इस विराट दिव्यता का महापर्व है। देवों के देव महादेव की सर्वोपरि विशिष्टता यह है कि वे जितने साधारण हैं उतने ही विलक्षण-असाधारण भी। राजाधिराज यानी समाज के विशिष्टम व्याक्ति से लेकर निम्नतम कोटि के चांडाल तक, सभी को उनकी पूजा आराधना का समान अधिकार है। फिर चाहे त्रयंबक मंत्र व रुद्राभिषेकों का विशिष्ट अनुष्ठान हो या मात्र एक लोटा जल के साथ ॐ नम: शिवाय का पंचाक्षरी मंत्र; महादेव साधन नहीं भक्त की पात्रता व भाव देखते हैं। यही वजह है कि हर खासोआम महादेव शिव से पूरी सहजता से जुड़ाव महसूस करने लगता है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव के स्वरूप में बहुत कुछ ऐसा है जो इंसान को गहरी सीख और संबल देने वाला है। उनके व्यक्तित्व में सृष्टि की सारी विशेषताएं और जटिलताएं समाहित हैं। इसीलिए आधुनिक दुनिया की चकाचौंध में भी हम भगवान शिव से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सकते हैं।

उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम सर्वत्र समान रूप से पूजित हैं शिव

राक्षस भी उन्हें पूजते रहे हैं और आर्य जन भी। चाहे दक्षिण भारत हो, उत्तर हो या पूर्व या पश्चिम, शिव हर जगह समान रूप से पूजित हैं। हर पूजा के पहले और हर युद्ध के पहले भारतीय पौराणिक इतिहास में दोनों ही पक्ष शिव को पूजते मिल जाते हैं। राम ने रावण पर विजय पाने के लिए पहले इन्हीं शिव की पूजा की तो रामेश्वरम बना और रावण ने तो कैलाश उठाकर लंका ले जाने की ठानी थी पर शिव की शर्त थी कि जहां तुम मुझे रख दोगे बस मैं वहीं का हो जाऊंगा। यात्रा के दौरान रावण को लघुशंका महसूस हुई तो उसने देवघर (वैद्यनाथ धाम) में  शिवलिंग को रख दिया और शिव वहीं जम गये। शिव मस्तमौला हैं। आदिवासी समाज उन पर जितनी श्रद्धा करता है, उतना ही नगरीय समाज भी। इसीलिए कहा गया है सब कुछ शिवमय यानी मंगलमय है। कैलाश को शिव का आवास माना जाता है। कहा जाता है कि जिसने कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर ली, उसे फिर किसी देवता के यहां जाने की जरूरत नहीं।

महायोगी शिव और उनकी शिक्षा  

महादेव ऐसे योगी हैं जो हर परिस्थति में शांत और धैर्यवान रहते हैं। शिव का यही स्वरूप सिखाता है कि जिंदगी में हमेशा आनंदित रहने का प्रयास करना चाहिए। परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, अपने मन को स्थिर और चित्त को शांत रखने की कोशिश की जानी जरूरी है। हर हाल में आनंदित होने का भाव जीवन में संतुष्टि का आधार तैयार करता है। आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कितनी ही छोटी-छोटी बातें हमें विचलित कर जाती हैं। मन अशांत कर देती हैं। भीतर एक उथल-पुथल मचा देती हैं। यह सच है कि अनुकूल परिस्थितियां मन को सुखी और आनंदित करती हैं, पर हालात प्रतिकूल होने पर भी हिम्मत से डटे रहना और खुद को थामे रखना गहरी संतुष्टि और आत्मविश्वास देता है। ऐसे में भोलेनाथ से मिली यह सीख वाकई जीवन को सुखद और सार्थक दिशा दे सकती है। यूं भी समय हमेशा एक-सा नहीं रहता। इसीलिए वक्त के उतार-चढ़ाव को जीना और समझना जरूरी है। नकारात्मक समय में सकारात्मक सोच रखना जीवन का सबसे खूबसूरत मंत्र है। क्योंकि समय के साथ आने वाले बदलावों को कोई नहीं रोक सकता। लेकिन नकारात्मक स्थिति को भी सोच की सही दिशा से सकारात्मक बनाया जा सकता है। इस मामले में भगवान शिव से बड़ा उदाहरण कोई नहीं हो सकता।

नीलकंठ महादेव का दिव्य तत्वदर्शन

समुद्रमंथन से जब विष निकला तो सभी ने कदम पीछे खींच लिए थे। पर महादेव ने स्वयं विषपान किया। नीलकंठ कहलाने वाले शिवजी से जुड़ा यह संदर्भ अपने ही नहीं अपने परिवेश में मौजूद हर प्राणी का जीवन सहेजने और संवारने की बात कहता है। यह घटना सिखाती है कि हम भी जिंदगी की हर नकारात्मकता को अपने भीतर खपा दें, उसका असर न खुद पर हावी होने दें और न ही दूसरों पर। यही सोच मन को सुख और शांति देने वाली है। इंसान को यह आत्मिक सुख तब मिलता है, जब मन पर किसी तरह का कोई बोझ नहीं होता। उसकी सोच कल्याणकारी होती है और व्यवहार सद्भाव से भरा। आज के समय में अनगिनत इच्छाओं और भौतिक सुखों को जुटाने की भागमभाग में उलझे इंसान यह भूल ही बैठे हैं कि आत्मिक संतुष्टि का धन से कोई संबंध नहीं होता। भगवान शिव का व्यक्तित्व हमें यही सिखाता है कि शांत मन सबसे ज्यादा जरूरी है। इच्छाएं अनंत होती हैं। इसलिए इच्छाओं पर नियंत्रण रखना जरूरी है। हमें समझना होगा कि हद से ज्यादा पाने का भाव जुनून बन जाता है। यही जुनून कभी-कभी बर्बादी और अशांति का भी कारण बनता है।

माटी और प्रकृति से जुड़ाव सिखाते हैं महादेव

भगवान शिव कई मायनों में प्रेरणादायक हैं। उनका प्रकृति से जुड़े रहना और साधारण जीवन जीना भी आमजन के लिए प्रेरणादायी है। असल में देखा जाए तो माटी से जुड़ाव और प्रकृति की गोद में जीने का सुकूनदायी अहसास शिव के ईश्वरीय स्वरूप को हमारे लिए और सहज बनाता है। शिव योगी ही नहीं, पारिवारिक भी हैं। फिर भी उनका जीवन परिग्रह से दूर धरती से गहरा जुड़ाव रखता है। शिव प्रकृति के देवता यूं ही नहीं कहे जाते! जिस धैर्य, दृढ़ता और संयम के साथ वे अपने सुख साधन विहीन प्राकृतिक परिवेश के साथ संतुलन साधते हैं, भौतिक सुखों से दूर रहकर आत्मिक सुख और विश्व कल्याण के भाव में समाधिस्थ रहते हैं, वह अपने आप में विलक्षण है। यूं भी शिव शब्द का अर्थ ही कल्याण है। इस अर्थ के व्यावहारिक आधार को देखें तो संसार के जीवों का कल्याण प्रकृति से जुड़े बिना संभव नहीं है। आज देखने में आ रहा है कि हमारे जीवन में कई व्याधियां और विपदाएं सिर्फ इसलिए आ रही हैं कि हम प्रकृति का सम्मान करना भूल गये हैं। धरती को सहेजना छोड़ उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। महादेव की आराधना के इस रहस्य को यदि ठीक से समझा जाये तो हम सब भी प्रकृति के संरक्षण का दिव्य संदेश को ग्रहण कर सकेंगे। शिव की आराधना का मूल अर्थ प्रकृति को पूजना और सहेजना ही है। आज पर्यावरण बचाने की चिंता विश्वव्यापी है। शिव पहले पर्यावरण प्रेमी हैं। वे पशुपति हैं। निरीह पशुओं के रक्षक हैं। शिव ने बूढ़े बैल नंदी को अपना वाहन बनाकर अभयदान दिया। जंगल काटने से बेदखल सांपों को अपने गले में आश्रय दिया। श्मशान, मरघट में कोई नहीं रुकता पर अलबेले शिव ने मरघट और श्मशान को अपना निवास बनाया। जिस कैलाश पर ठहरना मुश्किल है वहां न तो प्राणवायु है, न कोई वनस्पति वहां उन्होंने धूनी रमाई। दूसरे सारे देवता अपने शरीर पर सुगंधित, सुवासित द्रव्य लगाते हैं पर शिव केवल भभूत। उनमें रत्ती भर लोक-दिखावा नहीं है। बाकी के देवता रत्नजटित, स्वर्ण के आभूषण और बेशकीमती परिधान पहनते हैं लेकिन शिव का काम तो महज व्याध्र चर्म से चल जाता है।

इसे भी पढ़ें: विवाह और ब्रम्हांड के आरंभ की दिव्य रात्रि : महाशिवरात्रि

शिव की तीसरी आँख का दर्शन

महादेव का सौम्य रूप जितना सुहावना और सरल है उनका रौद्र रूप उतना ही भय पैदा करने वाला। लेकिन उनका गुस्सा किसी विशेष कारण के बिना नहीं दिखता। साथ ही उनके क्रोध करने का कारण भी लोक कल्याण का भाव ही होता है। भगवान शिव किसी पर गुस्सा निकालने या पीड़ा पहुंचाने के बजाय गुस्से को एक संरचनात्मक दिशा देने की सीख देते हैं। भोलेनाथ शांत और सहज रहते हैं, लेकिन जब बुरी ताकतों को नष्ट करने की बात आती है तो वे क्रोधित होने लगते हैं। लेकिन उनका विध्वंसक स्वरूप आमजन और प्रकृति के लिए विनाशकारी नहीं बनता। वे तांडव करने वाले नटराज भी हैं और भक्तों के लिए बाबा भोलेनाथ भी। शिव न्यायप्रिय हैं मर्यादा तोड़ने पर दंड देते हैं। काम बेकाबू हुआ तो उन्होंने अपनी तीसरी आंख से उसे भस्म कर दिया। आधुनिक शरीर शास्त्र भी मानता है कि हमारी आंख की दोनों भृकुटियों के बीच एक ग्रंथि है और वह शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा है, रहस्यपूर्ण भी। इसे पीनियल ग्रंथि भी कहते हैं। यह हमेशा सक्रिय नहीं रहती, पर इसमें संवेदना ग्रहण करने की अद्भुत ताकत है। इसे ही शिव का तीसरा नेत्र कहा है। जिसके खुलने पर प्रलय होगा, सनातन धर्म की ऐसी मान्यता है।

शिव प्रतीकों में विरोधी भावों का अद्भुत सामंजस्य

शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के भाव की आज के समय में सबसे अधिक जरूरत है। संसार में फैल रहे द्वेष की सबसे बड़ी वजह यही है कि हम औरों के प्रति स्वीकार्यता का भाव खो रहे हैं। लेकिन महादेव में परस्पर विरोधी भावों का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है। महादेव के मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित  है तो गले में विषधर सर्प। वे गृहस्थ भी हैं और वीतरागी भी। भोले भी हैं और रुद्र  भी। यानी व्यक्तित्व के हर रंग का संतुलन बनाने की सीख देता है उनका जीवन। शिव का त्रिशूल जीवन के तीन मूल पहलुओं को दर्शाता है। योग परंपरा में इसे रुद्र, हर और सदाशिव कहा जाता है। ये जीवन के तीन मूल आयाम हैं, जिन्हें विविध रूपों में दर्शाया गया है। इन्हें इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां भी कहा जाता है। ये नाड़ियां शरीर में प्राण का संचार करती हैं। योग संस्कृति में सर्प  कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है जो प्रायः प्रसुप्त व जब स्थिर रहती है लेकिन योग साधना के द्वारा जब यह जागृत होती है, तभी योगी जन जान पाते हैं कि उनके अंदर इतनी अलौकिक शक्ति भरी हुई है। इसी तरह शिव का वाहन नंदी अनंत प्रतीक्षा व दृढ़ता का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में प्रतीक्षा को सबसे बड़ा गुण माना गया है। यह गुण ग्रहणशीलता का मूल तत्व है। नंदी शिव के सबसे करीबी साथी हैं क्योंकि उनमें ग्रहणशीलता का गुण है। किसी मंदिर में जाने के लिए आपके अंदर नंदी का गुण होना चाहिए।

Topics: क्या है महाशिवरात्र के पीछे का रहस्यstory of Mahashivratriwhat is the secret behind MahashivratriMahashivratriमहाशिवरात्रिमहाशिवरात्र की कथा
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

हजारीबाग में उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायरिंग करता पुलिसकर्मी

हिंदुओं के त्यौहार पर फिर बवाल, झारखंड में रामनवमी जुलूस पर उपद्रवियों ने किया पथराव

महाकुंभ में हुआ ऐतिहासिक ‘शिवा फेस्ट’ : भगवान शिव के 108 रूपों का किया दिव्य चित्रण, रिकॉर्डस में दर्ज हुआ आयोजन का नाम

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

‘एकता का महाकुंभ, युग परिवर्तन की आहट’, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की देशवासियों के संकल्प की सराहना

प्रतीकात्मक तस्वीर

महाशिवरात्रि पर दधीचि देहदान समिति के आह्वान पर पांच लोगों ने लिया देहदान और नेत्रदान का संकल्प

पथराव करता उपद्रवी

झारखंड में महाशिवरात्रि पर हिंसक झड़प, उपद्रवियों ने की पत्थरबाजी, कई वाहनों को आग के हवाले किया

Kashi Naga Sasdhu proccession

महाशिवरात्रि: नागा साधुओं ने किया बाबा विश्वनाथ का दर्शन, हर हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा काशी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies