कांग्रेस पार्टी के तीसरे बार के तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने पार्टी और गांधी परिवार को आइना दिखा दिया है। शशि थरूर ने पार्टी की कमजोर नस पर हाथ रख दिया है। शशि थरूर ने पार्टी को बता दिया है कि अगले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ सकता है।
केरल की राजनीति में माकपा और कांग्रेस पार्टी नीत गठबंधनों लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच 1982 से 2016 तक सत्ता की अदला-बदली देखी गई। जिसमें, एक बार कांग्रेस नीत यूडीएफ और फिर अगली बार माकपा नीत एलडीएफ में सत्ता का हस्तांतरण होने की परम्परा रही थी। मगर 2021 में कांग्रेस नीत यूडीएफ सत्ता में आने से चूक गई और पिनराई विजयन ने दोबारा सत्ता में वापसी की।
राहुल गांधी के 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल से चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस पार्टी के केरल इकाई में एक सुस्ती का भाव आ गया है। कांग्रेस पार्टी अब केरल की राजनीति में महज अस्तित्व की लड़ाई लड़ती दिख रही है। किसी ही पैमाने पर कांग्रेस पार्टी अब माकपा नीत सरकार को चुनौती देती नहीं दिख रही है। ऐसा देखा जा रहा हैं कि गांधी परिवार और पिनराई विजयन परिवारों के बीच एक गुप्त समझौता हो गया हैं जिसमें लोकसभा में विजयन और माकपा कांग्रेस पार्टी को जीतने का मौका देगी जबकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी कमजोरी से चुनाव लड़कर विजयन की सरकार को बने रहने देने में मदद करेंगे।
सोनिया गाँधी और विजयन दोनों का अपने परिवारों को आगे बढ़ाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य है। विजयन की मदद से जहाँ गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वायनाड सीट से चुनाव जीतती रहेंगी, वहीं विजयन को अपने खुद के बाद अपने दामाद मोहम्मद रियाज की राजनीति को आगे बढ़ाना है। वर्तमान में मोहम्मद रियाज पिनराई विजयन की सरकार में लोक निर्माण विभाग और पर्यटन मामलों के मंत्री है। कम्युनिस्ट पार्टियों में अपने परिवार वालों या सम्बन्धियों को सत्ता में आगे नहीं बढ़ाया जाता है, मगर केरल में ऐसा होता देखा जा रहा है।
हाल के दिनों में केरल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। भाजपा ने केरल से इतिहास में पहली बार 2024 में लोकसभा की सीट जीतकर एक नया अध्याय लिखा है। भाजपा अब केरल की राजनीति में कोई नई खिलाड़ी नहीं रह गई है। भाजपा ने त्रिपुरा में माकपा को सत्ता से बेदखल करके कम्युनिस्ट पार्टियों के खिलाफ अपने ताकत को दिखा चुका है। भाजपा अब 2018 में त्रिपुरा में अपने-राजनीतिक जीत को केरल में 2026 में दोहराने का प्रयास करेगी। शशि थरूर कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हाल के दिनों में थरूर ने मोदी और भाजपा के समर्थन में कई बयान दिए हैं। थरूर के इन बयानों से राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी परेशान दिख रही है।
वहीं केरल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस का प्रवेश कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दिया है। केरल के नीलांबुर विधानसभा सीट से दो बार के माकपा समर्थित विधायक पी वी अनवर ने अपने सदस्यता से इस्तीफा देकर ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो गए हैं। इससे राज्य की राजनीति में एक नया मोर्चा खुल गया है। पी वी अनवर का मुस्लिम समुदाय में अच्छा पैठ माना जाता है। पी वी अनवर और ममता बनर्जी का चेहरा केरल में मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में करने में सक्षम दिखता है। इससे कांग्रेस पार्टी केरल में अपने मुख्य जनाधार मुस्लिम समुदाय को खोने की स्थिति में आती दिख रही है।
केरल में जहां मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है, वहां मुस्लिम मत आने वाले चुनाव में पिनराई विजयन के दामाद मोहम्मद रियास के कारण कम्युनिस्ट पार्टियों और पी वी अनवर के कारण तृणमूल कांग्रेस के बीच बटेगा।
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