कैसे एक पारिवारिक व्यवसाय ने भारत में कपास से लेकर अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों तक, कपड़ा उद्योग में सफलता हासिल की
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होम भारत गुजरात

कैसे एक पारिवारिक व्यवसाय ने भारत में कपास से लेकर अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों तक, कपड़ा उद्योग में सफलता हासिल की

हमारा फोकस ऑर्गेनिक फार्मिंग पर है, जहां हम सीधे किसानों से जुड़कर कपास लाते हैं। हम कपास का जिनिंग करके उसे क्वार्टर बनाते हैं और फिर इसे प्रमुख ब्रांड्स जैसे C&A, Tesco, और Decathlon को सप्लाई करते हैं।

by Mahak Singh
Feb 23, 2025, 09:31 pm IST
in गुजरात
जयेश पटेल जी

जयेश पटेल जी

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गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद-3 कार्यक्रम में, जो कि “प्रगति की गाथा” पर आधारित था, जयेश पटेल जी ने ‘उदयमिता की उड़ान’ विषय पर गहन संवाद किया। इस महत्वपूर्ण सत्र में त्रिप्ति जी के साथ बातचीत का आयोजन हुआ। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश….

प्रश्न- अगर हम टेक्सटाइल, खासकर कॉटन की बात करें तो लोग सोचते हैं कि यह बहुत बड़ा उद्योग नहीं बन सकता। कल्पना कीजिए कि आप टेक्सटाइल बुनाई के पूरे काम को इस हद तक ले जाएंगे कि आज हर कोई decathlon और H&M के ब्रांड को जानता है, लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि इन ब्रांड के पीछे पूरा टेक्सटाइल कारोबार कैसे काम करता है। इस सफर के बारे में बताइए।

उत्तर- यह हमारा पारिवारिक व्यवसाय है, मेरे पिता फार्मा समुदाय से हैं, मेरे पिता ने कपास का व्यवसाय शुरू किया था। 2012 में गुजरात में भी हमारी एक टेक्सटाइल पॉलिसी आई थी, वहीं से हमारी यात्रा शुरू हुई। सुरेन्द्रनगर हमारा जिला है, यह सबसे बड़ा कपास हरित क्षेत्र है, इसलिए हम चाहते थे कि वहां अच्छी कपास हो, पहले वहां से कपास का निर्यात होता था। हमने फॉरवर्ड इंटिग्रेशन के तहत स्पिनिंग यूनिट शुरू किया और उसमें गुजरात की संकर सिक्स कॉटन का इस्तेमाल किया। यह एक वर्ल्ड-फेमस ब्रांड है, जो निटिंग और टी-शर्ट बनाने के लिए सबसे अच्छा कपड़ा है। संकर सिक्स कॉटन को वर्ल्ड के सबसे बेहतरीन कपड़ों में गिना जाता है, और चीन जैसे देश भी इसे आयात करते हैं, क्योंकि यह टी-शर्ट के लिए आदर्श सामग्री है।

हमारा फोकस ऑर्गेनिक फार्मिंग पर है, जहां हम सीधे किसानों से जुड़कर कपास लाते हैं। हम कपास का जिनिंग करके उसे क्वार्टर बनाते हैं और फिर इसे प्रमुख ब्रांड्स जैसे C&A, Tesco, और Decathlon को सप्लाई करते हैं। हमारी सप्लाई 100% कॉटन यार्न और फैब्रिक के रूप में होती है। हालांकि, हमें एक प्रोसेसिंग यूनिट की कमी महसूस हो रही थी, इसलिए हम अपनी खुद की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर रहे हैं। इसके अलावा, हमने अपने दो ब्रांड्स भी लॉन्च किए हैं – “Indian Archers” के तहत टीशर्ट्स और “Battery” के नाम से अंडरगामेंट्स। हम चाहते हैं कि जैसे अन्य बड़े ब्रांड्स की वैल्यू होती है, वैसे ही हमारा भी एक ब्रांड बने। भारत की बड़ी जनसंख्या और बढ़ता हुआ बाजार हमें प्रेरित करता है, और हम चाहते हैं कि हमारे उत्पाद यहीं भारत में बनें। फिलहाल, हमारा कच्चा माल जैसे कपास विदेशों में एक्सपोर्ट हो रहा है, लेकिन हम इसे भारत में प्रोसेस करके इसकी वैल्यू बढ़ाना चाहते हैं। एक किलो कपास का मूल्य 100 रुपये है। जब उसे कूटकर धागा बनाते हैं, तो उसका मूल्य 200 रुपये हो जाता है। लेकिन एक किलो कपास से हम चार या पांच टी-शर्ट बना सकते हैं। जब हम एक गारमेंट एक्सपोर्ट करते हैं, तो उसकी कीमत लगभग 4 डॉलर या 5 डॉलर होती है। इस प्रकार, गारमेंट्स पर सबसे बड़ा Value Addition होता है। यह उत्पाद गुजरात से विदेशों में जा रहा है, और यदि हम गारमेंट्स का निर्यात बढ़ाते हैं, तो हमें इससे बहुत लाभ हो सकता है।

प्रश्न- टेक्सटाइल इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा होती है और भारत में भी यह चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में इस उद्योग में स्थिर रहने के लिए क्या महत्वपूर्ण कदम होने चाहिए?

उत्तर- अब सबसे बड़ी चुनौती जो हमारे सामने है, वह यह है कि हम भारत में अधिकतर किसान हैं और हमारे पास बहुत ज़्यादा ज़मीन है, लेकिन सबसे बड़ा नुकसान यह है कि हमाराप्रति हेक्टेयर उत्पादन बहुत कम है। भारत में प्रति हेक्टेयर उत्पादन केवल 450 किलोग्राम है, जबकि अमेरिका का उत्पादन 1400 किलोग्राम, ब्राजील का 2000 किलोग्राम, और चीन का 2400 किलोग्राम है। इसलिए हम बहुत पीछे हैं। हमारी सरकार से अपील है कि हमें इस मुद्दे पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। यदि हम yield बढ़ा पाते हैं, तो भारत को कोई भी देश टक्कर नहीं दे सकेगा, और भारत नंबर 1 बन जाएगा। हमारी सबसे बड़ी कमी यह है कि हमारी उपज कम है, और यही कारण है कि हम आज के समय में प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। हमारा सबसे बड़ा ड्रॉबैक यह है कि हमारा yield कम है, और इसी कारण हम आज के समय में प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। जैसे बांगलादेश के पास 1 किलो भी कपास नहीं होता है , लेकिन वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र निर्यातक है। हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि हमारा प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम है। यदि हम इसे बढ़ा पाते हैं, तो कोई भी देश भारत को नहीं हरा सकेगा, न ही चीन।

प्रश्न- अब, जो नये उद्यमी नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

उत्तर- मेहनत सबसे महत्वपूर्ण है। हमारे देश में लोग सुबह-सुबह फैक्ट्री पहुंचकर काम शुरू करते हैं। हम हर परिस्थिति में मेहनत करने के लिए तैयार रहते हैं। हर क्षेत्र में कड़ी मेहनत आवश्यक है, और एक उद्यमी के लिए आवश्यक गुण हैं – दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता। एक बार जब किसी ने ठान लिया कि उसे बिज़नेस करना है, तो उसे उसे पूरा करना चाहिए। अगर आपके पास दूरदर्शिता और जुनून है तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता। अपनी यात्रा के दौरान हमने कई उद्यमियों को देखा है जिन्होंने कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता के माध्यम से सफलता हासिल की। मारा परिवार हमेशा कड़ी मेहनत में विश्वास करता था और इसी तरह हमने सफलता हासिल की।

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