नई दिल्ली (हि.स.) । रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बुधवार को कुआलालंपुर में 13वीं रक्षा सहयोग समिति की बैठक की सह-अध्यक्षता की। मलेशिया की ओर से रक्षा मंत्रालय के महासचिव लोकमान हकीम बिन अली ने बैठक की सह-अध्यक्षता की। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों को और आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी एवं व्यावहारिक पहलों पर व्यापक चर्चा की। दोनों अध्यक्षों ने साइबर सुरक्षा और एआई जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए कदमों की पहचान की।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में दोनों सशस्त्र बलों के बीच नियमित जुड़ाव के साथ बढ़ते द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर ख़ुशी जताई। इसके साथ ही रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय संबंधों में मौजूदा सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई। दोनों पक्ष गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए संयुक्त समूह बनाने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत नई पहलों को पूरी तरह से लागू करने पर प्रतिबद्धता जताई, जैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मलेशियाई समकक्ष दातो सेरी अनवर इब्राहिम ने अगस्त, 2024 में उनकी भारत यात्रा के दौरान कल्पना की थी।
बैठक में भारत और मलेशिया ने रणनीतिक मामलों के कार्य समूह की स्थापना पर अंतिम रूप से तैयार शर्तों का भी आदान-प्रदान किया। यह मंच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के सभी पहलुओं को आगे बढ़ाने के लिए दो उप-समितियों के बीच परामर्श तंत्र के रूप में कार्य करेगा। यह फोरम लड़ाकू विमान सुखोई-30 के रखरखाव में विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान में दोनों वायु सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग करेगा। रक्षा सचिव सिंह ने भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता, विशेष रूप से मलेशियाई कंपनियों और सशस्त्र बलों के साथ उनकी क्षमता वृद्धि और आधुनिकीकरण में सहयोग करने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने आसियान और आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (एडीएमएम- प्लस) की अध्यक्षता संभालने पर मलेशिया को बधाई देते हुए इस वर्ष एडीएमएम प्लस और आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। रक्षा सचिव ने मजबूत, एकीकृत और समृद्ध आसियान को बढ़ावा देने में आसियान अध्यक्ष के रूप में मलेशिया के प्रयासों के लिए भारत के समर्थन को दोहराया, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की उभरती गतिशीलता को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि मलेशिया हिंद-प्रशांत में महत्वपूर्ण भागीदार है, क्योंकि उसकी तीन प्रमुख विदेश नीति दृष्टिकोणों यानी एक्ट ईस्ट पॉलिसी, सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और हिंद-प्रशांत महासागर में महत्वपूर्ण भूमिका है।
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