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उत्तराखंड: सरकारी जमीन कब्जाने और वक्फ बोर्ड में दर्ज कराने की साजिश, धामी सरकार ने लैंड जिहाद पर पानी फेरा

पुष्कर सिंह धामी सरकार ने 560 से अधिक अवैध मजारों को ध्वस्त किया और पांच हजार एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया।बताया जाता है कि इसके पीछे सरकार के पास ऐसा इनपुट था कि ये अवैध मजारें एक दिन वक्फ बोर्ड में दर्ज हो जाएंगी।

by दिनेश मानसेरा
Feb 14, 2025, 11:01 am IST
in उत्तराखंड
Uttarakhand Mosque Waqf board

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में भी वक्फ बोर्ड में दर्ज कई जमीनों संपत्तियों क्या सरकारी नहीं है? इस पर एक और साजिश का पता चला है, ज्ञात हुआ है कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर धार्मिक स्थल बनाए जाने और फिर उन्हें वक्फ बोर्ड में दर्ज किए जाने के की कोशिशें की जा रही हैं।

पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा लैंड जिहाद, मजार जिहाद के खिलाफ जो अभियान चलाया उसके पीछे यही मकसद था कि सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराना और उन्हें वक्फ बोर्ड में दर्ज किए जाने से बचाना। उत्तराखंड राज्य जब बना तब यूपी से उसके पास 2003 में 2078 वक्फ बोर्ड संपत्तियां यहां दर्ज हुईं, लेकिन आज इनकी संख्या 5183 कैसे हो गई? ये बड़ा सवाल है कि ये संख्या वृद्धि वक्फ बोर्ड के संपत्तियां दान में देने से हुई अथवा इसके पीछे कुछ और कारण हैं?

एक रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण सरकारी जमीनों पर कब्जे हैं जिन्हें बाद में वक्फ बोर्ड में दर्ज करवा दिया गया। उदाहरण के लिए नैनीताल में बनी विशाल मस्जिद पहले से इतनी बड़ी कैसे बन गई? जब आर टी आई से जानकारी मिली तो भूमि कितनी है? इस बारे में प्रशासन में किसी को पता नहीं, वक्फ बोर्ड के पास भी क्षेत्रफल की जानकारी नहीं या फिर वो देना नहीं चाहता।

सहसपुर में नदी श्रेणी की भूमि पर कब्जा कर मदरसे का विस्तार हुआ और इस मामले ने सुर्खियां भी बटोरी। हल्द्वानी उधम सिंह नगर देहरादून हरिद्वार में कई अवैध मजारे ऐसी हैं जो कि सरकारी भूमि पर बनी हुई हैं और अब उन्हें वक्फ बोर्ड में दर्ज देखा जाता है, दून हॉस्पिटल की मजार इसका उदाहरण है। रेलवे भूमि, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण और नगर विकास क्षेत्र की ऐसी कई मुस्लिम धार्मिक संपत्तियां है जो कि  सरकारी भूमि पर कब्जे कर बनाई गईं और अब वक्फ बोर्ड में दर्ज बताई जाती हैं।

सीमांत नगर धारचूला जहां कुछ साल पहले तक इनर लाइन को वजह से बाहरी लोगों को परमिट लेकर जाना होता था वहां ईदगाह कैसे बन गई और विशाल मस्जिद कैसे खड़ी हो गई इस भूमि को लेकर विवाद भी बताया गया है। देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में कई ऐसे बड़े मदरसे हैं जिन्होंने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे कर अपना संपत्तियों का विस्तार किया है।

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड UCC : झूठी शिकायत पर लगेगा जुर्माना, 45 दिन में भुगतान नहीं तो होगी वसूली

पुष्कर सिंह धामी सरकार ने 560 से अधिक अवैध मजारों को ध्वस्त किया और पांच हजार एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया।बताया जाता है कि इसके पीछे सरकार के पास ऐसा इनपुट था कि ये अवैध मजारें एक दिन वक्फ बोर्ड में दर्ज हो जाएंगी।
इसके अलावा ऋषिकेश और हरिद्वार में ये योजनाबद्ध तरीके से हिंदू घरों में या आसपास जो अवैध मजारें बनाई गई उसके पीछे भी साजिश थी कि इन सनातन तीर्थ नगरों में बरसों से मुस्लिम लोगों के संपत्ति खरीदने या रहने पर पाबंदी है। ऐसे में इनकी यहां एक योजनाबद्ध तरीके से घुसपैठ हो रही थी और ये अवैध मजारें कल वक्फ बोर्ड का हिस्सा बन जानी थीं।

उत्तराखंड में अभी भी करीब पांच सौ अधिक अवैध मजारें बताई जाती हैं, जिन पर धामी सरकार की कारवाई लंबित चल रही है, ये मजारें अर्बन एरिया में हैं, जैसे देहरादून शहर में ही अभी भी 60 से अधिक अवैध मजारे हैं, उदाहरणार्थ एम डी डी ए की कांप्लेक्स में भी अवैध मजार है। बहरहाल उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां को लेकर एक विशेष एस आई टी गठन किए जाने की जरूरत है जो कि ये देखे कि कब-कब देवभूमि में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां में कैसे-कैसे और कहां-कहां वृद्धि हुई।

Topics: उत्तराखंड में अवैध मजारेंwaqf boardIllegal Mazars in Uttarakhandउत्तराखंडUttarakhandवक्फ बोर्डमजारMazar
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