विदेशों में ‘खालिस्तानी दुकानदारी’ किस फर्जी आधार पर चल रही है वह पहले से ही सर्वविदित था परन्तु अब खुद खालिस्तान समर्थक ही इसका भण्डाफोड़ करने लगे हैं। यह सब हुआ है अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अवैध प्रवासियों को वापिस डिपोर्ट करने के दिए आदेशों के बाद। गत दिनों अमेरिका से निकाले गए 104 भारतीय हवाई जहाज से अमृतसर पहुंचे जिनमें 30 लोग पंजाब के भी थे। इन युवकों में से एक का पत्र सोशल मीडिया पर खूब पढ़ा जा रहा है, जिसने सुरक्षा की दृष्टि से अपने नाम पर स्याही पोत दी है।
इस पत्र का हिन्दी लिप्यांतरण इस प्रकार है –
‘वीर जी सानूं डिपोर्ट करन दा हुक्म हो चुका है। मेरी कल तारीख सी। जज ने किहा अगली दो फलाइट राहीं तुहानूं भेज्या जावेगा। इह मेरा आखिरी पोस्ट है, मैं अकाउंट (सोशल मीडिया अकाउंट) बंद करन लग्गा हां तांकि भारत जा के कोई मुश्किल ना आवे। कल जज ने पुछिया कि तुहानूं की खतरा है भारत विच? तां असीं किहा कि असीं खालिस्तान नूं स्पोर्ट करदे हां। भारत साडे उत्ते जुल्म करदा है। जज ने केहा तुहाडा लीडर तां ओत्थे (भारत में) चोणां जित्त के एमपी बण गया है, जज ने अमृतपाल व सिमरनजीत मान के बारे कहा। बाद विच जज ने सिमरनजीत मान दे दफ्तर काल लगवाई जित्थे मैं लैटर मुल्ल लै के आया सी। फोन उत्ते ओह (सिमरनजीत मान) साफ मुकर गए कि साडे बंदेयां नूं हुण कोई खतर खतरा नहीं है भारत अंदर।
एह लैटर अते खालिस्तान दी गल्ल करन नूं मेरे वकील ने किहा सी। जदकि मेरा खालिस्तान नाल कोई लैण-देण नहीं है। जज ने किहा तुहाडा केस झूठा है। तुसीं कोर्ट नूं गलत जानकारी दित्ती। तुसीं वकील दे कहण ते खालिस्तानी मुजाहरियां विच फोटो खिचवाउण लई गए जदकि भारत अंदर कोई मूवमेंट नहीं चल रही। तुहानूं अगली फ्लाईट राहीं भारत वापस भेजया जा रेहा है। (पत्र लिखने वाले दूसरों को कहता है) मेरे भराओ कोर्ट जज बहुत सख्त हन। तुहानूं लैटर वेचण वाले वी मुकर रहे हन। इस खरीदे होए लैटर दी कोई बुक्कत नहीं है। तरीक ते गए बंदेयां नूं गिरफ्तार कर रहे हन डिपोर्ट करन लई। आपणा पहिलां ही तैयारी करके जाणा।’
इस पत्र से पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि विदेशों में चल रही ‘खालिस्तानी दुकानदारी’ कुछ और नहीं बल्कि विदेश भेजने वाले एजेंटों व जाने वाले लोगों का फैलाया हुआ प्रपंच है। असल में पश्चिमी देशों में राजनीतिक प्रताडऩा से पीडि़त लोगों को शरण दिए जाने की व्यवस्था है। यह सर्वविदित है कि पंजाब के लोग विदेश जाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। विदेश में जाने के लिए कुछ लोग वहां पर राजनीतिक शरण लेने का रास्ता अपनाते हैं। खुद को खालिस्तानी समर्थक होने की बात करते हुए यह दावा करते हैं कि भारत में उनकी जान को खतरा है। इसके लिए पूर्व सांसद सिमरजीत सिंह मान इनको पत्र जारी करते हैं। एक साक्षात्कार में वह खुद स्वीकार कर चुके हैं कि वे इस तरह के पत्र के लिए पैंतीस हजार रुपये पार्टी फण्ड लेते हैं। इसी पत्र को आधार बना कर यह लोग विदेश में राजनीतिक शरण लेते हैं। अपने आप को खालिस्तानी साबित करने के लिए वे वहां के वकीलों की सलाह पर भारतीय दूतावासों पर भारत विरोधी प्रदर्शन करते हैं और बकायदा इसकी फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की जाती है ताकि वे खुद को खालिस्तान समर्थक साबित कर सकें।
अब अमेरिका की अदालत ने यह माना है कि खालिस्तानियों के नेता (अमृतपाल व सिमरनजीत मान) सांसद बन रहे हैं तो इनको भारत में प्रताडि़त करने की बात ही झूठ है। अमेरिका की अदालतें मान रही हैं कि भारत में खालिस्तान के नाम से कोई मूवमेंट नहीं चल रही। रोचक बात यह है कि इस तरह के लोगों को पत्र जारी कर रुपये लेने के बाद सिमरनजीत मान जैसे लोग भी इनसे पल्ला झाड़ लेते हैं। बाद में यह लोग खुद स्वीकार करते हैं कि खालिस्तान से उनका कोई लेना-देना नहीं है इसका सीधा अर्थ है कि ये लोग केवल विदेश में जाने के लिए ही खालिस्तान का नाम लेते हैं।
दूसरी तरफ विदेशों में खालिस्तान समर्थक होने के आधार पर शरण पाए हुए लोगों में अब भय की लहर दौड़ रही है। अमेरिका सरकार इन लोगों को वापिस कर रही है तो इनको डर है कि भारत में इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है क्योंकि विभिन्न प्रदर्शनों के दौरान हुई वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी व सोशल मीडिया पोस्टों पर इनके चेहरे सामने आ चुके हैं। ट्रम्प के एक झटके ने पूरी खालिस्तानी दुकानदारी को परखच्चे उड़ा कर रख दिए लगते हैं।
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