महाकुम्भ नगर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने आज की शिक्षा व्यवस्था को नाकाफ़ी बताते हुए कहा कि हमारी ज्ञान परंपरा में एकांगी शिक्षा नहीं दी जाती थी, परंतु आज संपूर्ण विश्व एकांगी शिक्षा व्यवस्था से ग्रसित है। मोटी फ़ीस देना ही मानो आज की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य रह गया है। हमें ऐसी कुरीतियों से दूर हटते हुए समाज में एक बार फिर भारतीय ज्ञान परंपरा की चेतना को जागृत करना होगा।
डॉ. कृष्ण गोपाल जी शुक्रवार को महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-8 में ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘ज्ञान महाकुंभ’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। ‘न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते’ अर्थात् इस दुनिया में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। इस पंक्ति की सार्थकता को व्यापक रूप देने के लिए महाकुम्भ में ‘ज्ञान महाकुंभ’ का आयोजन किया गया है।
विशिष्ट अतिथि उद्बोधन में यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की सराहना करते हुए देश के विद्वत समाज को ज्ञान महाकुंभ जैसा बड़ा मंच देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आध्यात्म विद्या सभी विद्याओं में सर्वश्रेष्ठ है। भारतीय ज्ञान परंपरा आध्यात्म और शिक्षा का अद्भुत मिश्रण रही है और हमें इस परंपरा को एक बार फिर बल देना होगा।
उद्घाटन कार्यक्रम के प्रथम संबोधन में न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने ज्ञान महाकुम्भ की महत्ता पर प्रकाश डालते हु, सफल कार्यक्रम के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस अलौकिक महाकुम्भ में ज्ञान महाकुंभ का आयोजन अपने आप में ही अद्भुत संयोग है। इस कार्यक्रम से पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था को एक नई और भारतीय ज्ञान परंपरा से युक्त दिशा मिलेगी।”
कार्यक्रम में आईआईआईटी इलाहाबाद के संचालक मुकुल सुतावणे भी मौजूद रहे। महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर-8 के पीडब्ल्यू.- 801 में चल रहे इस कार्यक्रम में न्यास के अध्यक्ष डॉ. पंकज मित्तल ने स्वागत उद्बोधन दिया और संजय स्वामी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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