देहरादून: यह तस्वीर कोई मामूली संदेश नहीं देती बल्कि एक जागरूक नागरिक और संवेदनशील शासक और मुस्लिम महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाली महिला की संवेदनशीलता को तस्दीक करती है। तीन तलाक की जंग जीतने वाली मुस्लिम महिला सायरा बानो ने अब पूरे देश में यूसीसी लागू करने की मांग की है।
सायरा बानो वो महिला है जिसने मोदी सरकार को तीन तलाक जैसे शरीयत कानून को खत्म करने की प्रेरणा देकर लाखों करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से मुक्त कराया। स्मरण करने के लिए सायरा बानो की अगस्त, 2017 के सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले की तरफ़ जाना होगा जिसने *तलाक़ ए बिद्दत* को ग़ैरक़ानूनी ठहराते हुए याचिकाकर्ता को बड़ी राहत दी थी। वो याचिकाकर्ता काशीपुर (ऊधमसिंह नगर) उत्तराखण्ड की रहने वाली सायरा बानो ही थी। इसके बाद मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक को अमान्य घोषित करते हुए इसे रद्द कर दिया।
उस समय किसे पता था कि उसी जनपद के दूसरी बार चुने गए एक युवा विधायक किसी रोज़ राज्य के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होंगे और समान नागरिक संहिता जैसा बहु प्रतीक्षित क़ानून व्यवस्था लागू कर आधी आबादी को बराबरी का अधिकार दिला देंगे।
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यह संयोग ही है कि जिस राज्य की एक मुस्लिम महिला ने अपने अधिकारों के लिए अपने मुस्लिम समाज से लोहा लिया और सालों पुरानी कुरीति को उखाड़ फेंकने का साहस दिखाया, तदुपरांत उसी राज्य से देश में पहली बार समान नागरिक संहिता रूपी गंगा भी प्रवाहित हुई। सायरा बानो ने सीएम धामी से मिलकर कहा कि जिसने नफा-नुक़सान की फिक्र किए बगैर उत्तराखंड में यूसीसी लागू किया और हजारों मुस्लिम महिलाओं में ये विश्वास दिलाया कि उन्हें भी खुली हवा में जीने के हक मिलेंगे। यूसीसी से महिलाओं में अंदरूनी खुशी है।
उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को शायद आज इस निर्णय में कुछ खास न दिख रहा हो परंतु कालांतर में इसके सुखद परिणाम देखने को जरूर मिलेंगे। मुस्लिम बहनों के लिए श्री धामी किसी धर्म-भाई से कम नहीं हैं। आने वाली पीढ़ियाँ इस साहसपूर्ण फ़ैसले के लिए आपको हमेशा याद रखेंगी।
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