स्वास्थ्य सेवाएं ‘वेंटिलेटर’ पर
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

स्वास्थ्य सेवाएं ‘वेंटिलेटर’ पर

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की ही नहीं, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी एक गंभीर समस्या है, जो हाल ही में विभिन्न रपटों में उजागर हुई है

by बरखा दुबे
Feb 3, 2025, 08:34 am IST
in विश्लेषण, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आआपा ने 2015 के विधानसभा चुनाव में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बड़े-बड़े वादे किए थे। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक, मुफ्त इलाज, 30 जानलेवा बीमारियों के लिए मुफ्त इलाज, मल्टी-स्पेशलिटी पॉलीक्लिनिक्स, अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता बढ़ाकर 30,000 करने का खूब प्रचार किया। लेकिन कोरोना महामारी ने उन दावों की पोल खोल दी। न अस्पतालों में आक्सीजन उपलब्ध थी और न ही मरीजों के लिए बिस्तर। यह थी दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की वास्तविक स्थिति थी।

सत्ता में आने के बाद आआपा सरकार ने स्वास्थ्य बजट 2015 में 2,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 में 7,484 करोड़ रुपये कर दिया। दावा किया कि इस राशि से बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वास्थ्य पेशेवरों की नियुक्त और प्राथमिक चिकित्सा का विस्तार किया जाएगा। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं दिखी। केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक मॉडल भी लागू किया।

कहने को मोहल्ला क्लीनिक गरीबों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है, लेकिन कोराना काल में दूर-दूर तक मोहल्ला क्लीनिक कहीं दिखे ही नहीं। इसी तरह, पॉलीक्लीनिक की सेवाएं भी सवालों के घेरे में हैं। अस्पतालों में 30,000 बिस्तर उपलब्ध कराने के दावे करने वाली आआपा सरकार अभी तक मात्र 394 बिस्तर ही जोड़ पाई। आआपा सरकार ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों की नि:शुल्क सर्जरी के लिए मौजूदा औषधालयों को बहु-विशिष्ट पॉलीक्लीनिकों में बदला और 41 निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी की। लेकिन प्रशासनिक जटिलताओं के कारण योजनाओं की गति धीमी रही।

प्रशासनिक विफलताएं

6 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तरों, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है, विशेषकर महत्वपूर्ण विभागों जैसे, एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर में। कई सरकारी अस्पतालों में आवश्यक चिकित्सा उपकरण भी नहीं हैं, जैसे कि आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, सीटी स्कैन मशीनें, और एमआरआई मशीनें। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में 34 प्रतिशत डॉक्टरों, 29 प्रतिशत पैरामेडिकल स्टाफ और 66 प्रतिशत मेडिकल लेक्चरर की कमी है। साथ ही, प्रशासनिक कर्मचारियों की भी कमी है, जिससे अस्पतालों की कार्य क्षमता पर असर पड़ा है। दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों, जैसे एलएनजेपी, दीन दयाल उपाध्याय और इंदिरा गांधी अस्पताल में दवाओं का स्टॉक खत्म होने के कारण मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ता है।

केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री भी कई बार कह चुके हैं कि दिल्ली के अस्पताल और डिस्पेंसरियां दवाओं की कमी से जूझ रही हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र की कायापलट के आआपा सरकार के दावों की पोल नीति आयोग की रिपोर्ट ‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत’ खोलती है। इसके अनुसार, स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में दिल्ली 50.2 अंकों के साथ 7 केंद्र शासित प्रदेशों में पांचवें स्थान पर है। यहां तक कि दिल्ली उच्च न्यायालय भी अस्पतालों की स्थिति पर चिंता जता चुका है। वास्तव में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा को ही इलाज की जरूरत है। आआपा सरकार की नीतियों में अपारदर्शिता, योजना का अभाव और प्रशासनिक अक्षमता इसका सबसे बड़ा कारण है।

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला कहते हैं, ‘‘आआपा ने दिल्ली को लाहौर से भी बदतर स्थिति में ला दिया है। आज दिल्ली का हाल यह है कि लोग बिना मास्क लगाए घर से बाहर नहीं निकल सकते। दिल्ली प्रदूषण के मामले में लाहौर को भी पीछे छोड़ चुकी है। दिल्ली का एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 500-600 के स्तर को पार कर चुका है, जो बेहद खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय दोषारोपण की राजनीति में लगी रहती है। वे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दीपावली को जिम्मेदार ठहराते हैं। पहले पंजाब में पराली जलाने के कारण प्रदूषण बढ़ने का आरोप लगाते थे, लेकिन अब जबकि पंजाब में उनकी सरकार है, तो वे इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह दिखाता है कि आआपा सरकार प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या का समाधान निकालने में पूरी तरह विफल रही है और इसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।’’

मोहल्ला क्लिनिक में फर्जीवाड़ा

मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की एथिक्स कमेटी के सदस्य रह चुके डॉ. राजेंद्र ऐरन कहते हैं, ‘‘स्वास्थ्य विभाग ने 2023 में 7 मोहल्ला क्लीनिकों के तीन महीने (जुलाई-सितंबर) का रिकॉर्ड खंगाला था। पता चला कि डॉक्टर क्लीनिक आते ही नहीं थे। वे पहले से रिकॉर्डेड वीडियो के जरिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाते थे। उनकी गैर-मौजूदगी में भी पर्ची पर टेस्ट और दवाएं लिखी जा रही थीं। बाद में पता चला कि ये टेस्ट फर्जी मरीजों पर किए जा रहे थे। यानी ऐसे मरीजों को लैब टेस्ट कराए जा रहे थे जो वास्तव में थे ही नहीं। इन्हें ‘घोस्ट पेशेंट’ कहा जाता है।

लगभग 500 रोगियों के टेस्ट प्रत्येक मोहल्ला क्लीनिक पर रोज किए जा रहे थे। इतने रोगी तो मोहल्ला क्लीनिक में आते ही नहीं थे। एगिलिस डाइयग्नास्टिक और मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, इन दो प्राइवेट लैब को अनैतिक फायदा पहुंचाने के लिए यह फर्जीवाड़ा हो रहा था। जांच में 7 मोहल्ला क्लीनिकों में 11,657 पर्चियां ऐसी मिलीं, जिनमें मरीज का मोबाइल नंबर जीरो लिखा हुआ था।

8,251 मामलों में मोबाइल नंबर की जगह खाली थी, जबकि 3,092 में मोबाइल नंबर ‘9999999999’ लिखे गए थे। 400 प्रविष्टियां ऐसी थीं, जिनमें 1-5 अंक से शुरू होने वाले फोन नंबर थे, जबकि इन अंकों से कोई फोन नंबर शुरू नहीं होता। 999 मामलों में 15 या उससे ज्यादा मरीजों के नाम के आगे एक ही नंबर लिख दिया गया था।

Topics: Delhi Assembly ElectionsDelhi pollutionदिल्ली प्रदूषणपाञ्चजन्य विशेषमोहल्ला क्लीनिक मॉडलस्वस्थ राज्यप्रगतिशील भारतHealthy Stateकेजरीवाल सरकारProgressive IndiaKejriwal governmentMohalla Clinic Modelदिल्ली विधानसभा चुनाव
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies