Canada patient death: क्या कभी यह कल्पना की जा सकती है कि किसी कथित विकसित देश में दो वर्षों के भीतर लगभग 15,000 लोग मारे जाएं और वह भी केवल इस कारण कि वे हेल्थ केयर का इंतज़ार कर रहे हो। अर्थात उन्हें स्वास्थ्य देखभाल नहीं मिली हो और 15,000 से अधिक लोगों की इस प्रकार मृत्यु पर मीडिया भी मौन हो, यह बहुत ही हैरान करने वाली घटना है। यह घटना है विकसित कहे जाने वाले देश कनाडा की। SecondStreet.org नामक संस्था ने Died on a Waiting List नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की। उन्होंने शोध किया, और यह पता लगाया कि आखिर कैसे हजारों लोग केवल इसलिए असमय कनाडा में मारे गए क्योंकि उनकी जांच आदि में काफी लम्बा समय लगना था।
इस संस्था ने 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच प्रांतीय सरकारों और स्वास्थ्य अधिकारियों से आंकड़े इकट्ठे किये। और इसने अपनी वेबसाईट पर अपने शोध के परिणाम घोषित किये। इस संस्था ने लिखा कि इस प्रकार का शोध करने का विचार उन्हें लॉरा हिलार की कहानी से आया। लॉरा हिलर एक 18 वर्ष की ओंटारियो की मरीज थी। जिसका निधन कैंसर के इलाज के लिए वेटिंग लिस्ट के दौरान हो गया था।
इस शोध में जिन महत्वपूर्ण बातों को बताया गया है, वे हैं
- कनाडा में सर्जरी या रोगों का पता लगाने वाले स्कैन का इंतज़ार करने के दौरान कम से कम 15,474 लोगों की मौत हुई है। इस आंकड़े में क्यूबेक, अल्बर्टा, न्यूफ़ाउंडलैंड और लैब्राडोर और मैनिटोबा का अधिकांश हिस्सा शामिल नहीं है। सस्केचेवान और नोवा स्कोटिया ने केवल उन रोगियों का डेटा प्रदान किया जो सर्जरी के लिए प्रतीक्षा करते समय मर गए – डायग्नोस्टिक स्कैन के आंकड़े इसमें शामिल नहीं हैं।
- जिन प्रान्तों ने आंकड़े नहीं दिए हैं, यदि उनके भी आंकड़े जोड़े जाएं तो लगभग 28,077 मरीज ऐसे होंगे जो पिछले वर्ष केवल इस कारण मर गए क्योंकि वे स्वास्थ्य देखभाल का इंतज़ार कर रहे थे।
- ओंटारियो हेल्थ के नए आंकड़ों के अनुसार 378 मरीज कार्डियक सर्जरी या फिर कार्डियक प्रोसीजर का इंतज़ार करते हुए मारे गए।
- किसी-किसी मामले में यह इंतज़ार एक सप्ताह से लेकर 14 वर्ष तक का रहा।
- अप्रेल 2018 से लेकर अभी तक SecondStreet।org ने 74,677 ऐसे मामलों की पहचान की है, जहां देखभाल के इंतजार में कनाडाई लोगों की मौत हो गई।
किसी भी देश के लिए ये आंकड़े डराने वाले होने चाहिए। इस संस्था के कानूनी एवं नीति निदेशक हैरिसन फ्लेमिंग का कहना है कि कनाडा में नागरिक बहुत ज्यादा कर का भुगतान करते हैं और फिर भी यूरोप में बेहतर तरीके से काम करने वाले सिस्टम की तुलना में हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विफल हो रही है। उन्होंने कहा कि कनाडा के हजारों नागरिक खुद को वेटिंग लिस्ट में पाते हैं और कई कई मामलों में तो यह कई सालों तक का इंतज़ार है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनेक लोग उपचार मिलने से या फिर रोग का पता लगाने से पहले ही दुर्भाग्यपूर्ण मौत का शिकार हो जाते हैं।
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यही बात हैरान करने वाली है कि कनाडा जैसे देश में हजारों लोग केवल उपचार के ही इंतज़ार में मर जाते हैं या फिर कहें कि इस बात के ही इंतज़ार में मर जाते हैं कि आखिर उन्हें बीमारी क्या है, यह पता ही नहीं लग पाता है। संस्था के अध्यक्ष कोलिन क्रैग ने कहा कि कई बार ऐसा हुआ कि किसी ने फोन किया और कहा कि मैं आपको बताना चाहती हूँ, मेरे पति का निधन हो गया है और अब उन्हें इस सर्जरी की जरूरत नहीं है। वेट लिस्ट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर चलाने वाला व्यक्ति एक बॉक्स पर क्लिक करता है, जिसमें यह पूछा जाता है कि सर्जरी कैंसल क्यों की गयी तो उसका जबाव वह क्लिक करता है कि “ओह! मरीज मर गया।”
उनके अनुसार उन्हें यह नहीं पता है कि कनाडा में कोई भी सरकार इस प्रकार के आंकड़ों का रखरखाव नहीं कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इन आंकड़ों से यह भी साबित होता है कि पैसा ही अकेले इस स्वास्थ्य संकट का सामना नहीं कर सकता है। यह और भी हैरान करने वाली बात है कि एक कथित विकसित देश में हजारों लोग केवल बीमारी का पता लगाने वाले चरण में ही मर जाते हैं और मीडिया में कहीं भी कोई विमर्श नहीं होता है। कहीं कोई भी चर्चा नहीं होती है और कहीं कोई भी खबर नहीं आती है।
औपनिवेशिक और कम्युनिस्ट मीडिया के लिए इन हजारों जानों का कोई भी मोल नहीं है? क्या व्यवस्थागत खामियों पर बात नहीं होनी चाहिए? भारत जैसे देश में भी कैंसर आदि के इलाज को लेकर ऐसी व्यवस्थागत खामियां नहीं हैं, फिर भी कम्युनिस्ट मीडिया का दृष्टिकोण भारत के प्रति अलग और हजारों लोगों को व्यवस्था के जाल में फंसकर मारने वाले पश्चिमी देशों के प्रति भिन्न होता है या फिर कहें कि गोरे लोगों के प्रति उनका दृष्टिकोण अलग होता है। एक अजीब सी गुलामी मानसिकता का परिचय कम्युनिस्ट मीडिया या फिर कहें औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त मीडिया देता है।
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