Demography Change: पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा डीजीपी और मुख्यसचिव को मदरसों के सत्यापन की जांच पड़ताल किए जाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद देहरादून पुलिस प्रशासन ने आनन-फानन जांच पड़ताल कर शासन को रिपोर्ट भेज दी। जनसांख्यकी परिवर्तन भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
रिपोर्ट में 125 मदरसे देहरादून के चार क्षेत्रों में चिन्हिंत किए गए हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में मदरसे शून्य दिखाए गए हैं।
विकास नगर तहसील एरिया में 78 मदरसे चिन्हिंत हुए, जिनमें केवल 18 पंजीकृत हैं और 60 अवैध रूप से चल रहे हैं।
देहरादून सदर क्षेत्र में 33 मदरसे चिन्हिंत हुए, इनकी सत्यापन रिपोर्ट में 10 पंजीकृत शेष 23 अपंजीकृत पाए गए हैं।
डोईवाला क्षेत्र में 6 मदरसे मिले जिनमें से कोई भी पंजीकृत नहीं है और कालसी में एक मदरसा है वो भी पंजीकृत नहीं है। इन दोनों क्षेत्रों में क्रमशः 684 व 55 बच्चे इस्लामिक शिक्षा ले रहे हैं, उसकी कोई मान्यता नहीं है और न ही यहां कोई राष्ट्रीय पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। देहरादून जिले में बड़ी संख्या में अवैध मदरसे ऐसे हैं, जहां बाहरी राज्यों के बच्चे लाकर पढ़ाए जा रहे हैं, ऐसा क्यों हो रहा है ? इसका जवाब प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में नहीं दिया है।
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बताया जाता है कि यूपी और असम में अवैध मदरसों के खिलाफ जब सख्ती की तो ये उत्तराखंड की तरफ शिफ्ट हो गए हैं। यहां पढ़ने वाले बाहरी राज्यों के बच्चे कल उत्तराखंड के निवासी बन जायेंगे और ऐसा हर साल सैकड़ों की संख्या में आने वाले बच्चों के साथ होने जा रहा है। यानि जनसंख्या असंतुलन की समस्या का ये पहला पड़ाव बन रहा है। केवल देहरादून ही नहीं, उत्तराखंड के सभी जिलों में बाहरी राज्यों के बच्चे पढ़ते हुए मिल रहे हैं। बड़ा सवाल ये हैं कि इन मदरसों के फंडिंग कहां से और कैसे हो रही है?
पुलिस प्रशासन के सत्यापन में इस बारे में कोई जानकारी नहीं ली गई है, इन मदरसों के भूमि भवन संबंधी दस्तावेजों की कोई जानकारी नहीं दी गई है। बहरहाल रिपोर्ट तो शासन के पास आ गई है उसके बाद शासन इन पर क्या कारवाई करने जा रहा है? ये अभी तक तय नहीं है। संभवतः पिछले दिनों निकाय चुनाव फिर राष्ट्रीय खेल और अब यूसीसी लागू होने के कारण शासन प्रशासन की व्यस्तता भी मजबूरी हो सकती है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष पंजीकृत मदरसों में संस्कृत या धर्म ग्रन्थ पढ़ाए जाने की बात तो करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। वैसे ही वक्फ बोर्ड अध्यक्ष भी एक आधुनिक मॉडल मदरसे की बात करते हैं, जबकि वास्तविकता से वे भी दूर है।
उत्तराखंड में अवैध मदरसे, देव भूमि उत्तराखंड की संस्कृति को प्रभावित कर रहे हैं, जिसे लेकर हर कोई चिंता कर रहा है। क्या ये अवैध मदरसे सरकार बंद करवाएगी ? ये बड़ा सवाल है।
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