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स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित महाकुंभ

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक व्यवस्था की है, ताकि मेला बिना किसी विघ्न-बाधा के संपन्न हो

by सुनील राय
Jan 28, 2025, 01:38 pm IST
in विश्लेषण, संस्कृति
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महाकुंभ-2025 की थीम है-स्वस्थ कुंभ, सुरक्षित कुंभ। इसके लिए सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि न केवल बीमार श्रद्धालुओं को उचित इलाज मिले, बल्कि मेला क्षेत्र में साफ-सफाई और सुरक्षा भी चाक-चौबंद रहे। इसके लिए मेला क्षेत्र में अस्पताल बनाए गए हैं। 1.5 लाख शौचालय, बड़ी संख्या में सफाईकर्मियों की तैनाती से लेकर कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण तक की व्यवस्था की गई है।
2019 के कुंभ मेले की अपेक्षा शिकायत निवारण के लिए कॉल सेंटर में 20 सीटें बढ़ाई गई हैं। एआई नियंत्रित सीसीटीवी कैमरों की सहायता से सभी 9 रेलवे स्टेशनों पर भी भीड़ प्रबंधन और निगरानी का कार्य किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन पर भीड़ न हो, इसके लिए व्यस्थित तरीके से लोगों को अंदर भेजा जा रहा है, ताकि स्टेशन पर भीड़ न हो। रेलवे पुलिस बल के जवान उन्हीं लोगों को स्टेशन आने दे रहे हैं, जिनकी ट्रेन आने वाली होती है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि भगदड़ की स्थिति न बने और सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।

एआई तकनीक से इलाज

श्रद्धालुओं से लेकर साधु-संतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 100 बिस्तरों वाले केंद्रीय अस्पताल के साथ ही झूंसी और अरैल सहित पूरे मेला क्षेत्र में 10 अस्पताल बनाए गए हैं। इनमें बड़ी संख्या में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गई है। केंद्रीय अस्पताल में देश की सबसे आधुनिक तकनीक से इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा, सुरक्षाकर्मियों के लिए भी पुलिस लाइन में एक अस्पताल है, जिसमें तीन विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात हैं। सुरक्षाकर्मिंयों के लिए हर 10 दिनों में स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

महाकुंभ में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि शुरुआती 10 दिन में ही हृदयाघात वाले 100 से अधिक श्रद्धालुओं की जान बचाई जा चुकी थी। यही नहीं, आईसीयू में 183 मरीजों का इलाज और 580 का माइनर आपरेशन किए जा चुके है। 1,70,727 लोगों ने रक्त परीक्षण कराए और 1,00,998 लोगों ने ओपीडी सेवाएं लीं। अस्पताल के आईसीयू में पहली बार एआई मैसेजिंग फ्लो सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। इसकी विशेषता यह है कि एआई देश या विदेश के किसी भी कोने से आने वाले रोगी की बात समझकर डॉक्टर को समझा सकता है। आईसीयू में भर्ती किसी मरीज की हालत खराब होने की स्थिति में यह तत्काल डॉक्टर को चिकित्सा इंतजाम सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट भेजता है।

नोडल चिकित्सा (स्थापना) के डॉ.गौरव दुबे ने बताया-

‘‘10 बिस्तरों वाले आईसीयू में मरीज के सिर के नीचे एक विशेष प्रकार का माइक लगाया गया है, जो एआई तकनीक से जुड़ा हुआ है। यह माइक 22 क्षेत्रीय और 19 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद कर सकता है। इससे मरीजों की बात समझने में भाषा संबंधी परेशानी नहीं आती है। साथ ही, आईसीयू में एआई कैमरे लगाए गए हैं, जिनसे मरीजों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। इन कैमरों की एक विशेषता यह है कि ये कैमरे मरीज की स्थिति का अनुमान लगा कर डॉक्टर को संदेश भेजते हैं कि उसे मदद की आवश्यकता है। अरैल और झूंसी में 25 बिस्तरों वाले दो अस्पताल सहित विशेष सुविधाओं वाले 20-20 बस्तरों वाले आठ छोटे अस्पताल भी श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए हैं। संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए भी दो अस्पताल बनाए गए हैं।’’

24 घंटे साफ-सफाई

महाकुंभ को स्वच्छ बनाए रखने के लिए भी युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। पूरे मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख शौचालयों के स्लज का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। स्लज के निस्तारण के लिए जल निगम ने तीन अस्थायी और दो स्थायी एसटीपी हैं। फीकल स्लज ट्रीटमेंट भी शुरू किया गया है। साथ ही, जल निगम ने प्रयागराज के सभी 22 नालों के ट्रीटमेंट के लिए जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है। पूरे मेला क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा, सभी 25 सेक्टर में एक-एक वाहन लगाए गए हैं। हर वाहन में दो कर्मचारी और एक सुपरवाइजर तैनात है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मेला क्षेत्र के पक्के घाटों, फुटपाथों, सड़कों तथा विभिन्न सार्वजनिक स्थलों की साफ-सफाई के लिए कॉम्पैक्ट मैनुअल स्वीपिंग मशीन का उपयोग किया जा रहा है। इससे मेले में धूल भी नहीं उड़ती है।

जल निगम के अधिशासी अभियंता सौरभ कुमार ने बताया-

‘‘महाकुंभ के स्लज निस्तारण के लिए 4,000 लीटर क्षमता वाले 4,3,000 लीटर क्षमता वाले 3 और 1,000 लीटर क्षमता वाले 3 वाहन मेला क्षेत्र में तैनात हैं। मेला क्षेत्र का शेष गंदा पानी सीवेज पाइप लाइन से सीधे एसटीपी तक पहुंच रहा है। महाकुंभ को ध्यान में रखते हुए अलोपी बाग स्थित पंपिंग स्टेशन की क्षमता 45 केएलडी से बढ़ाकर 80 केएलडी की गई है।’’ दूसरी ओर, गंगा टास्क फोर्स, गंगा विचार मंच, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, डिस्ट्रिक्ट गंगा कमेटी, राज्य स्वच्छ गंगा मिशन और नेशनल बुक ट्रस्ट जैसी प्रमुख संस्थाएं गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।

गंगा सेवा दूत घाटों की नियमित सफाई कर रहे हैं। इसके अलावा, पूरे महाकुंभ क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने का हर संभव प्रयास किया गया है। यही नहीं, स्नान पर्व शुरू होने से एक दिन लोगों को शाकाहारी भोजन के लिए प्रेरित किया गया। इसके लिए बाबा जयगुरुदेव के संगत प्रेमियों ने महाकुंभ नगर क्षेत्र में शाकाहारी फेरी निकाली। इस फेरी में कहा गया ‘बाबा जी का कहना है, शाकाहारी रहना है।’ 45 दिन तक चलने वाले मेले में 10,200 स्काउट एंड गाइड पूरे महाकुंभ में सेवाएं दे रहे हैं। उनके रहने और खाने-पीने के लिए प्रशासन की ओर से सेक्टर-6 में व्यवस्था की गई है।

घाटों की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए मेला प्रशासन की ओर से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं। ये पुलिसर्मी यह सुनिश्चित करते हैं कि स्नान करने के बाद श्रद्धालु अधिक देर तक घाट पर न रहें। इससे लोगों को घाटों पर भीड़ नहीं मिल नहीं है। घाटों से गंदगी तत्काल हटाई जा रही है। इसके लिए सफाईकर्मी लगातार सफाई कार्यों में जुटे रहते हैं। शौचालयों में भी स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। स्वच्छता कर्मचारियों की अतिरिक्त टीमें इस कार्य में लगाई गई हैं। इससे पार्किंग से लेकर घाटों तक बने शौचालय श्रद्धालुओं को 24 घंटे स्वच्छ मिल रहे हैं। मेला क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के लिए भी विशेष टीमें गठित की गई हैं। श्रद्धालुओं द्वारा छोड़ी गई सामग्रियों को एकत्र कर उचित स्थान पर निस्तारित किया जा रहा है। एकत्रित कचरे को काले लाइनर बैग में जमा कर निस्तारित किया जा रहा है। साथ ही, प्रशासन मेला क्षेत्र में गंदगी नहीं फैलाने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए श्रद्धालुओं से लगातार अपील कर रहा है।

सुरक्षा चाक-चौबंद

महाकुंभ में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। चाहे मेला क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन की बात हो, घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा, आगजनी या आतंकी घटना, सुरक्षाकर्मी हर आपात स्थिति से तत्काल निपटने में सक्षम हैं। मेला क्षेत्र में सेक्टर-19 में गीता प्रेस के शिविर में 19 जनवरी की शाम को गैस लीक के कारण भीषण आग लगी थी। लेकिन कुछ ही देर में न केवल आग पर काबू पा लिया गया, बल्कि आग में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर भी निकाला गया। घटना के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ मेले का निरीक्षण कर रहे थे। वे भी घटना स्थल पर पहुंचे। चूंकि मेला क्षेत्र में सतर्कता और क्विक रिस्पांस टीमें तैनात हैं, इसलिए कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। इस अग्निकांड के बाद अग्निशमन विभाग ने अनधिकृत सिलेंडरों के उपयोग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। मेला क्षेत्र में छापेमारी कर 4 दिन में 270 सिलेंडर जब्त किए।

अग्नि सुरक्षा

मेला क्षेत्र में आग की घटनाएं रोकने के लिए उन्नत सुविधाओं से लैस चार आर्टिकुलेटिंग वाटर टॉवर (एडब्लूटी) तैनात किए गए हैं। एडब्लूटी एक आधुनिक अग्निशमन वाहन है, जिसे विशेष रूप से बहुमंजिला संरचनाओं और बड़े टेंट में आग से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है। ये वाहन उन्नत वीडियो और थर्मल इमेजिंग कैमरों से लैस हैं। ये टावर 35 मीटर ऊंचाई और 30 मीटर क्षैतिज दूरी तक आग पर काबू पाने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा, मेले को सुरक्षित संपन्न कराने के लिए पहली बार घाटों पर 6 फायर बोट तैनात की गई हैं। ये घाटों पर आग लगने की किसी भी तरह की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने में सक्षम हैं।

मुख्य अग्निशमन अधिकारी और महाकुंभ के नोडल अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया-

‘‘6 फायर फाइटिंग बोट के लिए विभाग ने 1.38 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। नदियों के घाट पर अग्निशमन व बचाव अभियान को तेजी से पूरा करने में ये बोट काफी कारगर हैं। इसमें फायर फाइटिंग रोबोट भी तैनात किया जा सकता है, जो काफी दूर तक पानी को पहुंचा कर आग बुझा सकते हैं। मेले में 351 से अधिक अग्निशमन वाहन, 2,000 से अधिक प्रशिक्षित कर्मी, 50 से अधिक अग्निशमन केंद्र और 20 दमकल चौकियां स्थापित की गई हैं। प्रत्येक अखाड़ों के टेंट को अग्निशमन उपकरणों से लैस किया गया है।’’

सख्त सुरक्षा घेरा

महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। मेला क्षेत्र में कुल 56 थाने बनाए गए हैं। खास बात यह कि इन थानों में ऐसे किसी भी पुलिसकर्मी को तैनात नहीं किया गया है, जो प्रयागराज जिले के निवासी हैं। इसके अलावा, पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात की गई हैं। पीएसी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों को 700 नावों पर तैनात किया गया है। इन नावों पर झंडे लगे हुए हैं, ताकि इन्हें दूर से पहचाना जा सके। ये जवान 24 घंटे सतर्कता से मेला क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं। जवानों के लिए अत्याधुनिक लाइफ जैकेट, 4 नई फ्लोटिंग जेटी और बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ट्यूब उपलब्ध कराए गए हैं। विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पीएसी की 7 कंपनियां तैनात की गई हैं। साथ ही, एआई-सक्षम कैमरों सहित सीसीटीवी नेटवर्क के अलावा निगरानी के उन्नत एआई-संचालित डेटा एनालिटिक्स समाधान प्रणालियों का भी उपयोग किया जा रहा है।

सुरक्षा के लिए एंटी-ड्रोन प्रणाली और टेथर्ड ड्रोन के अलावा सात स्तरीय सुरक्षा घेरा भी बनाया गया है। ये 7 स्तरीय घेरे हैं- बाहरी घेरा, आंतरिक घेरा, आइसोलेशन घेरा, जिला जांच, पड़ोसी/बफर जिला, अंतरराज्यीय जांच और सुरक्षा। इस घेरे में सभी धार्मिक स्थलों सहित शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थान हैं। संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी और सुरक्षा अभियानों को अंजाम देने के लिए खुफिया दस्ते भी तैनात किए गए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित घुड़सवार पुलिस दल भी तैनात है, जिसमें 166 पुलिसकर्मी तथा देशी-विदेशी 130 प्रशिक्षित घोड़े हैं। इन घोड़ों की कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक है। सभी घोड़ों की गर्दन में एक विशेष उपकरण लगा है। साथ ही, हाई-टेक ड्रोन निगरानी के साथ भीड़ के हर विवरण को कैप्चर करेंगे। मेले की सुरक्षा के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) बनाया गया है, जो एआई तकनीक से लैस है।

जल सुरक्षा

संगम में 8 किलोमीटर दूर तक गहरे पानी की बैरिकेडिंग की गई है। साथ ही, दो तैरते बचाव स्टेशनों बनाए गए हैं, जिन पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मी तैनात हैं। संगम क्षेत्र में 11 एफआरपी स्पीड मोटरबोट और छह सीटों वाली नावें लगातार गश्त कर रही हैं। संगम तट पर आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित चार जल एंबुलेंस व चेंजिंग रूम सुविधा वाली चार एनाकोंडा मोटरबोटों की तैनाती के अलावा कम से कम 25 रिचार्जेबल मोबाइल रिमोट एरिया लाइटिंग सिस्टम भी स्थापित किए गए हैं। इन्हें 100 डाइविंग किट, 440 लाइफबॉय, 3,000 से अधिक लाइफ जैकेट, 415 बचाव ट्यूब, रस्सियों के साथ 200 थ्रो बैग, 29 टावर लाइट सिस्टम, एक अंडरवाटर ड्रोन और एक सोनार सिस्टम प्रदान किया गया है।

महाकुंभ मेले को 5 क्षेत्र और 25 सेक्टर में बांटा गया है। ये हैं-झूंसी, तेलीयरगंज, संगम, परेड ग्राउंड और अरैल। 4 महीने के लिए मेला क्षेत्र को 76वां जिला घोषित किया गया है, जिसे ‘महाकुंभ मेला’ नाम दिया गया है। इसमें चार तहसीलों सदर, करछना, फूलपुर और सोरांव के 67 गांवों एवं मोहल्लों को शामिल किया गया है। साथ ही, 56 थाने और 133 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। हर सेक्टर में मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं। जिले में डीएम, एडीएम, एसडीएम, एसएसपी, एएसपी और डीएसपी सहित बड़ी संख्यों में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को तैनात किया गया है।

मेले से जुड़े विवादों को निपटाने के लिए अस्थायी अदालत भी स्थापित किया गया है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए कार्यालय और आवास बनाए गए हैं। आपूर्ति विभाग, विद्युत विभाग, जल निगम, पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य आदि विभागों के भी कार्यालय खोले गए हैं। सभी सेक्टरों को जोड़ने के लिए 13 पुल बनाए गए हैं। मुख्य मार्गों की जानकारी देने वाले नक्शे भी लगाए गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को पता चले कि कौन सा रास्ता कहां जाता है और किस तरफ कौन सा धार्मिक स्थल है। पार्किंग और घाटों पर भीड़-भाड़ की जानकारी देने वाले स्कैनर भी लगाए गए हैं। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक व्यवस्था की है, ताकि मेला बिना किसी अप्रिय घटना के संपन्न हो जाए।

Topics: tethered dronesमहाकुंभ 2025Mahakumbh 2025पाञ्चजन्य विशेषमहाकुंभ मेलाMahakumbh Melaटेथर्ड ड्रोन
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