गत 19 जनवरी को भोपाल में क्रीड़ा भारती ने जीजामाता सम्मान समारोह आयोजित किया। इसमें छह प्रसिद्ध खिलाड़ियों की माताओं को राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने सम्मानित किया। सम्मानित होने वाली हैं- ओलंपिक में स्वर्ण और रजत पदक प्राप्त करने वाले नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी (यह पुरस्कार नीरज चोपड़ा के चाचा भीम सिंह ने प्राप्त किया), भारत की पहली महिला जिम्नास्ट दीपा करमकर की मां गौरी करमकर, मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन की मां मोनी देवी, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश की मां उषा कुमारी, भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी विवेक सागर की मां कमला देवी और निशानेबाजी में पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता अवनि लेखरा की मां श्वेता लेखरा। क्रीड़ा भारती की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित क्रीड़ा ज्ञान प्रतियोगिता-2024 में विजेता तीन विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया गया।
समारोह में श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि सैनिक और खिलाड़ी राष्ट्र का ध्वज लेकर चलते हैं। वे देश के किसी भी कोने से आए हों, वे किसी जाति-भाषा के नहीं, अपितु देश के होते हैं। ऐसे सैनिकों और खिलाड़ियों के प्रति देश के नागरिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। सैनिक और खिलाड़ी भारत की एकता, सम्मान और गौरव के प्रतीक हैं। पदक विजेता खिलाड़ियों को जिन्होंने तैयार किया, उनके परिश्रम और संघर्ष को चिन्हित करना और उसे सम्मान देना, यह बहुत महत्व की बात है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी की सफलता में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख भाई मांडविया ने कहा कि क्रीड़ा भारती का यह कार्यक्रम प्रेरक है, जो खिलाड़ियों की माताओं के योगदान के महत्व को स्थापित करता है।
मध्य प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि देश की प्रगति के लिए हमें युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ करना होगा। खेल इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मध्य प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री एवं क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चेतन कश्यप ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर क्रीड़ा भारती एकमात्र संगठन है, जो समस्त खेलों की चिंता करता है। इसके साथ ही क्रीड़ा भारती का प्रयास रहता है कि हमारे खिलाड़ी संस्कारवान बनें।
‘भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र हो जाएगा’
गत दिनों टिमरनी (हरदा) के सरस्वती शिशु मंदिर प्रांगण में श्रद्धेय भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला आयोजित हुई। व्याख्यानमाला की पहली संध्या का विषय था-‘वर्तमान युवा और भविष्य का भारत।’ शहीद समरसता मिशन, इंदौर के संस्थापक और मुख्य वक्ता मोहन नारायण गिरि ने कहा कि भारत अपनी तकनीकी, सैन्य शक्ति और आर्थिक स्थिति के बल पर 2047 तक विकसित राष्ट्र बन जाएगा।
भारत सबसे युवा देश है, जिसकी 65 प्रतिशत आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है। दुनिया की सबसे प्रशिक्षित श्रम शक्ति भारत के पास है। दुनिया में आईटी के क्षेत्र में 40 प्रतिशत योगदान भारतवंशी युवाओं का है। व्याख्यानमाला की दूसरी संध्या का विषय था-कलहमुक्त, स्नेहयुक्त परिवार। इसे संबोधित करते हुए कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के संयोजक रवीन्द्र जोशी ने कहा कि आज परिवारों में कलह, द्वेष, वैमनस्यता बढ़ रही है। रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। वैवाहिक संबंध टूट रहे हैं। इसका मुख्य कारण भय, स्वार्थ, अहंकार, आलस्य, गलत सामाजिक मान्यता और मानसिक जड़ता है। इन बातों को दूर करने के लिए परिवार में साथ मिलकर भोजन करें, गपशप करें, परिवार के साथ समय बिताएं।
कार्यक्रम में संयुक्त रूप से रह रहे जिले के तीन परिवारों के मुखियाओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अरुण सिकरवार व कतिया समाज के पूर्व अध्यक्ष बाजूलाल काजवे ने की।
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