व्हाइट हाउस में एकाएक तेज हुई भारत और चीन की चर्चा, क्या है Trump की रणनीति में India का महत्व
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व्हाइट हाउस में एकाएक तेज हुई भारत और चीन की चर्चा, क्या है Trump की रणनीति में India का महत्व

भारत ​की वैश्विक बिरादरी में बढ़ रही साख और उस साख का लोहा माना जाना, ट्रंप की नजरों में मोदी के राज में, नई दिल्ली के महत्व को कम आंक ही नहीं सकता

by Alok Goswami
Jan 21, 2025, 03:50 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
'हाउडी मोडी' कार्यक्रम में खुद मौजूद रहकर ट्रंप मोदी का करिश्मा देख चुके हैं

'हाउडी मोडी' कार्यक्रम में खुद मौजूद रहकर ट्रंप मोदी का करिश्मा देख चुके हैं

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डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने से पूर्व ही भारत तथा चीन को लेकर अपनी सोच और नीति की ओर संकेत कर दिया था। ट्रंप का संकेत बताता है कि उनकी सरकार की विदेश नीति की दिशा क्या रहने वाली है। ट्रंप के नजदीकी अधिकारियों का कहना है कि कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप भारत और चीन जाने की सोच रहे हैं। ट्रंप कारोबारी मनोवृत्ति के हैं और जानते हैं कि भारत तथा चीन दुनिया के सबसे बड़े बाजार के नाते जाने जाते हैं।


अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने कुर्सी संभालते ही जिस तत्परता से कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, आदेश पारित किए हैं, उसे देखते हुए लगता है गत कुछ वर्ष से रणनीति के मामले में पिछड़ता रहा अमेरिका अब इस मार्चे पर भी चौकस होगा। इस दृष्टि से चार चीजें खास संकेत करती हैं। एक, गाजा युद्धविराम और बंधकों की रिहाई। दो, चीन के राष्ट्रपति से फोन पर चर्चा और ट्रंप के बीजिंग जाने की तेज अटकलें। तीन, रूस के राष्ट्रपति पुतिन का ट्रंप को फोन कर के बधाई देना। चार, ट्रंप का भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपनी नजदीकी के बारे सार्वजनिक तौर पर बयान देना और मोदी द्वारा केन्द्रीय मंत्रियों जयशंकर, अश्वनी वैष्णव को प्रतिनिधिमंडल के साथ शपथ ग्रहण समारोह में अपने विशेष बधाई पत्र के साथ भेजना।

व्हाइट हाउस के सूत्रों से आ रही खबरें बताती हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप विदेश यात्राओं की शुरुआत भारत और चीन से कर सकते हैं। इसके मायने क्या हैं? मायने यही हैं कि दक्षिण एशिया को ट्रंप के रणनीतिकार खास महत्व दे रहे हैं। इसकी एक वजह है मोदी के शासन में तेजी से विकास करता भारत और दूसरी है, ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान चीन से बिगड़े रिश्तों को पटरी पर लाना और राजस्व में बढ़ोतरी करना।

डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने से पूर्व ही भारत तथा चीन को लेकर अपनी सोच और नीति की ओर संकेत कर दिया था। ट्रंप का संकेत बताता है कि उनकी सरकार की विदेश नीति की दिशा क्या रहने वाली है। ट्रंप के नजदीकी अधिकारियों का कहना है कि कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप भारत और चीन जाने की सोच रहे हैं। ट्रंप कारोबारी मनोवृत्ति के हैं और जानते हैं कि भारत तथा चीन दुनिया के सबसे बड़े बाजार के नाते जाने जाते हैं। इन बाजारों तक अमेरिका की पहुंच आसान हो, राष्ट्रपति के नाते यह स्थिति ट्रंप को पसंद आएगी है।

चीन और उसके सोशल मीडिया एप टिकटॉक पर अमेरिका में पाबंदी का मामला इन दिनों चर्चा में रहा है। फिलहाल ट्रंप ने टिकटॉक पर कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक कुूछ वक्त के लिए टाल दी है। सुनने में आया है कि वह चाहते हैं, चीन अपने यहां अमेरिकी एप्स को तरजीह दे तो वे अपने यहां चीन को जगह बनाने दे सकते हैं।

ट्रंप की कोशिश होगी कि बीजिंग के साथ संबंधों को वापस पटरी लाया जाए। चीन की बढ़ती ताकत से अमेरिका असावधान नहीं है। ट्रंप ने फोन पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात करके संकेत दिया है कि शी के साथ हुई उनकी ‘शानदार बात’ रिश्तों को किस ओर ले जाने वाली है। हालांकि ट्रंप चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात भी कह चुके हैं।

खासतौर पर रूस और चीन की नजदीकी, यूक्रेन—रूस युद्ध जैसे मुद्दे भी ट्रंप की सूची में सबसे आगे होंगे। अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप उत्तर कोरिया तक गए थे और तानाशाह किम से मिले थे। लेकिन किम ने अमेरिका को घुड़कियां दिखाने में कहीं कोई कमी नहीं आने दी।

भारत ​की वैश्विक बिरादरी में बढ़ रही साख और उस साख का लोहा अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों द्वारा माना जाना ट्रंप की नजरों में मोदी के राज में नई दिल्ली के महत्व को कम आंक ही नहीं सकता था। मोदी से उनकी निकटता भी है। ‘हाउडी मोडी’ कार्यक्रम में खुद मौजूद रहकर ट्रंप मोदी का करिश्मा देख चुके हैं। इसलिए नए भारत से नजदीकी बढ़ाने में भारत से ज्यादा अमेरिका की भलाई है, यह तथ्य नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत आने को लेकर अपने नजदीकी सलाहकारों से चर्चा की है। देखा जाए तो किसी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूरोप, नाटो देशों तथा पड़ोस के कनाडा या मैक्सिको की बजाय भारत और चीन को प्राथमिकता पर रखना खास संदेश देता है।

Topics: Xi Jinpingराष्ट्रपति ट्रंपभारतचीनmodiamericatrumpIndiaUSAChinastrategyWhite Houseforeign policy
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