देश ने 15 जनवरी को 77 वां भारतीय सेना दिवस मनाया। सेना दिवस समारोह तीन दिनों में मनाया जाता है। 13 जनवरी को सेना प्रमुख (सीओएएस) ने पिछले एक साल में भूमि सीमाओं के प्रमुख मुद्दों और आगे के अपने दृष्टिकोण को उजागर करने के लिए वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित करते हैं। 14 जनवरी को सशस्त्र सेनाएं वेटेरन्स डे मनाती हैं। वैसे तो यह एक त्रि-सेवा कार्यक्रम है, लेकिन इसमें सेना की छाप सबसे अधिक होती है। कारण यह है की देश में अधिकतम पूर्व सैनिक भारतीय सेना से आते हैं।
15 जनवरी 1949 को, जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा ने भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला। इस प्रकार, इस दिन को आधिकारिक तौर पर सेना दिवस कहा जाने लगा। संयोग से, भारतीय वायु सेना का नेतृत्व 1954 तक ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा जब एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी ने 1 अप्रैल 1954 को पदभार संभाला। भारतीय नौसेना को 22 अप्रैल 1958 तक पहले भारतीय नौसेना प्रमुख की प्रतीक्षा करनी पड़ी जब वाइस एडमिरल राम दास कटारी ने नियुक्ति संभाली। बाद में तीनों सेवा प्रमुखों को सीओएएस, वायु सेना प्रमुख (सीएएस) और नौसेना प्रमुख (सीएनएस) के रूप में नामित किया गया।
13 जनवरी को वार्षिक संवाददाता सम्मेलन जनरल उपेंद्र द्विवेदी द्वारा पिछले साल 1 जुलाई को सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभालने के बाद पहली बार किया गया । उनकी निगरानी में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पिछले साल अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में डिसइंगेजमेंट समझौता हुआ था। सीओएएस का पद संभालने से पहले जनरल द्विवेदी उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर थे। वह क्षेत्र की परिचालन गतिशीलता को पूरी तरह से समझते हैं और इस प्रकार उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति को ‘संवेदनशील लेकिन स्थिर’ बताया । उन्होंने भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए चल रहे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी ।
इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि भारतीय सेना ने चीनियों से अपनी सैन्य ताकत दिखा कर निपटा है और इसने चीन को समझौता करने पर मजबूर किया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में बड़ी सफलता, अमरनाथ यात्रा के सफल संचालन और अब तक के सबसे शांतिपूर्ण संसद और विधानसभा चुनावों के साथ, भारतीय सेना केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य स्थिति बहाल करने में सफल रही है। कुल मिलाकर सेना प्रमुख का संदेश संवेदनशील सीमाओं पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारतीय सेना के संकल्प को व्यक्त करना था। साथ ही जरूरत के मुताबिक आंतरिक स्थिरता को सुनिश्चित करने में भारतीय सेना लगातार प्रयत्नशील है।
14 जनवरी को, सेना प्रमुख ने 9 वें वेटेरन्स डे को चिह्नित करने के लिए पुणे में एक समारोह में पूर्व सैनिकों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्ययकत की उन्होंने हमारे देश के बहादुर रक्षकों की सराहना की जो सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज में योगदान देना जारी रखते हैं। वर्दीधारी समुदाय, पूर्व सैनिक, उनके आश्रितों और परिवार के अन्य सदस्यों की 1 करोड़ से अधिक की विशाल सामूहिक ताकत राष्ट्र निर्माण के प्रयासों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रही है। उन्होंने पुणे में कृत्रिम अंग केंद्र (आर्टफिशल लिम्ब सेंटर ) में ऊपरी अंग प्रशिक्षण भाग भी समर्पित किया। यह विश्व स्तरीय सुविधा अब युद्ध और युद्ध जैसी स्थितियों में ऊपरी अंग के अपंगों के लिए अनुरूप पुनर्वास प्रदान करने में सक्षम है। इस सुविधा के माध्यम से सेना प्रमुख की ओर से अपने सेवारत सैनिकों और अधिकारियों को संदेश दिया गया कि आप निर्भीक होकर देश की सुरक्षा के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं। एक कृतज्ञ राष्ट्र और भारतीय सेना हमेशा आपकी और आपके आश्रितों की देखभाल करने के तैयार है।
15 जनवरी को मुख्यालय दक्षिणी कमान के तत्वावधान में पुणे में एक प्रभावशाली सेना दिवस परेड आयोजित की गई। सेना, नौसेना और वायु सेना के वार्षिक परेड को दिल्ली से बाहर करने के मोदी सरकार के फैसले ने देश के हर कोने में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की क्षमता से अवगत कराया है। परेड के दौरान, विभिन्न हथियार, आधुनिक प्लेटफार्म, नवीन उपकरण और युद्ध क्षमता का भव्य प्रदर्शन किया गया । एक आधुनिक, चुस्त, अनुकूलनीय, प्रौद्योगिकी सक्षम लेकिन सबसे अनुशासित सेना को चित्रित करने के लिए हर पहलू का प्रदर्शन किया गया। सेना प्रमुख ने यह भी खुलासा किया कि भविष्य में संभावित स्थानों के रूप में जबलपुर, जयपुर, गुवाहाटी और भोपाल जैसे छोटे शहरों में सेना दिवस परेड आयोजित करने की योजना है।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार और सक्षम है। एक व्यावहारिक सेना प्रमुख के रूप में, उन्होंने यह भी इच्छा व्यक्त की कि हमारे आंख और कान हमेशा खुले रहने चाहिए । सैन्य शक्ति, कूटनीति, सीएपीएफ और खुफिया एजेंसियों के बीच पूर्ण तालमेल के साथ पूरे देश के दृष्टिकोण को गलवान जैसे हालात को रोकना चाहिए और ऐसी स्थिति दोहराई नहीं जानी चाहिए। उन्होंने रक्षा सुधारों के इस वर्ष में एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय सेना के संकल्प को भी दोहराया, विशेष रूप से आत्मनिर्भर भारत तैयार करने और विकसित भारत के सपने में राष्ट्र निर्माण के प्रयासों की ओर।
कुल मिलाकर, इस वर्ष के सेना दिवस समारोह का संदेश हमारे विरोधियों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी थी। भारतीय सेना हमारे दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए हमेशा तैयार रहेगी। अपने सशक्त इरादों से भारतीय सेना ने पिछले चार वर्षों की गंभीर सुरक्षा चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। अब यह रेजिमेंटेशन और सुधारों द्वारा समर्थित और अत्याधिक सैनिक कौशल के साथ एक आधुनिक युद्ध बल में बदलने की राह पर है। माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में, रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं ने परिचालन और रणनीतिक लाभों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम किया है। भारतीय सेना राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने और भारत के वैश्विक सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करने की दिशा में वर्ष 2025 में एक और गौरवशाली अध्याय जोड़ने के लिए तैयार है। जय भारत !
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