डाइवर्सिटी का शिकार बने स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय कवि रॉबर्ट बर्न्स: आधुनिक डाइवर्स रचनाओं के चलते किया गया अनदेखा
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डाइवर्सिटी का शिकार बने स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय कवि रॉबर्ट बर्न्स: आधुनिक डाइवर्स रचनाओं के चलते किया गया अनदेखा

स्कॉटलैंड के अंग्रेजी साहित्य के पाठ्यक्रम में बहुत परिवर्तन किये जा रहे हैं और प्राचीन साहित्य को कम किया जा रहा है। इसके अनुसार रॉबर्ट बर्न्स को उच्च अंग्रेजी लेने वाले शिक्षार्थियों के लिए स्टैंडअलोन लेखक के रूप से हटा दिया है।

by सोनाली मिश्रा
Jan 12, 2025, 12:11 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
Scotish Poet Robert burns

रॉबर्ट बर्न्स

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डाइवर्सिटी अर्थात विविधता को लेकर वोक कल्चर की परिभाषा बहुत अलग है। स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय कवि रॉबर्ट बर्न्स भी इसी वोक कल्चर के शिकार हो गए। उन्हें भी भुला दिया गया। यद्यपि हर सभ्य देश और हर सभ्य संस्कृति विविधता का सम्मान करती है। भारत में तो यह कहा ही जाता है कि विविधता में एकता का देश है भारत। मगर यह विविधता जब अपने ही राष्ट्र नायकों को किनारे करके हासिल की जाने लगे, तो उसे थोपी हुई विविधता कहते हैं। वह वास्तविक विविधता नहीं हो सकती है। हर संस्कृति की अपनी विविधताऐं होती हैं, जो उसे एक रूप में बांधे रहती हैं।

उस देश की विविधताओं को साहित्य में बांधने का कार्य साहित्यकार करते हैं। हर देश में कोई न कोई राष्ट्रकवि होता ही है, जो उस देश की लोक कथाओं को संवारने में अग्रणी होता है, उस देश की भाषा को सजाने में अग्रणी होता है और जिसके कारण उस भाषा की समृद्धि बढ़ती है और अंतत: देश की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि बढ़ती है। मगर क्या होगा जब वोक डाइवर्सिटी उसी रचनाकार को पीछे कर दे, जिसके कारण भाषा और लोक में और बेहतर जुड़ाव हुआ था। यूके के देश स्कॉटलैंड में उनके राष्ट्रीय कवि कहे जाने वाले रॉबर्ट बर्न्स के साथ यही हो रहा है। रॉबर्ट बर्न्स को स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय कवि माना जाता है, क्योंकि उन्होंने स्कॉटलैंड के लोक और साहित्य पर काफी काम किया है। उन्हें शेक्सपियर और ब्लेक की श्रेणी का रचनाकार माना जाता है।

scottishdailyexpress.co.uk के अनुसार स्कॉटलैंड के अंग्रेजी साहित्य के पाठ्यक्रम में बहुत परिवर्तन किये जा रहे हैं और प्राचीन साहित्य को कम किया जा रहा है। इसके अनुसार रॉबर्ट बर्न्स को उच्च अंग्रेजी लेने वाले शिक्षार्थियों के लिए स्टैंडअलोन लेखक के रूप से हटा दिया है। हालांकि स्कॉटिश योग्यता प्राधिकरण (एसक्यूए) ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि पिछले ग्रीष्मकाल में उच्च अंग्रेजी की परीक्षा देने वाले 35,000 छात्रों में से केवल 83 ने बर्न्स पर एक प्रश्न का उत्तर देने का विकल्प चुना था।

इस पोर्टल के अनुसार अधिक आधुनिक और डाइवर्स रचनाओं को शामिल करने के लिए बर्न्स के साथ-साथ कई और महान रचनाकारों की रचनाओं को कम किया जा रहा है, जैसे लूइस ग्रासिक गिबन और जॉर्ज मैके ब्राउन। हालांकि इसे लेकर आलोचना के स्वर भी तेज हैं।

ग्लासगो विश्वविद्यालय में स्कॉटिश साहित्य के फ्रांसिस हचसन अध्यक्ष प्रोफेसर जेरार्ड कैरथर्स ने इस विवादास्पद कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा: “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने युवाओं को बर्न्स का अध्ययन करने के लिए अंतहीन अवसर प्रदान करें। उनके पास शब्दों के साथ एक ऐसी प्रतिभा है जो लगभग अतुलनीय है और वह शेक्सपियर, जॉयस और ब्लेक के समान है।”

ग्रासिक गिबन के सनसेट सॉन्ग को स्कॉटलैंड की सबसे पसंदीदा पुस्तक के रूप में चुना गया था और उसे भी उच्च अंग्रेजी के लिए चुनी गई पुस्तकों की सूची में से हटा दिया गया है। वहीं एसक्यूए के अंग्रेजी के अध्यक्ष का कहना है कि उन्हें ऐसा फीडबैक मिला कि आधुनिक और डाइवर्स रचनाएं भी शामिल की जाएं।

हैरान करने वाली बात यह भी है कि जो रचनाएं शामिल की गई हैं, उनमें इम्तियाज़ धरकर की भी कविताएं शामिल हैं। इम्तियाज़ धरकर पाकिस्तानी मूल की हैं और उनका जन्म पाकिस्तान में हुआ था और पालनपोषण ग्लासगो में हुआ था।

 

Topics: Western LiteratureRobert Burnsworld Newsscotlandस्कॉटलैंडवर्ल्ड न्यूजपश्चिम साहित्यरॉबर्ट बर्न्स
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