अपनी भाषा, संस्कृति एवं भारतीयता में फिल्में बननी चाहिए : मनोज तिवारी
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होम भारत

अपनी भाषा, संस्कृति एवं भारतीयता में फिल्में बननी चाहिए : मनोज तिवारी

तृतीय महाकौशल शार्ट फ़िल्म फेस्टिवल का समापन, दो दिवसीय महाकौशल फिल्म फेस्टिवल ऐतिहासिक सफलता के साथ संपन्न हुआ।

by WEB DESK
Dec 30, 2024, 06:15 pm IST
in भारत
महाकौशल शार्ट फ़िल्म फेस्टिवल

महाकौशल शार्ट फ़िल्म फेस्टिवल

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दो दिवसीय महाकौशल फिल्म फेस्टिवल ऐतिहासिक सफलता के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम के दूसरे दिन आगंतुक अतिथियों का फिल्म निर्माता, निर्देशक, कलाकार सभी प्रतिभागियो को सम्मानित किया गया। जबलपुर के ही प्रसिद्ध निर्देशक विनोद तिवारी जी द्वारा स्मार्ट क्लास के माध्यम से उपस्थित लोगो की फिल्म से जुड़ी जिज्ञासाओं के संबंध मे अपने विचार व्यक्त किए । इसी प्रकार जबलपुर के जन्मे एवं पंचायत, फिरंगी चौरासी के प्रसिद्ध कलाकार प्रतीक पचौरी द्वारा बहुत ही सारगर्भित प्रश्नों के जबाब दिए गए। जब एक श्रोता द्वारा पूछा गया कि महाकौशल में कब तक फिल्म निर्माण हो सकता है इसके जबाब मे बताया गया कि यहां अनेक फिल्मों का निर्माण पूर्व से किया जा रहा है। अनेक विधा में काफी दक्ष लोग फिल्म से जुड़े हुए हैं और अनेक क्षेत्रो में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। अनेक फिल्म की स्क्रीन की गई ।

कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि प्रसिद्ध अभिनेता और सासंद मनोज तिवारी जी ने अपने उद्बोधन में कहा जिसे कलम से अपनी बात को कहने का सामर्थ्य है वही प्रतिभागी है। गीतकार से फिल्म में आया हूं। आज भी सभी बड़े से बड़े प्रोड्यूसर को भी नए विषय की तलाश है।

मनोज तिवारी ने कहा कि भारतीयता को दिखाने वाले सामग्री को बहुतायत से अपनी विषय वस्तु दिखानी चाहिए। अपनी भाषा और संस्कृति में फिल्में बननी चाहिए। आज प्रधानमंत्री जी द्वारा मन की बात को भी अपने उद्बोधन के बीच में दिखाया गया । जिसमें मीडिया के प्रभाव एवं भारतीयता को दर्शाया जा रहा है। मधुर गीत संगीत के माध्यम से दर्शकों को बांधे रखा। कार्यक्रम में 174 शार्ट फ़िल्म/ डाक्यूमेंट्री में से 80 को चुना गया। प्रत्येक श्रेणी में शॉर्ट फिल्म डॉक्युमेंट्री निर्देशक को पुरस्कृत भी किया गया।

समापन अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं मध्य क्षेत्र के कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि सिनेमा आज के संदर्भ में एक औद्योगिक उत्पाद एवं सांस्कृतिक कला के रूप में जाना जाता है। भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार फिल्म बनाना आवश्यक है। सपने की उड़ान को पंख देने की आवश्यकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की फिल्म बने, न कि इंटेलिजेंस आर्टिफिशियल हो।

कार्यक्रम स्थल पर प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया था । कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर पवन स्थापक, समिति के अध्यक्ष प्रशांत कर्मवीर, सचिव अंजनी ज्योतिषी एवं विभिन्न समितियां के दायित्व एवं कार्यकर्ताओं की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन प्रखर पांडे एवं डॉ मनीषा शर्मा द्वारा किया गया।

Topics: भारतीय संस्कृतिManoj Tiwariमनोज तिवारीमहाकौशल शार्ट फ़िल्म फेस्टिवलMahakoshal Film Festival
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