उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में स्थित प्राचीन बावड़ी और सुरंगों की खुदाई ने ऐतिहासिक धरोहरों की परतें खोल दी हैं। लक्ष्मण गंज में स्थित इस बावड़ी के रहस्यों को उजागर करने के लिए राज्य पुरातत्व विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीमें जुटी हैं। ये खुदाई न केवल ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय इतिहास के अनछुए पहलुओं को भी सामने ला रही है।
बावड़ी और सुरंग की खोज
चंदौसी क्षेत्र में खुदाई के दौरान एक गुप्त सुरंग और एक भव्य प्राचीन बावड़ी का पता चला। इस बावड़ी को ‘रानी की बावड़ी’ के नाम से जाना जाता है। इसमें सुरंग जैसी संरचनाएं, 12 कमरे और एक कुआं पाया गया है। अब तक चार कमरे स्पष्ट रूप से सामने आ चुके हैं और खुदाई का कार्य जेसीबी मशीन की मदद से सावधानीपूर्वक जारी है।
खुदाई में मिली वस्तुएं
खुदाई के दौरान कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वस्तुएं मिली हैं, जो इस क्षेत्र के राजपूत काल और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े होने के संकेत देती हैं।
- स्वास्तिक चिह्न अंकित ईंटें और कलात्मक पत्थर।
- गणेश जी, लक्ष्मी जी, और गौरा-पार्वती जी की खंडित मूर्तियां मिलीं।
- प्राचीन तोता-मैना की कब्र जीर्ण-शीर्ण हालत में मिली है, जिसे संरक्षित किया जा रहा है।
- नीमसार के कुएं में खुदाई के दौरान 10-12 फीट की गहराई पर जल मिला।
पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बावड़ी पृथ्वीराज चौहान के समय की है। इसकी भव्यता और निर्माण कला इसे राजपूत काल की समृद्धि और स्थापत्य कला का प्रतीक बनाती है। इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है।
संभल जिले के डीएम कहते हैं, हम लोगों से कहेंगे कि वे “संभल में एक दिन जरूर बिताएं”। हम सभी कूपों का संरक्षण कर रहे हैं। प्रशासन ने इलाके में अन्य संभावित धरोहर स्थलों की पहचान के लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों ने दावा किया कि मंदिर के पास एक खाली प्लॉट में पुरानी बावड़ी है। इस दावे के बाद वहां खुदाई शुरू की गई। नखासा थाना क्षेत्र के मोहल्ला दीपा सराय में स्थित 46 साल से बंद पड़े शिव मंदिर का भी इस दौरान पुनरुद्धार किया गया। यह मंदिर प्रशासनिक कार्रवाई के दौरान सामने आया और इसमें मूर्तियां भी मिली।
संभावित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
इस खोज से यह स्पष्ट होता है कि संभल क्षेत्र में कई ऐतिहासिक धरोहरें छिपी हो सकती हैं, जो भारतीय इतिहास के अनछुए पहलुओं को उजागर कर सकती हैं। पुरातत्व विशेषज्ञ इन संरचनाओं के निर्माण समय, उनके उद्देश्य और ऐतिहासिक संदर्भों की गहराई से जांच कर रहे हैं।
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