हिमाचल प्रदेश स्थित संजौली मस्जिद विवाद मामले में वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में नई चाल चल दी है। जिस मस्जिद को वक्फ बोर्ड अपना बता रहा था, अब वह कोर्ट से उसके रिकॉर्ड को पेश करने के लिए समय की मांग कर रहा है। वक्फ बोर्ड की इस मांग ने कई शंकाओं को जन्म दे दिया है। हिन्दू पक्ष देवभूमि संघर्ष समिति की वकील जगतपाल ने रेवेन्यु रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की आशंका व्यक्त की है।
रिपोर्ट के अनुसार, हिन्दू पक्ष की आशंका है कि रेवेन्यु रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की जा सकती है। मस्जिद के रेवेन्यु रिकॉर्ड और जमाबंदी मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक हिमाचल प्रदेश सरकार का है। ऐसे वक्त में जिस तरह से वक्फ बोर्ड मस्जिद के रिकॉर्ड को पेश करने के लिए वक्त मांग रहा है, ये उसकी मंशा पर सवाल खड़े करता है। शिमला नगर निगम के कमिश्नर पर अदालत के निर्देशों की अवमानना का आरोप लगाते हुए हिन्दू पक्ष ने जल्द फैसला नहीं होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की चेतावनी दी है।
दरअसल, नगर निगम आयुक्त की अदालत ने 5 अक्तूबर को 5 में से तीन मंजिलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, लेकिन बाद में संजौली मस्जिद कमेटी ने पैसे न होने का हवाला देते हुए 21 दिसंबर को अदालत से इसके लिए अतिरिक्त समय की मांग की। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च तक के लिए टाल दी गई है।
संजौली मस्जिद को अवैध बता रहा हिन्दू पक्ष
गौरतलब है कि संजौली मस्जिद को हिन्दू संगठन लगातार अवैध बता रहे हैं। दस्तावेजों से भी ये बात स्पष्ट होती है कि ये मस्जिद सरकारी जमीन पर बनाई गई है। इस मस्जिद के अवैध निर्माण के खिलाफ हिन्दू संगठनों ने कई दिनों तक आंदोलन भी किया था। बाद में 11 सितंबर मस्जिद कमेटी ने भी अवैध हिस्से को स्वीकारते हुए खुद ही उसे हटाने की पेशकश की थी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ये केवल वक्त को आगे बढ़ाने के लिए था। क्योंकि, मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
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