दिल्ली पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाकर बांग्लादेशी नागरिकों को राजधानी दिल्ली में बसाने वाले एक गिरोह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस खबर के सुर्खियों में आने के बाद उत्तराखंड में भी ऐसे गिरोह के सक्रिय होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली में पकड़े गए गिरोह के सदस्य फर्जी आधार कार्ड, पेन कार्ड, वोटर कार्ड आदि बनाने में माहिर थे। ये बांग्लादेशियों की योजनाबद्ध तरीके से राजधानी दिल्ली और आसपास बसावट कर रहे थे। दिल्ली में बंग्लादेशी के साथ साथ बड़ी संख्या में रोहिंग्या के भी घुसपैठ करने की खबरे समय समय पर सामने आती रही है।
हाल ही में देहरादून में सत्यापन अभियान चलाया गया जिसमें असम, बंगाल व अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के आधार कार्ड पाए गए। बड़ा सवाल यह है कि ये लोग उत्तराखंड में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने क्यों और कैसे आ रहे हैं। दरअसल बंग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमो की भाषा बोली, संस्कृति, पहनावा अन्य मुस्लिमो से मेल नहीं खाती है । पहली नजर में ये मुस्लिम नहीं लगते इसलिए उनके फर्जी पहचान पत्रों में भी उन्हें हिंदू बंगाली बताया जाता है। बाद में यही पहचान पत्र एक बार फिर से बदल कर मुस्लिम समुदाय से हो जाते हैं।
कुछ मामले ऐसे भी खुफिया एजेंसियों के संज्ञान में आए की हाल ही में भारत सरकार द्वारा बांग्लादेशी हिंदुओं और पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दिए जाने का निर्णय लिया था। जिसके बाद इस तरह की घुसपैठ बढ़ने की खबरें आ रही हैं और यहां आने वाले लोग अपनी पहचान छिपाकर खुद को बांग्लादेशी शरणार्थी बता रहे हैं।
हरिद्वार में गंगा किनारे, देहरादून में आईएसबीटी, सेलाकुई , मानसिक अस्पताल के आसपास ऐसे घुसपैठियों की बसावट देखी जा सकती है। उत्तराखंड पुलिस,उच्च अधिकारियों के निर्देश पर सत्यापन अभियान तो चलाती है लेकिन अभियान के दो दिन बाद उसे इस सत्यापन का भी सत्यापन करने में कोई दिलचस्पी नहीं रहती। कहां से ये आए ,कहां इनके कार्ड बने इस पर कोई जांच टीम काम नहीं कर रही।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों डीजीपी और गृह सचिव को इस बारे में गहनता से जांच करने के लिए निर्देशित किया था। एक दिन सत्यापन अभियान चला कुछ संदिग्ध दिखे भी उसने बाद अभियान फुस्स हो गया और पुलिस अन्य कामों में व्यस्त हो गई। उत्तराखंड ऐसा सीमावर्ती राज्य है जहां असम के बाद सबसे तेजी से मुस्लिम आबादी की घुसपैठ हो रही है, डेमोग्राफी चेंज के इनपुट सरकार को केंद्र की खुफिया एजेंसियों से भी मिल रहे हैं। उत्तराखंड के मैदानी जिलों में ये घुसपैठ बदस्तूर जारी है, इसमें स्थानीय ग्राम पंचायतों के जन प्रतिनिधि भी शामिल हैं। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा है।
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