उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्थित एक 100 साल पुराना श्री गंगा महारानी मंदिर अब कब्जे से मुक्त कर लिया गया है। प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में इस मंदिर को कब्जे से मुक्त कराते ही हिंदू संगठनों ने वहां से इस्लामी झंडा उतारकर भगवा ध्वज फहरा दिया। यह कदम मंदिर के इतिहास और महत्व को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए उठाया गया है। मंदिर पर पिछले कई वर्षों से कब्जा था, जिसे शुक्रवार को पुलिस प्रशासन द्वारा खाली करवा लिया गया।
श्री गंगा महारानी मंदिर का निर्माण 1905 में हुआ था और यह बरेली के किला क्षेत्र के बाकरगंज में स्थित है। पहले इस परिसर में दौली रघुवर दयाल सहकारी समिति लिमिटेड का ऑफिस था, जो बाद में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद से ही मंदिर की स्थिति बिगड़ने लगी और इसके परिसर में अवैध रूप से रहने वाले परिवार ने धीरे-धीरे मंदिर के अंदरूनी हिस्सों को तोड़कर अपनी जगह बना ली थी।
वाजिद अली और उनके परिवार ने पिछले 40 सालों से इस मंदिर के भवन में कब्जा कर रखा था। इस पूरे मामले में जब मीडिया में खबरें प्रकाशित हुईं, तो जिलाधिकारी ने मामले की जांच शुरू की। नायब तहसीलदार ब्रजेश कुमार के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर मामले की गंभीरता को समझा और राजस्व रिकॉर्ड की जांच की। इसके बाद मंदिर को प्रशासन ने खाली करवा लिया और कब्जे से मुक्त कराया।
मंदिर की पुनः स्थापना
मंदिर की बहाली के लिए हिंदू संगठनों ने महत्वपूर्ण कदम उठाया। जब मंदिर से इस्लामी झंडा हटाया गया, तो वहां भगवा ध्वज फहरा दिया गया। हिंदू संगठन अब मंदिर की शुद्धिकरण और पूजा आरंभ करने के लिए तैयार हैं।
मंदिर में कब्जा कर रहे वाजिद अली ने इस मामले में अपना पक्ष रखा। उनका कहना था कि उनके पिता पहले इस क्षेत्र में चौकीदार के रूप में काम करते थे और उन्होंने कभी मंदिर या मूर्तियों को नहीं देखा। वह और उनका परिवार 40 वर्षों से यहां रह रहे हैं और प्रशासन से 8 महीने का समय मांग रहे हैं, ताकि वह अपने सामान को हटाकर इस जगह को खाली कर सकें।
प्रशासन की कार्रवाई
प्रशासन ने वाजिद अली के दावे को खारिज कर दिया और उन्हें नोटिस जारी कर मंदिर को खाली करने का आदेश दिया। जांच में यह पाया गया कि वाजिद अली का दावा चौकीदार के रूप में काम करने का सही नहीं था, क्योंकि सहकारी समिति से उन्हें कभी भी वेतन नहीं मिला। इसके अलावा, मंदिर के दस्तावेज और राजस्व रिकॉर्ड में यह भूमि श्री गंगा महारानी मंदिर के नाम पर दर्ज थी।
टिप्पणियाँ