मानवाधिकार दिवस का गूंजता मौन
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

मानवाधिकार दिवस का गूंजता मौन

आज, बांग्लादेश के हिंदुओं का धर्म, जान, और इज्जत, तीनों खतरे में हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, अगस्त 2024 से अब तक हिंदुओं पर हमले के हजारों मामले दर्ज हो चुके हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि अंतरिम सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह असफल रही है

by हितेश शंकर
Dec 14, 2024, 01:56 pm IST
in विश्व, सम्पादकीय
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। यह वह दिन है जब दुनिया भर के नेता, संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता एक मंच पर आकर समानता, स्वतंत्रता, सुरक्षा और न्याय के गीत गाते हैं। गाजा से लेकर सीरिया, कोरिया से लेकर सोमालिया तक, हर जगह दबे-कुचले लोगों की आवाज उठाई जाती है। लेकिन अजीब बात है कि ‘मानवाधिकारों’ की यह मुनादी बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए नहीं की जाती, उनके दर्द को अनदेखा कर दिया जाता है… भला क्यों?

हितेश शंकर

बांग्लादेश, जो कभी आजादी के संघर्ष का प्रतीक था, अब हिंदुओं के लिए एक ऐसा पिंजरा बन चुका है जहां सांस लेना भी अपराध हो गया है। यहां ‘मानवाधिकार’ शब्द उतना ही बेमानी है जितना किसी तानाशाही में ‘समानता’। 124 दिन से मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार सत्ता संभाले हुए है, और इतने ही दिनों में बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए ‘अधिकार’ शब्द इतिहास बन चुका है।

आखिर, यह भी तो गौर करने वाली बात है कि अंतरिम सरकार ने आते ही कट्टरपंथियों को ‘नया जीवन’ देने का बीड़ा उठा लिया। जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर से प्रतिबंध हटा लिया गया। साथ ही अंसार-अल-इस्लाम जैसे आतंकी संगठनों को पुनर्जीवित कर दिया गया।

पिछले कुछ महीनों की घटनाओं पर नजर डालें तो लगता है, बांग्लादेश ने ‘हिंदू सताओ अभियान’ चलाने का ठेका ले रखा है। 30 नवंबर, 2024 को ब्राह्मणबारिया जिले में कोलकाता जा रही एक बस पर हमला हुआ। 5 दिसंबर को चटगांव में चुमकी रानी दास नामक एक हिंदू महिला को उसके घर में मार दिया गया। 6 दिसंबर को सिलहट में हिंदू डॉक्टर परेश चंद्र दास की फॉर्मेसी तोड़ दी गई। यहां तक कि मंदिरों को भी नहीं छोड़ा गया-चटगांव के पाथोरघाटा में शांतेश्री मातृ मंदिर और जगतबंधु आश्रम मंदिर पर हमले हुए।
इतिहास की ओर लौटें तो…

यह कोई नई बात नहीं है। बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न तो 1947 से ही शुरू हो गया था। विभाजन के दौरान, पंजाब की हिंसा तो खूब चर्चित रही, लेकिन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हुए नरसंहारों का जिक्र अक्सर इतिहास के पन्नों में दबी एक आह बनकर रह जाता है। 1948 तक लाखों हिंदू पश्चिम बंगाल की ओर पलायन कर चुके थे, और जो बचे थे, उनके लिए वहां की जमीन कब्रगाह बन चुकी थी।

1964 में कश्मीर की हजरतबल दरगाह में हुए विवाद के बाद पूर्वी पाकिस्तान में हिंसा ने विकराल रूप ले लिया। हजारों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया, और लाखों को बेघर कर दिया गया। 1971 में जब बांग्लादेश आजाद हुआ, तो हिंदुओं ने इस आजादी की कीमत अपनी जान और इज्जत से चुकाई।

आधुनिक बांग्लादेश: ‘सांस्कृतिक विनाश का प्रतीक’। आज की तारीख में, हिंदू मंदिरों पर हमले करना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाना और दुर्गा पूजा जैसे आयोजनों को खत्म करना आम बात हो चुकी है। हिंदू महिलाएं कट्टरपंथी हिंसा का सबसे बड़ा शिकार बन रही हैं। वहीं इस्लामी छात्र शिबिर और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन खुलेआम सांप्रदायिकता फैला रहे हैं।

सरकार का रुख? वह तो इन कट्टरपंथियों को ‘राजनीतिक हथियार’ के रूप में इस्तेमाल करती है। प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस का कहना है, ‘अल्पसंख्यकों पर हुए हमले राजनीति का हिस्सा हैं।’ ऐसा बयान किसी मानवाधिकार दिवस पर नारी सशक्तिकरण के पोस्टर जैसा लगता है- अच्छा, लेकिन व्यर्थ।

वर्तमान स्थिति: ‘न्याय के नाम पर अपमान’। आज, बांग्लादेश के हिंदुओं का धर्म, जान और इज्जत, तीनों खतरे में हैं। रिर्पोटों के मुताबिक, अगस्त 2024 से अब तक हिंदुओं पर हमले के हजारों मामले दर्ज हो चुके हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि अंतरिम सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह असफल रही है।

लेकिन चिंता मत कीजिए। आखिरकार, दुनिया में मानवाधिकार दिवस मनाने का सिलसिला जारी रहेगा। संयुक्त राष्ट्र भाषण देगा। देश-विदेश के नेता ट्वीट करेंगे। मोमबत्तियां जलेंगी। और बांग्लादेश के हिंदुओं की पुकार उस अंधेरे में खो जाएगी जहां मानवाधिकार केवल कागजी दस्तावेज बनकर रह जाते हैं।
@hiteshshankar

Topics: जमात-ए-इस्लामीमानवाधिकार दिवसhuman rights dayपाञ्चजन्य विशेषBangladeshi Hindusहिंदू सताओ अभियानराजनीतिक हथियारबांग्लादेश के हिंदुओं की पुकारHindu Persecution CampaignPolitical WeaponCall of Hindus of Bangladesh
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies