प्रणयन द्वारा आयोजित प्रथम साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन कला संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रांगण में 30 नवंबर, 2024 को किया गया। यह कार्यक्रम कवि सूर्य प्रकाश सूर्या जी की अध्यक्षता में और मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिष्ठित कवि धर्मवीर धरम जी की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। साहित्य के प्रति समर्पित तमाम साहित्यिक जनों ने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक रूप से सरस्वती वंदना से हुआ, जिससे पूरे वातावरण में एक आध्यात्मिक और साहित्यिक ऊर्जा का संचार हुआ। इसके बाद नवांकुर रचनाकारों ने अपनी रचनात्मक प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन युवा रचनाकारों ने कविता, गीत, ग़ज़ल और नज़्म जैसी विधाओं में अपनी कलात्मक प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी प्रस्तुतियों ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है।
इस गोष्ठी में संस्था के अध्यक्ष अमितेश अमिश, उपाध्यक्ष सचिन सर्वत्र, सचिव महेश कृशांग और उपसचिव प्रखर शुक्ल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। उनके नेतृत्व और समन्वय से यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो सका। हिंदी और संस्कृत विभाग के साहित्य अध्येताओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया और अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।
कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय भाषण में सूर्य प्रकाश सूर्या जी ने नवांकुर रचनाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल साहित्यिक प्रतिभाओं को मंच प्रदान करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को साहित्य के प्रति प्रेरित भी करते हैं। मुख्य अतिथि धर्मवीर धरम जी ने साहित्य के प्रति समर्पण और अनुशासन के महत्व पर जोर दिया और युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित किया।
इस गोष्ठी ने साहित्यिक जगत में एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया। प्रणयन साहित्यिक संस्था का यह प्रयास निस्संदेह सराहनीय है, और इससे साहित्य की धरोहर को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
सौजन्य – सचिन सर्वत्र, उपाध्यक्ष प्रणयन
टिप्पणियाँ