कोलकाता, (हि.स.) । आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही सीबीआई को बड़ी सफलता मिली है। जांचकर्ताओं ने अस्पताल में एक्सपायर्ड दवाओं को नई पैकिंग के साथ बेचने के पुख्ता सबूत जुटाए हैं।
जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला अस्पताल के पूर्व विवादित प्रिंसिपल संदीप घोष द्वारा रचा गया था। इस गड़बड़ी में घोष के करीबी माने जाने वाले खुदरा वितरकों का भी सहयोग था। इन एक्सपायर्ड दवाओं को नष्ट करने के बजाय, वितरकों को वापस भेजा जाता था, जहां उन्हें नई पैकिंग और नकली एक्सपायरी डेट के साथ तैयार किया जाता था।
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि यह अवैध प्रक्रिया मुख्य रूप से चेस्ट-मेडिसिन विभाग में उपयोग होने वाली महंगी दवाओं के मामले में प्रचलित थी। इन दवाओं को दोबारा अस्पताल में बेचा जाता था, और इस गोरखधंधे से संदीप घोष को भारी कमीशन मिलता था।
उल्लेखनीय है कि अगस्त में चेस्ट-मेडिसिन विभाग से जुड़ी एक महिला डॉक्टर के साथ हुई बलात्कार और हत्या के मामले की भी जांच सीबीआई कर रही है। सूत्रों के अनुसार, पीड़ित डॉक्टर अस्पताल में खराब गुणवत्ता वाली दवाओं के खिलाफ मुखर थीं। जांच एजेंसी इस बात की पड़ताल कर रही है कि उनकी हत्या का संबंध दवाओं की गुणवत्ता को लेकर उनकी आपत्तियों से था या नहीं।
सीबीआई द्वारा दो समानांतर जांच चल रही हैं। पहली जांच वित्तीय अनियमितताओं पर और दूसरी बलात्कार व हत्या के मामले पर केंद्रित है। घोष और टाला पुलिस स्टेशन के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल पर हत्या मामले की जांच को गुमराह करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप हैं।
यह घोटाला राज्य के स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। सीबीआई इस पूरे मामले में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
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