‘सारा हिसाब इक दिन जिल्ले इलाही देंगे, पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे’ गायक मनोज मुंतशिर की कविता की ये लाइन आज फिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित कथित जामा मस्जिद पर भी बिल्कुल फिट बैठ रहा है। कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का आज एडवोकेट कमिश्नर सर्वे पूरा हुआ। इस मौके पर वहां के मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पुलिस टीम पर पत्थरबाजी भी की। लेकिन, पुलिस प्रशासन की सख्ती के आगे प्रदर्शनकारियों की एक नहीं चली। हालांकि, इस मौके पर उपद्रवियों ने पत्थरबाजी के साथ तोड़फोड़ और आगजनी की।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि संभल स्थित कथित जामा मस्जिद असल में हरिहर मंदिर है। इसी दावे के साथ हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे की मांग की। हिन्दू पक्ष की याचिका पर चंदौसी स्थित सीनियर डिवीजन सिविल जज आदित्य सिंह ने 19 नवंबर को कथित मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के तहत ये सर्वे एडवोकेट कमिश्नर को करना था। सीनियर वकील विष्णुशंकर जैन के मुताबिक, इस मामले में एएसआई और संभल के डीएम को पक्षकार बनाया गया है।
इसी के तहत आज विष्णुशंकर जैन की अगुवाई में एडवोकेट कमिश्नर की टीम सर्वे के लिए पहुंची। इसकी भनक लगते ही कट्टरपंथी भड़क उठे। उन्होंने भारी तादात में इकट्ठा होकर नारेबाजी और पत्थरबाजी शुरू कर दी। मौके पर डीएम और एसपी ने मोर्चा संभालते हुए ढाई घंटे की मशक्कत के बाद हालात को संभाला। इस दौरान उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले तक दागने पड़े। बहरहाल सर्वे का कार्य पूरा हो गया है और अब 29 नवंबर को सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफें में कोर्ट में पेश की जाएगी।
विष्णु शंकर जैन ने संभल की कथित मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए कहा कि 1526 में मुगल आक्रान्ता बाबर ने मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर मस्जिद को बनाने की कोशिश की थी। ये भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है, जिस पर किसी का कोई अतिक्रमण नहीं हो सकता है।
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