मणिपुर में हिंसा एक बार फिर खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। मैतेई और कुकी समूहों के बीच बर्फ पिघलने के संकेत थे। सरकार ईमानदारी से दोनों समुदायों के बीच संचार चैनल बनाने की कोशिश कर रही थी । मैतेई और कुकी विधायकों के बीच हालिया बातचीत और बैठकों में भी कुछ प्रगति भी हुई। इसलिए,अचानक हुई हिंसा स्पष्ट रूप से उन लोगों द्वारा प्रायोजित की गई है जो मणिपुर में शांति नहीं चाहते हैं।
इस बार, निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। समूची इम्फाल घाटी, बिष्णुपुर, थौबल और काकचिंग जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। राज्य के अधिकांश भागों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम(AFSPA) फिर से लागू कर दिया गया है।
अपनी सैन्य सेवा के दौरान मणिपुर में सेवा करने और राज्य में घटनाओं पर नजर रखने के बाद, मुझे विश्वास है कि अब राज्य में कुछ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। अब तक, सुरक्षा बल रक्षात्मक मोड में थे। ध्यान रहे, जमीन पर तैनात सैनिकों के लिए इस तरह की कार्रवाई सबसे कठिन होती है, क्योंकि आपसे उम्मीद की जाती है कि आप सशस्त्र आतंकवादियों से एक हाथ बांधकर लड़ेंगे। आक्रामक कार्रवाई, जो सटीक खुफिया जानकारी पर आधारित हो उसकी अब मणिपुर राज्य में तुरंत आवश्यकता है।
सुरक्षा बल भीड़ को नियंत्रित करने और उन पर लगाम लगाने में सक्षम हैं। मणिपुर में, दोनों गुटों के पास त्वरित समय में हजारों प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा करने की क्षमता है, वह भी महिलाओं के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के साथ। प्रदर्शनकारी आधिकारिक इमारतों, आवासों पर हमला करते हैं और कुछ ही समय में सड़कों को अवरुद्ध कर देते हैं और सुरक्षा बल वास्तव में उन्हें नियंत्रित करने के लिए काफी संघर्ष करते हैं। आंसू गैसों, पानी की बौछारों और बैरिकेड्स के माध्यम से ऐसी भीड़ को नियंत्रित करने के पारंपरिक तरीकों का ऐसी आक्रामक भीड़ पर सीमित प्रभाव पड़ता है।
ऐसी अस्थिर स्थिति से निपटने के लिए, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नामित व्यक्तियों को सुरक्षा बलों के साथ भेजा जाए । कुछ न्यायिक अधिकारी भी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बलों के साथ जा सकते हैं। इस तरह की कार्रवाई से सुरक्षा बलों पर आवश्यक सावधानी बरती जाएगी और मानवाधिकार प्रहरियों को वास्तविक जमीनी स्थिति और मजबूरियों का भी पता चल जाएगा।
परिष्कृत हथियारों की उपलब्धता, विशेष रूप से कुकी समूहों के पास आश्चर्यजनक है। ऐसा प्रतीत होता है कि हथियारों की तस्करी भारत-म्यांमार की सुभेद्य सीमा के माध्यम से की गई है। म्यांमार की पीपुल्स डिफेंस फोर्स ने मणिपुर से लगे सीमावर्ती इलाकों पर नियंत्रण कर लिया है। म्यांमार के सैन्य जुंटा से लड़ने वाले इस गुट को चीन का संरक्षण प्राप्त है और वह कुकी उग्रवादियों को सशस्त्र हथियार और ड्रोन तकनीक बेच सकता है। अब सुरक्षा बलों के पास दोनों तरफ के आतंकियों पर आक्रामक कार्रवाई शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस तरह की आक्रामक कार्रवाई से कुछ मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। इसलिए, सुरक्षा बलों को इस तरह के ऑपरेशन करते समय निर्धारित एसओपी का पालन करना चाहिए। केंद्र ने मणिपुर में अर्द्धसैनिक बलों की 20 अतिरिक्त कंपनियां भेजी हैं। मणिपुर राज्य में, असम राइफल्स के पास अतीत में ऐसी जटिल परिस्थितियों से निपटने का अनुभव और विशेषज्ञता है। पूर्वोत्तर के अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण राज्यों में वर्तमान में तैनात अतिरिक्त असम राइफल्स बटालियनों को मणिपुर में पुन: तैनात किया जाए तो बेहतर रहेगा। असम राइफल्स मणिपुर में मानव खुफिया नेटवर्क को जल्दी से एक्टिव करने की क्षमता रखता है। यह समान रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन राज्य की 398 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर आधुनिक बुनियादी ढांचे और नवीनतम प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से बाड़ लगाने की जरूरत है। सुरक्षा बलों को स्वयं भारी मात्रा में समन्वय की आवश्यकता है और मेरा सुझाव है कि राज्य में सेवा करने का पूर्व अनुभव रखने वाले सेना के एक तीन सितारा जनरल अधिकारी को इम्फाल में तैनात किया जाए और सामान्य स्थिति में लौटने तक एकीकृत कमान संरचना का नेतृत्व इस अधिकारी को दिया जाए।
सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ भारी हथियारों और स्वचालित गोलीबारी का इस्तेमाल करने में संकोच नहीं करना चाहिए। खतरे को देखते हुए मोर्टार और रॉकेट लांचर जैसे कतिपय क्षेत्रीय हथियारों का भी उपयोग किया जा सकता है। हेलीकॉप्टर द्वारा हवाई सर्वेक्षण एक और विकल्प है। इस तरह की आक्रामक कार्रवाई से निर्दोष नागरिकों को नुकसान हो सकता है, इसका भी ध्यान रखना होगा। भारतीय सुरक्षा बल आतंकवाद से लड़ते हुए अत्यधिक संयम बरतते हैं। इसकी तुलना इजरायल द्वारा हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ हवाई शक्ति, रॉकेट, मिसाइल, ड्रोन आदि के उपयोग से करें। मणिपुर में स्थिति को बहाल करने के लिए तत्काल कड़ी कार्रवाई करने से अधिक लाभ हो सकता है।
वर्ष 2024 के अंत तक मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य मणिपुर के लिए निर्णायक है। मणिपुर के लोगों को स्वयं अपनी जन्मभूमि में शांति लाने के लिए आगे बढ़ना होगा। पूरे देश की कोशिश होनी चाहिए की वर्ष 2025 की शुरुआत मणिपुर में सभी समुदायों के बीच आशा, सकारात्मकता और एकजुटता के साथ हो।
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