दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर ‘बिरसा मुंडा चौक’ कर दिया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक अवसर पर बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया। यह आयोजन बांसेरा उद्यान में हुआ, जो दिल्ली के विकास और आदिवासी नायकों को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम में शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
बिरसा मुंडा भारतीय आदिवासी समुदाय के वीर स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और अपने समाज के उत्थान के लिए काम किया। अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समुदायों ने स्वतंत्रता आंदोलनों में योगदान दिया है, लेकिन उन्हें इतिहास में वह स्थान नहीं मिला जिसके वे हकदार हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी नायकों को उचित सम्मान दिया जा रहा है। सरकार ने तीन आदिवासी संग्रहालयों का निर्माण कार्य शुरू किया है, जो 2026 तक जनता के लिए खोल दिए जाएंगे। सराय काले खां का नाम बदलने की यह घटना पहली नहीं है। इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थानों के नाम बदले गए हैं। उदाहरण के लिए:
लखनऊ में लालबाग तिराहा का नाम बदलकर ‘सुहेलदेव राजभर तिराहा’ किया गया। बर्लिंगटन चौराहे को ‘अशोक सिंघल चौराहा’ नाम दिया गया। विराम खंड रामभवन चौराहा को ‘शहीद मेजर कमल कालिया चौराहा’ नाम दिया गया।
यह केवल भाजपा शासित राज्यों तक सीमित नहीं है। केरल, जो कम्युनिस्ट सरकार के अधीन है, ने हाल ही में अपने राज्य का नाम ‘केरल’ से बदलकर ‘केरलम’ करने का प्रस्ताव पारित किया।
सराय काले खां चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक करना केवल एक नाम परिवर्तन नहीं है बल्कि यह आदिवासी गौरव को सम्मान देने की सरकार की मंशा को भी दर्शाता है। गृहमंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि बिरसा मुंडा का नाम और उनके योगदान को नई पीढ़ी के बीच प्रचारित करना सरकार का उद्देश्य है।
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